16 अगस्त 2016 (Updated: 16 अगस्त 2016, 11:11 AM IST) कॉमेंट्स
Small
Medium
Large
Small
Medium
Large
आजादी के दिन देश के लिए कुर्बान हो गए CRPF के कमांडेंट प्रमोद कुमार. मंगलवार को जब उनकी बॉडी झारखंड के जामताड़ा में पहुंची तो घर में मातम था. हर आंख में आंसू थे. परिवार वालों के पास शहीद की यादें थीं. जब उन्हें अंतिम विदाई दी गई तो महज 6 साल की उनकी बेटी का हाथ सलामी के लिए उठ गया. प्रमोद कुमार की बेटी आरना ने उन्हें सलामी दी.उनकी शादी नेहा त्रिपाठी से 8 साल पहले हुई थी.
प्रोग्राम छोड़ आतंकियों से मुकाबला करने दौड़ पड़े थे
प्रमोद कुमार सुबह में एक प्रोग्राम में झंडा फहरा रहे थे, इस प्रोग्राम में उन्होंने स्पीच भ दी, एक घंटे बाद ही आतंकियों की ओर से फायरिंग की खबर आ गई और वो फ़ौरन आतंकियों से मुकाबला करने के लिए निकल पड़े. उन्होंने अपनी स्पीच में कहा, 'आप सबको विदित है कि आज स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया जा रहा है. हमारी जिम्मेदारियां काफी बढ़ गई हैं. चुनौती आतंकवाद है और पत्थरबाज़ हैं... क्यों? इनसे डट कर मुकाबला करना है और हम करेंगे. ये आपकी कड़ी मेहनत से संभव है. इसे पूरी लगन से करना होगा.'
सलामी देती शहीद की बेटी
https://www.youtube.com/watch?v=EqyT7LNkOzQ
1998 बैच के प्रमोद कुमार CRPF की 49वीं बटालियन के कमांडेंट थे. उनके साथियों ने बताया कि प्रमोद कुमार एक शानदार अफसर थे. 2014 और 2015 में उन्हें CRPF की ओर से सम्मानित किया गया था. 12 जुलाई को ही उन्हें प्रमोट कर कमांडेंट बनाया गया था. उनकी बीवी नेहा श्रीनगर में उनके साथ ही रह रही थीं. वो एक इंजीनियर हैं. 8 साल पहले ही शादी हुई थी.
43 साल के प्रमोद कुमार की शहादत श्रीनगर के नौहट्टा में उस वक्त मिली, जब वो आतंकियों को धूल चटा रहे थे. शहीद होने से पहले वो दो आतंकियों को ढेर कर चुके थे. आतंकियों की एक गोली उनके गले पर लगी. उन्हें श्रीनगर के बेस अस्पताल में एडमिट कराया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली और दुनिया को अलविदा कह गए.
'मैं उनके बिना कैसे रहूंगी'
प्रमोद कुमार की एक 6 साल की बेटी है और 63 साल के पिता हैं, जो वेस्ट बंगाल में रहते हैं. गम से निढाल उनकी बीवी नेहा कहती हैं, वो हमेशा कुछ नया करना चाहते थे. उनकी आखिरी बार संडे को अपनी बीवी से बात हुई. नेहा ने सोचा भी नहीं था कि ये उनकी आखिरी बातचीत है. बातचीत में उन्होंने नेहा से कहा कि उन्होंने बेटी आरना का डांस वीडियो देखा. आरना डांस सीख रही है. रोते हुए नेहा कहती हैं, अब प्रमोद बेटी का डांस कैसे देखेंगे. मेरी समझ में नहीं आ रहा... मैं प्रमोद के बिना क्या करूंगी.'
कहा था, 'एक दिन मुझे शौर्य चक्र मिलेगा'
शहीद की बीवी की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं लेते. आखिरी बार हुई बातचीत के बारे में रोते-रोते नेहा बताती हैं, 'उन्होंने कहा था कि देश उनके लिए मां है और वो इसके लिए शहीद होने से परहेज नहीं करेंगे. देश की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएंगे. कहते थे देखना एक दिन मुझे शौर्य चक्र मिलेगा.'
प्रमोद कुमार बिहार के बख्तियारपुर गांव 15 अक्टूबर 1972 में पैदा हुए थे. शुरुआती पढ़ाई चित्तरंजन रेल इंजन नगरी में हुई. इसके बाद बचपन से ही होनहार प्रमोद कुमार ने देहरादून में पढ़ाई की. वह श्रीनगर में आतंकियों की हिट लिस्ट में थे. क्योंकि इससे पहले उनकी टीम पर कई बार ग्रेनेड हमला और पत्थरबाजी हुई थी.
प्रमोद कुमार अपने 18 साल के करियर में श्रीनगर, त्रिपुरा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और बिहार में भी तैनात रह चुके हैं. वो अपनी हर पोस्टिंग में कामयाब अफसर साबित हुए. सीनियर अफसर उनके काम से हमेशा खुश रहते थे.