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नरेंद्र मोदी ने पूछा कि केरल में मंडी क्यों नहीं है, सीताराम येचुरी ने फट से जवाब दे दिया

मोदी ने कहा था कि बंगाल और केरल में मंडी व्यवस्था फ़ेल रही

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सीताराम येचुरी (बाएं) का कहना है कि केरल अकेला ऐसा राज्य है, जहां सरकार द्वारा तय की गई MSP से ज्यादा कीमत किसानों को दी जाती है. (फोटो- PTI)
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अभिषेक त्रिपाठी
27 दिसंबर 2020 (Updated: 27 दिसंबर 2020, 02:59 PM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा है. एक महीने से ज़्यादा समय हो चुका है. दो टर्म इस बीच सबसे ज़्यादा आपने सुने होंगे- न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP और एग्रिकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमिटी यानी APMC यानी मंडी व्यवस्था. केंद्र सरकार का दावा है कि नए कृषि कानूनों से किसानों की आय बेहतर होगी. किसान अपना उत्पाद देश भर में कहीं भी और किसी को भी बेच सकते हैं. वहीं किसानों का और विपक्ष का भी कहना है कि इन कानूनों के चलते मंडी व्यवस्था और MSP ख़त्म हो जायेंगे. इस बीच 25 दिसंबर को विपक्ष पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सवाल उठा दिए थे. कहा था कि ये पार्टियां पहले जवाब दें कि केरल में APMC व्यवस्था क्यों नहीं है? 9 करोड़ किसानों को 18 हज़ार करोड़ रुपए PM किसान सम्मान निधि के तहत वितरित किया जाना था. इसी अवसर पर कार्यक्रम था. तो इसी अवसर पर मोदी ने ये भी दावा किया कि पश्चिम बंगाल और केरल में APMC विफल रहा. बीजेपी ने ये भी कहा है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि केरल में लेफ्ट की सरकार है. और देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के राहुल गांधी यहीं के वायनाड से सांसद भी हैं. अब इन सवालों का जवाब केरल के सत्ताधारी CPI (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट करके दिया. कहा,
“केरल में APMC मंडी व्यवस्था इसलिए नहीं है, क्योंकि राज्य में पैदा होने वाली 82 फीसद फसल कैश क्रॉप है. इसमें नारियल, काजू रबर, चाय, कॉफी, काली मिर्च, लॉन्ग और इलायची की पैदावार होती है. जिनकी कीमत अलग-अलग सरकारी बोर्ड नीलामी के जरिए एक व्यवस्था के तहत तय करते हैं.”
येचुरी ने MSP पर भी बात रखी. ट्वीट करके बताया कि धान फसल के लिए केंद्र सरकार ने MSP 1800 रुपए प्रति क्विंटल तय की है. जबकि उसके लिए केरल में MSP 2748 रुपए प्रति क्विंटल है. यानी 900 रुपए से भी ज़्यादा का अंतर. येचुरी ने ट्वीट में लिखा,
“केरल देश में इकलौता ऐसा राज्य है, जहां 16 तरह की सब्जियों पर भी MSP तय है. किसानों को हार्वेस्टिंग के सीज़न में धान पर 22 हज़ार, सब्जियों पर 25 हज़ार, दालों पर 20 हज़ार और केले पर 30 हज़ार प्रति हेक्टेयर सब्सिडी भी दी जाती है.”
येचुरी के मुताबिक, केरल में APMC न होने के बाद भी किसानों को न सिर्फ उनकी फसल की ज़्यादा कीमत मिलती है, बल्कि कैश क्रॉप उगाने वाले किसानों को भी घाटा नहीं सहना पड़ता. क्योंकि खरीद से लेकर बिक्री तक सरकार की नज़र रहती है. येचुरी का ये भी दावा है कि केरल अकेला ऐसा राज्य है, जहां सरकार द्वारा तय की गई MSP से ज़्यादा कीमत किसानों को फसलों के एवज में दी जा रही है.

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