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'टैरिफ वॉर में चीन भारत के साथ', राजदूत ने साफ कहा, 'चुप्पी ऐसी दबंगई को बढ़ावा देती है'

राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि अमेरिका के भारत पर लगाए 50% टैरिफ का चीन विरोध करता है.

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भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग. (फोटो- ANI)
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सौरभ
21 अगस्त 2025 (Published: 10:51 PM IST)
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भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने 21 अगस्त को अपने एक बयान में अमेरिका को 'धौंस जमाने वाला' बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने हमेशा फ्री ट्रेड से लाभ उठाया है और अब वह टैरिफ़ को 'मोलभाव का हथियार' बना रहा है. शू फेइहोंग ने यह भी कहा कि चीन भारत के साथ मज़बूती से खड़ा रहेगा. चीनी राजदूत ने माना कि दोनों देश एशिया की आर्थिक वृद्धि के ‘डबल इंजन’ हैं.

एएनआई के मुताबिक चीन के राजदूत ने कहा,

“अमेरिका ने लंबे समय तक फ्री ट्रेड से लाभ उठाया, लेकिन अब वह कई देशों से अनुचित लाभ लेने के लिए टैरिफ़ का इस्तेमाल कर रहा है. अमेरिका ने भारत पर 50% तक का शुल्क लगाया है और इसे और भी बढ़ाने की धमकी दी है. चीन इसका कड़ा विरोध करता है. ऐसे कृत्यों के सामने चुप रहना केवल दबंगई को बढ़ावा देता है. चीन, भारत के साथ मज़बूती से खड़ा रहेगा और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की रक्षा करेगा.”

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. इसलिए भारत और चीन जैसे प्रमुख विकासशील देशों को एकजुट होकर सहयोग करना चाहिए. फेइहोंग ने कहा,

“भारत और चीन की मित्रता एशिया के लिए लाभकारी है. हम एशिया की आर्थिक वृद्धि के डबल इंजन हैं. भारत और चीन की एकता पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद है.”

राजदूत ने यह भी कहा कि वैश्विक स्थिरता बनाए रखने के लिए इन दोनों दक्षिण एशियाई देशों का सहयोग बेहद ज़रूरी है. उनका कहना है कि भारत और चीन की यह ज़िम्मेदारी है कि वे एक समान और व्यवस्थित बहुध्रुवीय विश्व को आगे बढ़ाने में नेतृत्व करें.

व्यापार के मुद्दे पर चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने भरोसा दिलाया कि सभी भारतीय उत्पादों का चीनी बाज़ार में स्वागत है. उन्होंने दोनों देशों से रणनीतिक आपसी विश्वास बढ़ाने और आपसी अविश्वास से बचने की अपील भी की.

उनके ये बयान ऐसे समय आए हैं जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी. संभावना जताई जा रही है कि पीएम मोदी इस साल के अंत में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में शामिल होने चीन जा सकते हैं.

वीडियो: दुनियादारी: क्या भारत को चीन पर भरोसा करना चाहिए?

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