The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • China is going to stun world w...

डीपसीक के बाद अब चीन के ‘शिंगहुओ' की चर्चा, परमाणु बिजली के क्षेत्र में तहलका मचाने की तैयारी

China ने हाल ही में DeepSeek आर1 लॉन्च कर AI के क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी है. अब उसका अगला टार्गेट पावर एनर्जी के क्षेत्र में गेम चेंजर हो सकता है, क्योंकि वह अगले पांच साल में fusion-fission nuclear reactor चालू करने की तैयारी में है. इससे परमाणु बिजली के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी.

Advertisement
deepSeek AI nuclear reactor china gamechanger
‘शिंगहुओ' अगले पांच साल में चालू हो सकता है. (इंडिया टुडे)
pic
आनंद कुमार
2 अप्रैल 2025 (Updated: 2 अप्रैल 2025, 08:08 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

दुनियाभर में लोग Ghibli और इस जैसे दूसरे AI प्लेटफॉर्म्स से इमेज क्रिएट कर रहे हैं. इसकी डिमांड इतनी ज्यादा है कि AI डेटा सेंटर के लिए भी मुश्किलें पैदा हो रही हैं. OpenAI के बॉस सैम ऑल्टमैन की मानें तो इनकी डिमांड के चलते उनके ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) पिघलने लगे हैं. ट्रेडिशनल डेटा सेंटर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) पर काम करते हैं, जबकि AI डेटा सेंटर ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) पर काम करते हैं.

इन डेटा सेंटर्स के सर्वर रैक और कूलिंग सिस्टम से एक धीमी सी आवाज निकलती है, और ये बिजली की बहुत ज्यादा खपत करते हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले समय में डेटा तेल या सोने से ज्यादा मूल्यवान होने वाला है. लेकिन इसके लिए भारी पैमाने पर बिजली की जरूरत होगी. और जो देश सस्ती बिजली उत्पादन का तरीका निकाल लेगा, वह बाकी देशों से आगे निकल सकता है.

खबर है कि चीन इस रेस में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस क्षेत्र में बीजिंग गेमचेंजर हो सकता है. उनका संलयन-विखंडन रिएक्टर (Fusion-Fission Reactor) ‘शिंगहुओ’ अगले पांच साल में चालू हो सकता है. इस प्रक्रिया में परमाणु के टकराव से बिजली उत्पन्न की जाती है. हांगकांग बेस्ड अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह दुनिया का पहला संलयन-विखंडन रिएक्टर होगा और चीन की योजना इसे साल 2030 तक चालू करने की है.

विशेषज्ञों की मानें तो यदि चीन इस रिएक्टर को चालू करने में सफल हो जाता है, तो वह परमाणु ऊर्जा के किसी भी रूप का उपयोग करने वाले दूसरे देशों से दशकों आगे निकल जाएगा.

ये भी पढ़ें - क्या है डेविन एआई जिससे प्रोग्रामर्स की नौकरी पर खतरा है ?

चीन का टार्गेट ‘शिंगहुओ’ की मदद से ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करना है. इस संलयन-विखंडन रिएक्टर की योजना मध्य चीन के जियांग्शी प्रांत के याओहु विज्ञान द्वीप पर बनाई गई है. 'जिंगहुओ' शब्द का अर्थ चिंगारी है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक इसका नाम माओत्से तुंग के एक फेमस कोट 'एक चिंगारी से मैदान में आग लग सकती है' से प्रेरित है. माओ की सांस्कृतिक क्रांति के बाद ही चीन में कम्युनिस्टों की सत्ता में एंट्री हुई थी.

विखंडन और संलयन प्रक्रिया क्या है?

विखंडन (Fission) वह प्रक्रिया है जिसमें यूरेनियम जैसे हैवी एटम के नाभिक (nuclei) को ऊर्जा प्राप्त करने के लिए विभाजित किया जाता है. इस तकनीक का प्रयोग परमाणु बम बनाने और परमाणु रिएक्टरों में किया जाता है.

इसके उलट संलयन (Fusion) वह प्रक्रिया है जिसमें हाइड्रोजन की तरह दो हल्के परमाणु नाभिकों (Atom nuclei) को ऊर्जा प्राप्त करने के लिए विलय (fuse) किया जाता है. इस प्रक्रिया में विखंडन की तुलना में ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न होता है. इसी प्रक्रिया के तहत सूर्य और दूसरे तारे ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करते हैं. किसी भी संलयन रिएक्टर ने अब तक व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए बिजली उत्पन्न नहीं किया है.

वीडियो: दुनियादारी: चीन के क़रीब क्यों जा रहा बांग्लादेश? चीन-बांग्लादेश में क्या समझौते हुए?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement