रेडियो कॉलर की वजह से कूनो में चीतों की मौत? प्रोजेक्ट चीफ ने अब क्या खुलासा किया?
चीता प्रोजेक्ट के चीफ SP यादव ने बताया कि रेडियो कॉलर के बिना जंगल में चीतों की निगरानी करना मुमकिन ही नहीं है.

eकूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में नौ चीतों की मौत के लिए दक्षिण अफ्रीका के एक चीता एक्सपर्ट ने चीतों के गले में लगे रेडियो कॉलर को जिम्मेदार ठहराया था. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कॉलर के चलते उनके गले में इन्फेक्शन हुआ. अब चीता प्रोजेक्ट (Cheetah Project) के चीफ SP यादव ने इस तरह के सभी दावों का खंडन किया है. उन्होंने कहा कि एक भी चीते की मौत रेडियो कॉलर की वजह से नहीं हुई. बताया कि रेडियो कॉलर के बिना जंगल में चीतों की निगरानी करना मुमकिन नहीं है.
SP यादव NTCA (National Tiger Conservation Authority) के सदस्य भी हैं. ANI को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि दुनिया भर में जानवरों की निगरानी के लिए रेडियो कॉलर का इस्तेमाल किया जाता है और ये एक प्रूवन टेक्नोलॉजी है. कूनो में चीतों का स्टेटस देते हुए SP यादव ने बताया,
कुल 20 चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे जिनमें से 14 पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अच्छा कर रहे हैं. भारत में चार चीतों का जन्म हुआ है और उनमें से एक अब छह महीने का हो गया है और ठीक है. तीन शावकों की मौत जलवायु संबंधी वजहों से हुई.
SP यादव आगे बोले,
बाकी देशों में आमतौर पर अवैध शिकार और शिकार से मौतें होती हैं लेकिन हमारी तैयारी इतनी अच्छी थी कि इन वजहों से एक भी चीते की मौत नहीं हुई. इसके अलावा जहर या इंसानों के साथ संघर्ष के चलते भी कोई मौत नहीं हुई.
SP यादव ने बताया कि चीतों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में ले जाने का प्रयास पहले नहीं किया गया और इसमें बहुत सारी चुनौतियां थीं. आमतौर पर इस तरह की लंबी दूरी में चीता मर सकता है क्योंकि ये एक संवेदनशील जानवर है लेकिन यहां ऐसी कोई मौत नहीं हुई. उन्होंने बताया कि जो बेंचमार्क तय किए गए थे, वो हासिल कर लिए गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 11 जुलाई से 2 अगस्त के बीच तीन चातों की मौत हुई थी और उनकी गर्दन के ऊपरी हिस्से में चोट के निशान मिले थे. दावा किया गया कि वो चोटें इन्फेक्शन की हैं जो कि रेडियो कॉलर के नीचे टिक्स के पनपने के चलते हुआ. उस दौरान कुछ चीतों के गले से रेडियो कॉलर उतारे भी गए थे.
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बता दें, कूनो नेशनल पार्क में अब तक 6 चीतों और 3 शावकों की मौत हो चुकी है. 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया से आए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में रिलीज किया था. वहीं 18 फरवरी, 2023 को साउथ अफ्रीका से 12 और चीतों को लाकर कूनो में छोड़ा गया था. यानी कुल मिलाकर नामीबिया और साउथ अफ्रीका से 20 चीते लाए गए. इसके बाद मार्च 2023 से ही चीतों की मौत का सिलसिला शुरु हो गया.
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