कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत, इस बार कैसे गई जान?
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अब तक कुल 9 चीतों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 3 शावक थे

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (MP Kuno National Park) से एक बार फिर बुरी खबर आई है. यहां एक और चीते की जान चली गई है. एमपी तक से जुड़े खेमराज दुबे की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बार खुले जंगल में छोड़ी गई मादा चीता धात्री (तिबलिसी) की मौत हुई है. कूनो के प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने बताया है कि एक और चीता की मौत हो गई है. धात्री की मौत के बाद अब कूनो में मरने वाले चीतों की कुल संख्या नौ हो गई है, जिनमें से तीन शावक थे. साल 2022 में नामीबिया से आठ और साउथ अफ्रीका से 12 चीते लाकर कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए थे.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या वजह बताई?कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. सोमवार, 31 जुलाई को इस मामले में केंद्रीय पर्यावरण और नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. इसमें कूनो में हो रही चीतों की मौत की वजह बताई गई है. हलफनामे में कहा गया है कि कूनो में चीतों की मौत की वजह प्राकृतिक है. किसी भी चीते की जान अप्राकृतिक वजह से नहीं गई है. हलफनामे के मुताबिक किसी भी चीते की मौत कहीं फंसने, शिकार किए जाने, जहर देने, करंट लगने या सड़क पर किसी हादसे की वजह से नहीं हुई है. सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ये भी कहा गया है कि चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क के अनसूटेबल (अनुपयुक्त) होने की बात गलत है.
PM मोदी ने अपने बर्थडे पर छोड़े थे17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया से आए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में रिलीज किया था. वहीं 18 फरवरी, 2023 को साउथ अफ्रीका से 12 और चीतों को लाकर कूनो में छोड़ा गया था. यानी कुल मिलाकर नामीबिया और साउथ अफ्रीका से 20 चीते लाए गए. इसके बाद मार्च 2023 से ही चीतों की मौत का सिलसिला शुरु हो गया.
इससे पहले कब और कैसे हुई चीतों की मौत?# पहली मौत 26 मार्च 2023. मादा चीता साशा को किडनी इन्फेक्शन हुआ और मौत हो गई. 22-23 जनवरी को ही इसके बीमार होने का पता चला था, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिल पाया. वन विभाग ने तर्क दिया कि भारत आने से पहले ही 15 अगस्त 2022 को ही नामीबिया में साशा का ब्लड टेस्ट किया गया था, जिसमें क्रिएटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा था.
# दूसरी मौत 23 अप्रैल. नर चीता उदय की मौत को लेकर वन विभाग ने दावा किया कि वो पहले से ही बीमार था. मौत कार्डियक आर्टरी फेल होने की वजह से हुई.
# तीसरी मौत 9 मई. मादा चीता दक्षा को बाड़े में मेटिंग के लिए भेजा गया था. मेटिंग के दौरान ही दक्षा घायल हो गई और बाद में उसकी मौत हो गई.
# चौथी मौत 23 मई. नामीबिया से लाई गई ज्वाला के एक शावक की मौत हुई. ज्यादा गर्मी, डिहाइड्रेशन और कमजोरी को वजह बताया गया.
# पांचवीं और छठवीं मौत 25 मई. ज्वाला के दो और शावकों की मौत. अधिक तापमान और लू के चलते तबीयत खराब होने की बात सामने आई. फिर दोनों की मौत हो गई.
# सातवीं मौत 11 जुलाई. साउथ अफ्रीका से लाए गए नर चीते तेजस को लेकर वन विभाग ने कहा कि उसकी मौत गर्दन पर चोट और इन्फेक्शन से हुई. बाद में पीसीसीएफ जेएस चौहान ने मीडिया को बताया कि कॉलर आईडी की वजह से गले में इन्फेक्शन हुआ था.
# आठवी मौत 14 जुलाई. साउथ अफ्रीका से लाए गए एक और नर चीते सूरज की मौत पर वन विभाग का कहना था कि मौत की वजह गर्दन और पीठ पर घाव होना है. बाद में मौत की वजह कॉलर आईडी को ही बताया गया.
वीडियो: मास्टरक्लास: कूनो नेशनल पार्क में तीसरे चीते की मौत हुई, एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?