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कूनो में घोर लापरवाही ने ली चीतों की जान! 3 और जख्मी मिले, आंख खोलने वाला सच पता लगा

मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आठ चीते मर गए तो जागी सरकार और कूनो वाले!

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Eight Cheetah death MP Kuno National Park, 3 injured due to Caller Id
चीतों की मौत के बाद जागा कूनो प्रबंधन | फाइल फोटो: आजतक
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अभय शर्मा
20 जुलाई 2023 (Updated: 20 जुलाई 2023, 08:23 AM IST) कॉमेंट्स
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मध्यप्रदेश का कूनो नेशनल पार्क. अफ्रीकी देशों से यहां चीते लाए गए पुनर्वास के लिए, लेकिन कूनो इनके लिए कब्रगाह बन गया है. हाल ये है कि सात महीनों में यहां आठ चीतों की मौत हो चुकी है. बीते एक हफ्ते में ही दो चीतों की मौत हो गई. जब आठ मर गए तो जागी सरकार और लिया एक्शन. सबसे पहले तो वाइल्डलाइफ पीसीसीएफ जसबीर सिंह चौहान को हटा दिया. फिर हुई बचे हुए चीतों की जांच. जांच में घोर लापरवाही पता चली है (Eight Cheetah death MP Kuno National Park).

आजतक से जुड़े रवीश पाल सिंह की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन चीतों की गर्दन पर गहरे घाव मिले हैं. चीता पवन को पकड़कर बेहोश करने के बाद उसकी गर्दन पर लगे कॉलर आईडी को जब हटाया गया तो इंफेक्शन मिला. जिसमें कीड़े भी पड़े हुए थे. चीता पवन का इलाज शुरु कर दिया गया है. दो और चीतों के भी जख्म हैं. जिसके तुरंत बाद डॉक्टरों की टीम बुलाकर चीतों के कॉलर आईडी हटाकर इलाज शुरू किया गया.

विशेषज्ञ ने आंख खोलने वाला सच बताया!

आजतक ने इस मामले को लेकर वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे से बात की. उन्होंने चीता एक्सपर्ट्स टीम और कूनो नेशनल पार्क की टीम के बीच समन्वय की कमी को चीतों की मौत की वजह बताया है. अजय दुबे का कहना है कि जैसी मॉनिटरिंग होनी चाहिए, वैसी नहीं हो रही है और वन विभाग भी चीतों की मौत की वजह अपने हिसाब से अलग-अलग बता रहा है. अजय दुबे का कहना है कि जब साउथ अफ्रीका के एक्सपर्ट ने कहा था कि बारिश के मौसम में चीतों की कॉलर आईडी का खास ध्यान रखना है, फिर भी ध्यान नहीं रखा गया. उनके मुताबिक कॉलर आईडी की वजह से इंफेक्शन फैला और दो चीतों की जान चली गई, ये लापरवाही है.

मौत के शोर ने जगा दिया 

जब चीतों की मौत पर शोर मचा तो सत्ता में बैठे लोगों की नींद टूटी. राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार, 18 जुलाई को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चीता पुनर्वास प्रोजेक्ट पर चर्चा की. चीतों की सुरक्षा को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. बैठक में चौहान ने कहा कि चीता पुनर्वास प्रोजेक्ट के तहत कूनो लाए गए चीतों में से कुछ की मौत चिंता का विषय है. उनके स्वास्थ्य और देखभाल के लिए केन्द्र सरकार द्वारा गठित चीता टास्क फोर्स को राज्य सरकार की ओर से हरसंभव मदद दी जाएगी.

कब-कब हुई चीतों की मौत?

# पहली मौत 26 मार्च 2023. मादा चीता साशा को किडनी इन्फेक्शन हुआ और मौत हो गई. 22-23 जनवरी को ही इसके बीमार होने का पता चला था, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिल पाया. वन विभाग ने तर्क दिया कि भारत‌ आने से पहले ही 15 अगस्त 2022 को ही नामीबिया में साशा का ब्लड टेस्ट किया गया था, जिसमें क्रिएटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा था.

# दूसरी मौत 23 अप्रैल. नर चीता उदय की मौत को लेकर वन विभाग ने दावा किया कि वो पहले से ही बीमार था. मौत कार्डियक आर्टरी फेल होने की वजह से हुई.

# तीसरी मौत 9 मई. मादा चीता दक्षा को बाड़े में मेटिंग के लिए भेजा गया था. मेटिंग के दौरान ही दक्षा घायल हो गई और बाद में उसकी मौत हो गई.

# चौथी मौत 23 मई. नामीबिया से लाई गई ज्वाला के एक शावक की मौत हुई. ज्यादा गर्मी, डिहाइड्रेशन और कमजोरी को वजह बताया गया.

# पांचवीं और छठवीं मौत 25 मई. ज्वाला के दो और शावकों की मौत. अधिक तापमान और लू के चलते तबीयत खराब होने की बात सामने आई. फिर दोनों की मौत हो गई.

# सातवीं मौत 11 जुलाई. साउथ अफ्रीका से लाए गए नर चीते तेजस को लेकर वन विभाग ने कहा कि उसकी मौत गर्दन पर चोट और इन्फेक्शन से हुई. बाद में पीसीसीएफ जेएस चौहान ने मीडिया को बताया कि कॉलर आईडी की वजह से गले में इन्फेक्शन हुआ था.

# आठवी मौत 14 जुलाई. साउथ अफ्रीका से लाए गए एक और नर चीते सूरज की मौत पर वन विभाग का कहना था कि मौत की वजह गर्दन और पीठ पर घाव होना है. बाद में मौत की वजह कॉलर आईडी को ही बताया गया.

वीडियो: पीएम मोदी ने नामीबिया से आए जिस चीता को कूनो में छोड़ा उसकी मौत कैसे हो गई?

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