The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Centre told Supreme Court Can't Force Family Planning, what BJP MP sadhvi pragya said on population control

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-कौन कितने बच्चे पैदा करेगा ये तय करना हमारा काम नहीं

जबरन परिवार नियोजन थोपने के विरोध में सरकार.

Advertisement
(सांकेतिक तस्वीर. पिक्साबे)
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जब एक मां एक बच्ची को जन्म देने के 10 दिन बाद ही कोरोना की शिकार हो गई तो 2 दर्जन से ज्यादा महिलाएं दुधमुंहे बच्चे को अपना दूध पिलाने के लिए सामने आ गईं. (प्रतीकात्मक तस्वीर) (सांकेतिक तस्वीर. पिक्साबे)
pic
Varun Kumar
13 दिसंबर 2020 (Updated: 13 दिसंबर 2020, 10:37 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वो जबरदस्ती फैमिली प्लानिंग कराने के खिलाफ है. यानी देश में रहने वाला हर नागरिक अपने आप तय करे कि उनके परिवार में कितने बच्चे हों. जनसंख्या नियंत्रण से सरकार का इंकार! 'दो बच्चों की नीति' लागू करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो देश के नागरिकों पर जबरन परिवार नियोजन थोपने के विरोध में है. केंद्र ने कहा कि इस नीति के कारण देश में टोटल फर्टिलिटी रेट को गिरावट का सामना करना पड़ा है. आपको बता दें कि नीति आयोग की वेबसाइट के मुताबिक देश में टोटल फर्टिलिटी रेट (Birth/Woman) साल 2000 में 3.2 था जो अब 2016 में 2.3 रह गया है. एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव बताता है, जबरदस्ती निश्चित संख्या में बच्चे पैदा करने का दबाव ठीक नहीं होता और इससे जनसांख्यिकीय विकृतियां पैदा हो सकती हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने शीर्ष अदालत में कहा कि देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक है. दंपती खुद फैसला कर सकते हैं कि उनके परिवार का आकार क्या होगा और अपनी इच्छा से वो परिवार नियोजन के तरीके अपना सकते हैं. सरकार ने साफ कर दिया कि इसमें सरकार की ओर से किसी तरह की कोई बाध्यता या अनिवार्यता नहीं है. BJP नेता की जनहित याचिका BJP नेता एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने जनहित याचिका डाली थी. इस याचिका में कहा गया था कि भारत की आबादी चीन से अधिक हो गई है और 20 प्रतिशत भारतीयों के पास आधार कार्ड नहीं हैं. इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उपाध्याय की याचिका को खारिज कर दिया था. 4 सितंबर को इस याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ ने कहा था कि न्यायपालिका, सरकार के कामों को नहीं कर सकती है. बीजेपी सांसद का विवादित बयान जहां सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अपना स्टैंड साफ कर दिया है, वहीं BJP सांसद साध्वी प्रज्ञा ने कहा है कि क्षत्रियों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए क्योंकि वे देश की रक्षा करते हैं. 12 दिसंबर को मध्यप्रदेश के सीहोर में एक सभा के दौरान उन्होंने कहा कि अगर क्षत्रिय कुल खत्म हो जाएगा तो देश की रक्षा कौन करेगा. साध्वी प्रज्ञा ने जनसंख्या नियंत्रण कानून की बात करते हुए कहा कि जो लोग देश में राष्ट्रघाती गतिविधियां करते हैं, जिनको राष्ट्रघात करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है, उनके लिए कानून बनना चाहिए.

Advertisement