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कट्टा लेकर धमकाने वाले धीरेंद्र शास्त्री के भाई पर केस दर्ज, लेकिन गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?

वीडियो वायरल हुआ तो पता लगा ये व्यक्ति बागेश्वर वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री का छोटा भाई शालिगराम गर्ग है.

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dhirendra shashtri
सांकेतिक फोटो (साभार: आजतक)
21 फ़रवरी 2023 (Updated: 21 फ़रवरी 2023, 22:32 IST)
Updated: 21 फ़रवरी 2023 22:32 IST
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एक बाबा हैं जो लगातार खबरों में बने हैं. एक बाबा हैं जो लगातार विवादों में घिरे हैं. कभी बयान की वजह से तो कभी भूत-प्रेत की बातों की वजह से. व्यक्तिगत विवाद कम नहीं थे, अब मामले में उनके छोटे भाई की भी एंट्री हो गई है. मुझे लगता है आप लोग मेरा इशारा भी समझ गए होंगे. हम बागेश्वर वाले धीरेंद्र शास्त्री की बात कर रहे हैं. धीरेंद्र शास्त्री के छोटे भाई पर SC/ST एक्ट में केस दर्ज हुआ है. उस FIR में कमी क्या है, अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? इसी को केंद्र में रखकर आज बात पुलिस, पॉलिटिक्स और धर्म के नेक्सेस पर.

बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ. शायद आपने देखा भी हो और अगर नहीं देखा है तो अभी आपकी स्क्रीन पर है. वीडियो एक व्यक्ति शादी समारोह में कट्टा लहराते हुए मारने की धमकी दे रहा है. उसके दूसरे हाथ में सिगरेट है. वीडियो वायरल हुआ तो पता लगा ये व्यक्ति बागेश्वर वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री का छोटा भाई शालिगराम गर्ग है. मामले की तारीख नोट करिए. 11 फरवरी. आरोप लगा कि एक दलित परिवार के शादी समारोह में देसी कट्टा लहराकर गाली-गलौज की गई. कट्टा सटाकर जान से मारने की धमकी दी गई. वीडियो वायरल हो गया, सोशल मीडिया पर सवाल पूछे जाने लगे. तब जाकर 20 फरवरी यानी 9 दिन बाद. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के छोटे भाई शालिगराम गर्ग पर FIR दर्ज कर ली गई है.पीड़ित की शिकायत के बाद उस पर एससी-एसटी एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं.

दर्शक जानते होंगे कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का गांव एमपी के छतरपुर जिले के गढ़ा नाम के गांव में है. वो गांव जिले के बमीठा थाना क्षेत्र में आता है. यहां के गढ़ा गांव के रहने वाले लोग शालिगराम को 'छोटे महाराज' के नाम से जानते हैं. उस पर घटना से जुड़ी FIR के मुताबिक एससी-एक्ट के अलावा शालिगराम पर IPC की धारा 294 (चिढ़ाने के इरादे से अश्लील कार्य करना), 323 (किसी को चोट पहुंचाना), 506 (धमकाना) और 427 लगाई गई है. FIR बमीठा थाना प्रभारी परमदास दिवाकर ने दर्ज कराई है और जांच अधिकारी यानी IO भी वही हैं. FIR में दी तहत के मुताबिक पीड़ित का नाम कल्लू अहिरवार है. उन्होंने खुद को गढ़ा गांव का ही निवासी बताया है. पीड़ित के मुताबिक वो मजदूरी का काम करते हैं. तहरीर में बताया

“11 फरवरी, को मेरी बेटी की शादी थी. शादी समारोह का टेंट घर के सामने लगा था. उसी दौरान रात करीब 12 बजे शालिगराम उनके घर के सामने लगे टेंट में आया और गाली-गलौज करने लगा. वो तेज आवाज में गाना बजाने को लेकर टोक रहा था. इस दौरान वो सिगरेट पीते हुए अपने हाथ में कट्टा लहराकर लोगों को डराने लगा. साथ ही उसने शादी समारोह में मौजूद लोगों से धक्का मुक्की भी की.”

55 वर्षीय कल्लू अहिरवार ने कहा कि इस हंगामे में किसी को चोट नहीं आई. हालांकि वीडियो में आरोपी मारपीट करता साफ दिख रहा है. आरोप है कि उसने टेंट में लगी चीजों को भी नुकसान पहुंचाया. पीड़ित के मुताबिक शालिगराम ने वहां रखी कुर्सियां तोड़ डालीं. और कहा, अगर उसकी बात नहीं मानेंगे तो जान से मार देगा. अहिरवार ने देर से रिपोर्ट दर्ज करवाने का कारण भी बताया. कहा कि वो घर के कार्यक्रम में व्यस्त थे और शालिगराम के डर के कारण भी शिकायत नहीं दर्ज करवा रहे थे. लेकिन बाद में उन्होंने पुलिस के पास जाने का फैसला किया. पीड़ित ने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को आरोपी शालिग्राम से खतरा है.

मामला क्या है?
आजतक से जुड़े लोकेश चौरसिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उस बारात में मौजूद एक चश्मदीद ने घटना को लेकर बताया कि कल्लू अहिरवार की बेटी के शादी समारोह में बागेश्वर बाबा का छोटा भाई शालिगराम गर्ग शराब के नशे में कट्टा लहराते हुए आया था. वो सिगरेट पीते हुए महिलाओं से अभद्रता कर रहा था और गालियां दे रहा था. और कहता है- राई नहीं बजेगी. इस गढ़ा गांव में बजेगा तो सिर्फ बागेश्वर धाम का गाना. अब हो सकता है कुछ समर्थक इस बात से ही इनकार कर दें कि वो बागेश्वर बाबा का भाई है ही नहीं. तो सुनिए.  बीते महीने 24 जनवरी को हमने बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का इंटरव्यू किया था. 

मतलब ये बात तो प्रमाणित है कि ये शालिगराम गर्ग, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का भाई है. उसकी कई और भी तस्वीरें इंटरनेट पर मौजूद हैं. किसी का भाई या सगा संबंधी होना गुनाह नहीं है, बात यहां अपराध और अपराध की प्रवृति की है. और सवाल किसी व्यक्ति विशेष के प्रभाव वजह से होने वाली शिथिल कार्रवाई पर है. वीडियो में साफ दिखने के बावजूद अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है. इस पर सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि जिनके इतने बड़े पॉलिटिकल कनेक्शन हों, उन पर कार्रवाई करने की हिम्मत, कौन पुलिस वाला कर पाएगा. पॉलिटिकल कनेक्शन की बात कहां से आती है. 

18 फरवरी को बागेश्वर धाम में सामूहिक कन्या विवाह समारोह का आयोजन किया गया था. इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के साथ दिखे थे. यह एक निजी हैसियत से सामाजिक समारोह था जिसमें प्रदेश के मुखिया शिवराज थे. ज्यादा दिन नहीं हुए जब प्रदेश कांग्रेस के मुखिया और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ धीरेन्द्र शास्त्री से मिलने पहुंचे थे. तब ये तस्वीर चर्चा का विषय बनी थी. लोगों ने कमल नाथ और कांग्रेस की जमकर आलोचना भी की थी. दो तस्वीरों से साफ है कि सत्ता हो या फिर विपक्ष हर कोई बाबा के शरणागत है. अब एक और महत्वपूर्ण तस्वीर पर गौर कीजिए.

सोफे पर बैठे हैं धीरेन्द्र शास्त्री और जमीन पर बैठे हैं मध्य प्रदेश सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा. जिन पर सूबे की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है. नरोत्तम मिश्रा के बगल में पुलिस के शीर्ष अधिकारी भी बैठे हैं. किसी के साथ किसी की भी तस्वीरें होने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. लेकिन राजनीति में तस्वीरों के भी मायने  होते हैं. सवाल ये है कि जिस व्यक्ति की कई मौके पर सत्ता पक्ष से नजदीकी देखी गई हो क्या उसके खिलाफ किसी मामले में सरकार निष्पक्ष रह पाएगी? और क्या पुलिस पीड़ित परिवार को सुरक्षा और न्याय का आश्वासन दे पाएगी ? ये सवाल इसलिए क्योंकि वीडियो वायरल होने के बाद परिवार ने पारिवारिक सुरक्षा के चलने FIR दर्ज न कराने की बात कही थी. उसके बावजूद पीड़ित परिवार को कोई सुरक्षा नहीं मिली है.

अब आ जाते हैं FIR के साथ हुए खेल के पहलू पर. जिसके जरिए केस को कमजोर करने का आरोप है. F.I.R के ही मुताबिक पीड़ित ने बताया है कि शादी के दौरान शालिगराम गर्ग हाथों में कट्टा लिए लोगों को डराता-धमकाता है. वायरल वीडियो में भी शालिगराम गर्ग को हाथों में कट्टा लहराते दिख भी रहा है. 'कट्टा' आसान भाषा में कहें तो बिना लाइसेंस वाला हथियार. हम यहां कट्टा पर जोर इसलिए दे रहे हैं कि क्योंकि ये इलीगन वैपन है. इसके लिए भी कठोर धाराएं, मगर क्या वो लगाई गईं? 

इस मामले में दर्ज हुई FIR में क्या गड़बड़ियां नज़र आई इस पर तो हमने बात कर ली. अब एक दूसरे गंभीर पहलू को समझिए. मामला दलित उत्पीड़न से जुड़ा है.
>>NRCB की रिपोर्ट कहती है कि 2018 के बरस  देशभर में 42 हजार 747 SC उत्पीड़न के मामले दर्ज हुए.
>> 2019 में मामले और बढ़े. इस बार पूरे देश में 45 हजार 876 केस सामने आए.
>>2020 में आंकड़ा 50 हजार के पार पहुंच गए. मगर सजा कितनों को मिली.

मतलब ये कि साल बढ़ने के साथ दलित उत्पीड़न के मामले भी बढ़े. मगर क्या उनमें आरोपियों को सजा हो पाती है? कन्विक्शन रेट क्या कहता है? वो भी देख लीजिए.  
>> 2018 में 499 मामलों में सजा हुई. कनविक्शन रेट यानी सजा की दर मात्र 1.16%,
>>2019 में 3583 केस में सजा हुई. सजा की दर 7.8%,
>>2020 में 2613 SC उत्पीड़न मामलों में सजा हुई. कन्विक्शन रेट मात्र 5.2%.

और ऐसे ही हजारों हैं , जो सालों से चले आ रहे हैं. इसी श्रेणी में एक केस बागेश्वर बाबा के छोटे भाई पर भी ऐड हो गया है. साल है  दलित उत्पीड़न के मामलों में कन्विक्शन रेट इतना कम क्यों है? 

तो ऐसी स्थित में  सवाल है कि क्या सालिगराम गर्ग के केस में कोई ठोस कार्रवाई हो पाएगी. और ये पहली दफा नहीं है कि जब बागेश्वर धाम से जुड़े लोगों पर आरोप लगे हैं. 12 दिन पहले दैनिक भास्कर में छपी योगेश पांडे और संतोष सिंह की रिपोर्ट में पार्किंग को लेकर लोकेश गर्ग सवालिया निशान खड़े किए गए थे. लोकेश गर्ग, बागेश्वर बाबा का चचेरा भाई है. रिपोर्ट के मुताबिक, गढ़ा धाम में ऑटो और ई-रिक्शा की संख्या इतनी ज्यादा है कि सड़क पर पैदल चलने के लिए जगह ही नहीं मिलती है. ऑटो वालों का कहना है कि कम से कम 500 ऑटो और ई-रिक्शा हाईवे से यात्रियों को गढ़ा गांव तक लाते हैं. किराया 20 रुपए प्रति सवारी है और हर चक्कर पर ऑटो वालों को पार्किंग चार्ज के नाम पर 20 रुपए देने पड़ते हैं. एक ऑटो वाला कम से कम 10 चक्कर लगाता है तो उसे 200 रुपए पार्किंग के देने पड़ते हैं. ऑटो वाले इससे नाराज हैं और उनका कहना है कि दिन भर में एक बार पार्किंग चार्ज लिया जाना चाहिए. इसके अलावा यहां गाड़ियां और बसें भी पहुंचती हैं. अनुमान के मुताबिक एक दिन में पार्किंग से ही 50 हजार से एक लाख रुपए तक की वसूली होती है. ग्राम पंचायत ने पार्किंग के ठेके लिए टेंडर निकाला था, जिसका बेस प्राइज 10 लाख था, दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक धीरेंद्र शास्त्री के चचेरे भाई लोकेश गर्ग ने इसे 33.18 लाख रुपए में लिया. पार्किंग की बोली में 12 ठेकेदारों ने हिस्सा लिया था. सभी ने पार्किंग के लिए निर्धारित 10 प्रतिशत राशि जमा करके बोली में हिस्सा लिया. बोली पंचायत की निर्धारित राशि से 3 गुना राशि तक पहुंच गई. इसमें सबसे ज्यादा बोली लोकेश गर्ग ने लगाकर  पार्किंग का ठेका ले लिया. लेकिन आरोप है कि अब वो वाहन चालकों से पार्किंग के ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं.

भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, सरकारी रिकॉर्ड में मंदिर से सटे खसरा नंबर 4852, 482, 483 और 428 की जमीन राजनगर तहसील के सरकारी रिकॉर्ड में श्मशान, तालाब और पहाड़ के रूप में दर्ज है. स्थानीय लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके सेवादारों पर तालाब  पाटकर निर्माण कराने का आरोप लगा रहे हैं. श्मशान में शव जलाने पर रोक लगा दी गई. खसरा नंबर 428 की 1.121 हेक्टेयर श्मशान में दर्ज है, लेकिन यहां 12 दुकानें बनाकर किराए से दे दी गई हैं. प्रशासन इसे अब तक खाली नहीं करा पाया है.

धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि प्रशासन अपना काम कर रहा है. इन मामलों से जुड़ी शिकायत बीजेपी के पूर्व विधायक आरडी प्रजापति भी कर चुके हैं. छतरपुर जिले के ही चंदला सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक आरडी प्रजापति कहते हैं कि वो इस मामले में एसपी-कलेक्टर को पक्षकार बनाते हुए कोर्ट में खड़ा करेंगे. उनका आरोप है कि प्रशासन बागेश्वर बाबा पर कोई भी कार्रवाई करने से बचता है. दिलचस्प ये भी है कि जिस बीजेपी के बड़े-बड़े नेता बाबा के दरबार में दरी पर नजर आते हैं, उसी बीजेपी से विधायक रह चुके आरडी प्रजापति बाबा का विरोध करते हैं. राजनीति का खेल तो राजनीति ही जाने, मगर सवाल यहां कानून का. और संविधान की नजर में कानून से बड़ा कोई नहीं है. वो चाहे कोई प्रभावशाली बाबा हो या राजनेता. या उनका कोई रिश्तेदार. अगर कानून का उल्लंघन हुआ है तो न्यायसंगत कार्रवाई भी होनी चाहिए. धर्म की आड़ में अपराध को प्रश्रय नहीं मिलना चाहिए.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का वो अनकहा सच, जो आप नहीं जानते

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