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ऊंची सैलरी वालों पर सरकार ने एक टैक्स और बढ़ा दिया है

एक फरवरी को निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया.

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शनिवार को बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद के बाहर बच्चों के साथ. (फोटो- ANI)
2 फ़रवरी 2020 (Updated: 2 फ़रवरी 2020, 08:46 IST)
Updated: 2 फ़रवरी 2020 08:46 IST
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फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के लिए बजट आ चुका है. 1 फरवरी को. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया. इस बजट ने टैक्स स्लैब को लेकर खासा कन्फ्यूज़न पैदा कर दिया है. लोग पूरे दिन इसी चर्चा में उलझे रहे कि पुराने रेट्स ज्यादा सही थे या नये वाले. इस बजट में सरकार ने ज्यादा सैलरी पाने वालों के लिए एक और टैक्स जोड़ दिया है. हाई सैलरी ग्रुप में आने वाले लोगों अब प्रॉविडेंट फंड (PF) और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) पर भी इनकम टैक्स देना होगा. अब इस हाई सैलरी ग्रुप में कौन लोग आएंगे? ऐसे कर्मचारी जिनकी कंपनी इन स्कीम्स के तहत उनके लिए सालभर में 7.5 लाख रुपए से ज्यादा जमा कर रही है. अगर कंपनी का PF और NPS कॉन्ट्रिब्यूशन 7.5 लाख से कम है तो टैक्स नहीं लगेगा. टैक्स सिर्फ उसी अमाउंट पर लगेगा, जो कंपनी दे रही है. लेकिन टैक्स भरना एम्प्लॉई को ही होगा. PF, NPS जैसी स्कीम का गणित कुछ ऐसा है कि एम्प्लॉई की सैलरी जितनी ज्यादा, इन स्कीम्स में उसका और एम्प्लॉयर (कंपनी) का कन्ट्रीब्यूशन भी उतना ही ज्यादा. ऐसे में किसी एम्प्लॉयी की कंपनी उसके पीएफ और एनपीएस पर जितना ज्यादा इनवेस्ट करेगी, उस एम्प्लॉयी को उतना ज्यादा टैक्स चुकाना होगा. ऐसा क्यों किया गया है? बजट डॉक्यूमेंट में इसकी वजह भी बताई गई है. कहा गया है कि हाई सैलरी वालों के पास एक सहूलियत रहती है. वे अपना सैलरी स्ट्रक्चर इस तरह से रखवा सकते हैं कि इसका बड़ा हिस्सा एम्प्लॉयर की ओर से PF, NPS जैसी स्कीम्स में इन्वेस्ट किया जाए. वहीं कम सैलरी वालों के पास ये सहूलियत नहीं रहती. इस पर एक बैरियर लगाने के मकसद से 7.5 लाख रुपए से ज्यादा के कॉन्ट्रीब्यूशन पर टैक्स लगाया है. अब तक क्या नियम थे? अभी PF कॉन्ट्रीब्यूशन पर कोई टैक्स नहीं लगता. कंपनी अपने कर्मचारी के PF खाते में उसकी सैलरी के 12% तक का अमाउंट जमा कर सकती है. अब सैलरी का 12% अमाउंट जितना भी बने, वो टैक्स फ्री रहता था. 12% से ज्यादा कन्ट्रीब्यूट करने पर वो अमाउंट टैक्स के दायरे में आता था. सैलरी का 14% तक का अमाउंट NPS के नाम पर जमा कर सकते थे. ये भी टैक्स फ्री रहता था.
नेता नगरी: बजट 2020 में इनकम टैक्स छूट के बावजूद अर्थव्यवस्था के लिए ये अच्छी खबर क्यों नहीं है?

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