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पाक के लिए जासूसी करने वाले BSF जवान अच्युतानंद मिश्र पर मजे लेने वाले नादान हैं

वो पूरी बात नहीं जानते-समझते.

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जोर अच्युतानंद के धर्म, उसकी जाति पर है. मानो अगर वो अच्युतानंद मिश्रा की जगह अहमद कुरैशी होता तो, कतई गद्दार नहीं निकलता. अगर वो जाटव, यादव, पासवान, कुर्मी या कुछ और होता तो भी देशद्रोही नहीं हो सकता था. आदमी यहां अपनी गारंटी तो दे नहीं सकता और सोशल मीडिया पर लोग अपने पूरे धर्म और जातिवालों की अंडरटेकिंग देने निकल पड़ते हैं.
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स्वाति
20 सितंबर 2018 (Updated: 20 सितंबर 2018, 09:36 AM IST) कॉमेंट्स
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BSF का एक जवान पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के इल्जाम में गिरफ्तार हुआ है. आरोप है कि उसने ISI एजेंट्स को कई बेहद जरूरी जानकारियां लीक की हैं. उत्तर प्रदेश की ऐंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने उसे अरेस्ट किया है. कहा गया कि उसे हनी ट्रैप किया गया था. किसी लड़की ने उससे दोस्ती बनाकर उससे पुलिस अकादमी, पुलिस ट्रेनिंग सेंटर और उसकी यूनिट से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां हासिल कर लीं.
कई सारे लोग अच्युतानंद के पकड़े जाने से गदगद हैं ये माथा ठोकने, परेशान होने वाली बात है. सेना, बीएसएफ जैसी संस्थाएं देश की हिफाजत के लिए बनाई गई हैं. इनके लोग भी मुल्क से गद्दारी करें, तो भरोसा किस पर किया जाएगा? मगर कुछ लोग इस खबर से बहुत खुश हैं. सोशल मीडिया पर ऐसे लिख रहे हैं मानो कह रहे हों, अच्छा हुआ कि इसने गद्दारी की. वजह है गिरफ्तार हुए इंसान का धर्म. उसकी जाति. धर्म से हिंदू. जात का ब्राह्मण. नाम- अच्युतानंद मिश्र. 19 सितंबर को अच्युतानंद के अरेस्ट होने की खबर आई. रात होते-होते सोशल मीडिया पर अच्युतानंद के ऊपर काफी कुछ लिखा जा चुका था. ज्यादातर लिखने वालों के लिए ये सेलिब्रेट करने वाली खबर थी. मानो एक अच्युतानंद सारे हिंदुओं का नुमाइंदा हो. वो कोई आईना हो, जहां सारे सवर्णों की असलियत नापी जा सकती है. कि अगर वो हिंदू नहीं होता, ब्राह्मण नहीं होता, तो किसी कीमत पर गद्दारी नहीं करता. ये लोग अच्युतानंद के बहाने एक खास धर्म, एक खास जातिवालों को टारगेट कर रहे हैं. ये साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उस धर्म, उस जाति के लोग ऐसे ही होते हैं.
नीचे के कमेंट पढ़िए.
नीचे के कमेंट पढ़िए. अच्युतानंद मिश्र का किया पूरे सवर्णों के सिर मढ़ा जा रहा है. 

ये एक और पोस्ट
ये एक और पोस्ट. 

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अच्युतानंद मिश्र की गिरफ्तारी से जुड़ी एक पोस्ट पर आए कमेंट्स का स्क्रीनशॉट

पोस्ट
दोनों कमेंट एक ही इंसान के हैं. देखिए, कितने लोगों ने लाइक किया है. दिल वाले, खिलखिलाकर हंसने वाले इमोजी. 

कुछ सैंपल देखिए-
ये है सवर्णों का मेरिट.
अब बताओ देश की बर्बादी में जिम्मेदार कौन?बिना आरक्षण वाले हैं या आरक्षण वाले देश को बर्बाद कर रहे हैं?फिर भी ये अपने को मेरिटधारी कहने वाले यही कहेंगे कि आरक्षण से देश बर्बाद हो रहा है.
यहां भी मिश्रा?
वाह रे पंडितजी.
जो मुसलमानों से देशभक्ति का #सर्टीफिकेट मांगते हैं #असल में #देश के साथ गद्दारी वहीं लोग करते हैं। #अंधभक्तो बजाओ ताली फर्जी देशभक्त पकड़ा गया.
संघियों का खेल तो देखो दूसरों को देशभक्ति और शान्ती का पाठ पढ़ाते हैं ,और खुद ही देश से गद्दारी पाकिस्तान से वफादारी करते हैं
पंडित जी पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पकड़े गए हैं.
इस बात से साबित होता है कि मुसलमान कभी गद्दार नहीं हो सकता. क्योंकि हमारे नबी ने फरमाया है अपने वतन की हिफाजत करो.
जैसे आतंकवाद और अपराध का कोई जाति-धर्म नहीं होता, वैसे ही जाहिलियत भी यूनिवर्सल है
जैसे आतंकवाद और अपराध का कोई जाति-धर्म नहीं होता, वैसे ही जाहिलियत भी यूनिवर्सल है

अपने धर्म, अपनी जाति वाले सारे लोगों की गारंटी ले सकता है कोई? कोई भी आदमी क्या अपने मजहब, अपनी जाति, अपने समुदाय, अपने राज्य, अपने देश, यहां तक कि अपने परिवार के सारे लोगों की गारंटी ले सकता है? दावे से कह सकता है कि उसके 'लोग' कोई बुरा काम नहीं करते होंगे? या करेंगे? उसके धर्म, उसकी जाति का कोई आदमी क्रिमिनल नहीं होगा? बलात्कारी नहीं होगा, हत्यारा नहीं होगा, चोरी-पॉकेटमारी नहीं करेगा. ऐसा कहां होता है भाई? कुरान में बहुत सारी अच्छी बातें लिखी हैं. लिखा है फरेब मत करो, गरीबों पर जुल्म मत करो, बेइमानी न करो. फिर भी खूब सारे मुसलमान ये सारे गलत काम करते हैं. गुरु ग्रंथ साहिब इंसानियत सिखाता है. फिर क्या सारे सिख भले काम ही करते हैं? चोर, हत्यारे सब हैं वहां भी. आतंकवादी भी हुए उनमें. क्या सारे ईसाई ईसा मसीह जैसा संत निकलते हैं? कौन सा क्राइम है, जो छूटा है उनसे. यही हाल सारे धर्मों का है. सबमें अपराधी हैं. वो इसलिए कि क्राइम का धर्म नहीं होता. न गुस्सा धर्म-जाति देखकर आता है, न लालच-बेईमानी किसी खास धर्मवालों का गुण है. ये बुराइयां किसी में भी हो सकती हैं. कहते हैं कि दाऊद के पिता ईमानदार पुलिसवाले थे. उनका बेटा स्मगलर, हत्यारा और आतंकवादी निकला. धर्म और जातियां कोई ऐंटी बैक्टीरियल नहीं हैं कि किसी के अंदर से क्राइम के कीटाणु मार दें.
अपना टाइम आने पर हम लचीले हो जाते हैं. डिफेंसिव हो जाते हैं. सारे मुसलमानों को आतंकी बताने वाले ये लोग अच्युतानंद मिश्र के बारे में पूछे जाने पर
सारे मुसलमानों को आतंकी बताने वाले ये लोग अच्युतानंद मिश्र के बारे में पूछे जाने पर ये याद दिलाने लगेंगे कि एक के गलत होने से पूरा समुदाय गलत नहीं हो जाता.

सारे सवर्ण, सारे हिंदू गद्दार हो गए? मैंने कई मुसलमानों को अच्युतानंद के बहाने सारे हिंदुओं पर उंगली उठाते देखा. मुझे मुसलमानों को ऐसा करते देखकर ज्यादा तकलीफ हुई. वो खुद इसी मर्ज के सताए हुए हैं. सात समंदर पार कोई मुसलमान बम ब्लास्ट करता है और पूरी दुनिया के मुसलमान एक जमा आवाज में आतंकवादी ठहराए जाने लगते हैं. कहते हैं जूता अपने पैर को काटता है, तब दूसरे की तकलीफ मालूम चलती है. क्या दुनिया के सारे मुसलमान आतंकवादी हैं? क्या इस्लाम उन्हें आतंकवाद सिखाता है? कतई नहीं. लेकिन यही लॉजिक बाकी सब पर भी चलेगा. यही सबक दलितों को भी सीखना चाहिए. जब कोई आरक्षण के खिलाफ जहर उगलता है, तो गलत करता है. जब कोई दलितों से भेदभाव करता है, उन्हें गालियां देता है, तो गलत करता है. ऐसे ही जब कोई दलित सवर्णों को गाली देता है, तो वो भी उतना ही गलत करता है.
ये कांग्रेस के हैं. और ये इनकी राजनीति है, कोई लेवल ही नहीं है. किसी भी बहाने बस राजनीति करनी है.
ये कांग्रेस के हैं. और ये इनकी राजनीति है, कोई लेवल ही नहीं है. किसी भी बहाने बस विरोधियों पर उंगली उठानी है. 

रिवर्स-कट्टरता भी उतनी ही बुरी है, जितनी कट्टरता. दोनों में कोई अंतर नहीं. लोग अच्युतानंद के बहाने सारे बीजेपी समर्थकों, संघ से जुड़े सारे लोगों को भी गरिया रहे हैं. कह रहे हैं, यही है संघियों की असलियत. आपको कैसे पता कि अच्युतानंद RSS से जुड़ा था? या कि वो बीजेपी को वोट देता था? इसलिए कि वो हिंदू सवर्ण है! ब्राह्मण है! ये इक्वेशन इतना ही पक्का होता तो शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी में नहीं होते. न ही सतीश चंद्र मिश्रा कभी मायावती का दाहिना हाथ होते.


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