बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा देने वालों के नाम सुनकर हैरान रह जाएंगे
लगातार 7वें साल बीजेपी को मिला सबसे ज्यादा चंदा, कांग्रेस से 5 गुना ज्यादा.
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लगातार 7 सालों से बीजेपी देश की सबसे ज्यादा डोनेशन पाने वाली पार्टी है.

कांग्रेस को 2018-19 में 146.7 करोड़ चंदा मिला था जो 2019-20 में घटकर 139 करोड़ हो गया.
बीजेपी को पैसा देने में इलेक्टोरल ट्रस्ट आगे बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा इलेक्टोरल ट्रस्ट से मिला है. इसमें न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट, जनकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट, प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट, ट्रायंफ इलेक्टोरल ट्रस्ट जैसे नाम शामिल हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ये इलेक्टोरल ट्रस्ट क्या होते हैं?
इलेक्टोरल ट्रस्ट वो कंपनियां होती हैं, जिनके जरिए कॉरपोरेट्स बिना अपनी पहचान बताए राजनीतिक दलों को फंड दे सकते हैं. बीजेपी को चंदा देने वालों में सबसे बड़ा नाम प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट का है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 217 करोड़ रुपए पार्टी को दिए हैं. इस ट्रस्ट को चंदा देने वालों में भारती एंटरप्राइजेज, GMR एयरपोर्ट डेवलपर्स और DLF का नाम प्रमुख है.

BJP को 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में 6 प्रतिशत ज्यादा चंदा मिला है.
व्यक्तिगत तौर पर पार्टी को चंदा देने वाले में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (5 लाख), अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (1 करोड़ 10 लाख), राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर (2 करोड़) और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का नाम प्रमुख है. इसके अलावा कॉरपोरेट्स में हल्दीराम, मुथूट फाइनेंस (4 करोड़), हीरो साइकिल (2.5 करोड़), ITC (76 करोड़), लोढ़ा डेवलपर्स (21 करोड़) और गुलमर्ग रियलटर्स (20 करोड़) प्रमुख हैं. कई सारे एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स भी बीजेपी को डोनेट करने वालों की लिस्ट में हैं. इसमें मेवाड़ यूनिवर्सिटी, कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, पठानिया पब्लिक स्कूल और जीडी गोयनका इंटरनेशनल स्कूल प्रमुख हैं. चंदे का नियम क्या है? राजनैतिक दलों के पास अधिकतर पैसा चंदे या दान के रूप में आता है. ये पैसा कहां से आता है, और राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में कितनी पारदर्शिता है? इसको लेकर तमाम तरह के विवाद हैं. लेकिन जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 29बी राजनीतिक दलों को किसी भी व्यक्ति या कंपनी से चंदा या दान लेने की छूट देती है. ये कंपनी सरकारी नहीं होनी चाहिए. 20 हजार रुपए से अधिक के चंदे की जानकारी राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को देनी होती है. उससे कम का कोई हिसाब नहीं होता. इसके अलावा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए भी राजनीतिक दल फंड इकट्ठा करते हैं. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट्स या संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं. राजनीतिक दल इन बॉन्ड्स को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं.