जम्मू-कश्मीर में करोड़ों के घोटाले में बीजेपी के किस नेता का नाम आया है?
करोड़ों की जमीन मिली कौड़ियों में
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जम्मू कश्मीर के रोशनी जमीन घोटाले में कई पार्टियों के नेताओं और नौकरशाहों के नाम सामने आ चुके हैं, लेकिन पहली बार बीजेपी के किसी नेता का नाम आया है. (फोटो-आरएस पठानिया के ट्विटर अकाउंट से)
बीजेपी के पूर्व MLA के पिता का नाम लिस्ट में
बीजेपी के MLA रहे आर.एस पठानिया का नाम उन 266 लोगों की लिस्ट में है, जिन्हें रोशनी लैंड एक्ट के तहत फायदा दिया गया है. ये लिस्ट जम्मू कश्मीर प्रशासन ने इस कथित घोटाले को लेकर बनाई है. इस लिस्ट में पठानिया के पिता भूपिंदर सिंह और उनके बाबा जगदेव सिंह का नाम भी रोशनी एक्ट के तहत जमीन के लाभार्थी के तौर पर दर्ज है. उनके नाम पर 9 कनाल औऱ 14 मार्ला जमीन रामनगर विधानसभा सीट की मजालटा तहसील के केहाल गांव में मिली है. उनके नाम पर जमीन का म्यूटेशन 24 अक्टूबर 2011 को दर्ज है. उन्होंने इसके लिए मात्र 470 रुपए का पेमेंट किया था.
2011 में पठानिया कांग्रेस के साथ थे
आर.एस. पठानिया 2011 में कांग्रेस में थे, लेकिन बाद में बीजेपी जॉइन कर ली. उन्हें 2014 में बीजेपी ने रामनगर सीट से विधानसभा का टिकट दिया. वह 2014 में पहली बार एमएलए बने.

2014 में आर.एस पठानिया बीजेपी के टिकट पर विधायक बन कर आए थे.
'गलती से आया लिस्ट में नाम'
पठानिया ने लिस्ट में नाम आने पर कहा है कि उनके पिता का नाम गलती से लिखा गया है. वह पहले ही इस मामले को अथॉरिटी के सामने ले जा चुके हैं. उनका कहना है,
जहां तक मेरे और मेरे परिवार की बात है तो न मेरा नाम, न मेरी मां का नाम और न ही मेरे भाई-बहन किसी का नाम पर जमीन का कोई म्यूटेशन हुआ है. अगर मेरे पिता रोशनी एक्ट के लाभार्थी होंगे, तो उनकी मृत्यु के बाद जमीन विरासत के तौर पर मेरे पास आई होगी. मेरे राजनैतिक विरोधी मुझे निशाना बना रहे हैं क्योंकि खून सीट से मेरी पत्नी जूही मन्हास डिस्ट्रिक्ट डिवेलपमेंट काउंसिल (DDC) इलेक्शन लड़ रही है.'

पठानिया का कहना है कि उनकी पत्नी के डीडीसी चुनाव लड़ने की वजह से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.
रोशनी ऐक्ट क्या है?
सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा. ये लाइन आपने कई बार अखबारों में पढ़ी होगी. तो जो लोग सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करके सालों साल रह रहे होते हैं, हटते भी नहीं हैं. तो इन लोगों को हटाने, फिर उन्हें रहने के लिए दूसरी जगह देने में ही प्रशासन का काफी टाइम और पैसा खप जाता है. इसी के समाधान के तौर पर जम्मू-कश्मीर में आया रोशनी ऐक्ट. इस ऐक्ट के तहत लोगों को उस ज़मीन का मालिकाना हक देने की योजना बनी, जिस पर उन्होंने अवैध कब्ज़ा कर रखा था. बदले में उन्हें चुकानी थी एक छोटी सी रकम. इस रकम का इस्तेमाल होता राज्य में बिजली का ढांचा सुधारने में. इसी से नाम पड़ा रोशनी ऐक्ट. अब मालिकाना हक के बदले कितनी रकम देनी होगी, ये तय होती थी ज़मीन की लोकेशन और कितनी ज़मीन घेरी है, उसके हिसाब से.

जमीन हड़पने के मामले को सबसे पहले 2011 में रिटायर्ड प्रोफेसर एसके भल्ला (बाएं) हाईकोर्ट लेकर गए. उसके बाद वकील अंकित शर्मा 2014 ने भी कोर्ट में याचिका दाखिल की.
हाई कोर्ट के निर्देश पर जारी हुई लाभार्थियों की लिस्ट
CAG की रिपोर्ट के आधार पर 2014 में एडवोकेट अंकुर शर्मा ने हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की. याचिका में कहा गया कि मामले में बहुत रसूखदार लोग शामिल हैं, ऐसे में रोशनी जमीन घोटाले के केस की जांच CBI को ट्रांसफर कर दी जाए. इस बीच 2018 में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रोशनी एक्ट को ही निरस्त कर दिया. 9 अक्टूबर, 2020 को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने इस केस की जांच CBI को सौंप दी. हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस मामले में गलत तरीके से आवंटित जमीनें वापस ली जाएं. जिन प्रभावशाली लोगों को जमीन दी गईं, उनके नाम भी सार्वजनिक किए जाएं. इसके बाद कई बड़े नेताओं और नौकरशाहों के नाम सामने आ रहे हैं.