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भारत का नागरिक बनकर पैसों के लिए ISI के इशारों पर नाचा पाकिस्तानी हिंदू माइग्रेंट

भीलवाड़ा-उदयपुर जासूसी मॉड्यूम मामले में राजस्थान पुलिस और केंद्रीय एजेंसी ने दूसरे संदिग्ध भागचंद को गिरफ्तार किया है. पूछताछ में पता चला है कि वो देश की सुरक्षा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता था.

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bhilwara espionage case
(बाएं-दाएं) जासूरी के आरोपी भागचंद और नारायण लाल. (तस्वीरें- आजतक)
16 अगस्त 2022 (Updated: 16 अगस्त 2022, 12:00 IST)
Updated: 16 अगस्त 2022 12:00 IST
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राजस्थान पुलिस ने कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में एक और संदिग्ध को गिरफ्तार किया है. आजतक से जुड़े कमलजीत की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य पुलिस ने 15-16 अगस्त की दरम्यानी रात को दक्षिण दिल्ली के भाटी माइंस इलाके से इस संदिग्ध को पकड़ा है. पुलिस के मुताबिक आरोपी भागचंद एक पाकिस्तानी हिंदू माइग्रेंट था, जो बाद में भारतीय नागरिक बन गया था. इससे पहले इसी मामले में 27 साल के नारायण लाल को गिरफ्तार किया गया था.

Bhilwara-Udaipur Espionage Module में दूसरी गिरफ्तारी

रिपोर्ट के मुताबिक एक केंद्रीय जांच एजेंसी और राजस्थान पुलिस की संयुक्त पूछताछ में भीलवाड़ा के नारायण लाल ने बताया था कि इस दूसरे आरोपी ने पांच भारतीय सिमकार्ड किसी को भेजे थे. उसने पुलिस को आरोपी का नाम भागचंद बताया. वो दिल्ली के भाटी माइंस में बनी संजय कॉलोनी में रहता है. घनी आबादी वाली इस कॉलोनी में कई पाकिस्तानी हिंदू रहते हैं. कुछ को भारत की नागरिकता मिल चुकी है, कुछ अभी इसका इंतजार कर रहे हैं.

कमलजीत की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से कई पाकिस्तानी हिंदू माइग्रेंट अपने पाकिस्तानी रिश्तेदारों से मिलने के लिए सरहद पार जाते रहते हैं. कुछ पाकिस्तान से आने वाले रिश्तेदारों को संजय कॉलोनी में अपने घर में भी रखते हैं. पुलिस और केंद्रीय एजेंसी को ऐसी रिपोर्ट्स मिली थीं कि संजय कॉलोनी के कुछ लोगों को सिमकार्ड जारी किए गए थे, जो बाद में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लोगों के हाथ लग गए थे.

47 साल के भागचंद के बारे में पता चला है कि वो 12वीं तक पढ़ा है. 1998 में वो अपने परिजनों और दो बहनों के साथ सिंध (पाकिस्तान) के रास्ते भारत आ गया था. दिल्ली आकर वे भाटी माइंस में बनी संजय कॉलोनी में रहने लगे. साल 2002 में भागचंद की शादी हुई. उसके दो बेटे और एक बेटी है. वो कैब ड्राइवर का काम कर चुका है. फिलहाल लेबर सुपरवाइजर का काम कर रहा था. उसके कई रिश्तेदार अभी भी सिंध में रहते हैं. इनमें उसका मामा भी शामिल है. 2016 में भागचंद और उसके परिवार को भारत की नागरिकता मिल गई थी.

पैसों के लिए ISI ऑपरेटिव के इशारों पर नाचा

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक 'आबिद' नाम के एक ISI ऑपरेटिव ने भागचंद से मिलने के लिए उसके मामा का इस्तेमाल किया था. बाद में दोनों के बीच वॉट्सऐप पर बातचीत होने लगी. भागचंद ने राजस्थान पुलिस और केंद्रीय एजेंसी को बताया है कि आबिद पाकिस्तानी नंबर के जरिये उससे संपर्क करता था. लेकिन 2020 में उसने आबिद को एक भारतीय वॉट्सऐप नंबर मुहैया करा दिया था. तब से ISI ऑपरेटिव इसी नंबर से भागचंद से बात कर रहा था. फिर अगस्त-सितंबर 2021 के दौरान भागचंद ने ओटीपी के जरिये आबिद को दूसरा भारतीय वॉट्सऐप नंबर दिया, जो उसकी पत्नी के नाम पर सब्सक्राइब था.

रिपोर्ट के मुताबिक आबिद ने बाद में भागचंद से कहा कि वो भारत के सैन्य इलाकों का दौरा करे, सेना के अधिकारियों से दोस्ती बनाए, उन्हें उससे (आबिद) मिलवाए. इसके बदले आबिद ने एक बार भागचंद को पैसे भी ट्रांसफर किए थे.

इस साल जून के महीने में आबिद ने भागचंद को निर्देश दिया था कि वो नारायण लाल से सिमकार्ड लेकर चेक करे कि वे काम कर रहे हैं या नहीं, उनके ओटीपी बनाए और मसालों के पैकेट या भारतीय पोशाक में पैक करके किसी विशेष पते पर भेज दे. इसके बाद भागचंद ने नारायण लाल से बात की. दिल्ली आने वाली बसों के जरिये उससे पांच सिमकार्ड लिए. ओटीपी बनाने के लिए उनमें से एक सिमकार्ड का इस्तेमाल भी किया. फिर उन्हें आबिद से शेयर किया ताकि वो नया वॉट्सऐप और सिग्नल ऐप्लिकेशन अकाउंट बना सके.

रिपोर्ट के मुताबिक भागचंद ने आबिद के निर्देशों के तहत ही इस काम को अंजाम दिया था. उसने चार एमडीएच मसाला पैकेट, एक जोड़ी जीन्स और बेल्ट में इंडियन सिमकार्ड्स छिपाकर ISI ऑपरेटिव तक भेजे थे. इसके लिए उसने फर्जी नाम का इस्तेमाल किया. इस दौरान भागचंद, आबिद और नारायण लाल से लगातार संपर्क में बना रहा. बताया गया है कि इसके लिए उसे आबिद से 5000 रुपये मिले थे. दूसरे मौकों पर भी आबिद उसे पैसा भेजता था. काम को अंजाम देने के बाद उसके डिजिटल निशान या सबूत मिटाने के लिए भी भागचंद आबिद के निर्देश मानता था.

रिपोर्ट के मुताबिक भागचंद ने ये सब पैसे के खातिर किया, ये जानते हुए कि दुश्मन एजेंसियों के साथ मिलकर वो देश की सुरक्षा के खिलाफ साजिश कर रहा है. बताया गया है कि अगर वो कुछ और वक्त तक पुलिस और केंद्रीय एजेंसी की पकड़ से दूर रहता तो ज्यादा बड़े नुकसान को अंजाम दे सकता था. भीलवाड़ा-उदयपुर जासूसी केस में उसे नारायण लाल के साथ सहआरोपी बनाकर जल्दी ही कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा. उधर राजस्थान पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां मौजूदा जानकारी के साथ आगे की जांच में जुट गई हैं.

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