वायरल डोज़ मीम वाली काबोसु की मौत, मालकिन ने दुखी होकर क्या बताया?
मीम वर्ल्ड में डोज़ के नाम से फ़ेमस ये डॉग फीमेल डॉग थी. जिसका असली नाम था काबोसु. ये जापान में पाई जाने वाली शीबा इनु ब्रीड की डॉग थी.
वैसे तो सोशल मीडिया पर ‘मीम वर्ल्ड’ काफी खुशहाल माना जाता है. लेकिन 24 मई को मीम्स के इस पैरेलल वर्ल्ड से दुखी करने वाली एक खबर आई. पिछले साल 1 अप्रैल को ट्विटर वाली चिड़िया की जगह “डोज़” वाले लोगो (Twitter Doge Dog) ने ली थी. डोज़ के नाम से फ़ेमस इस फीमेल डॉग ने अब दुनिया को अलविदा (Doge meme dog Kabosu passes away) कह दिया. डोज़ की मौत की खबर उसकी मालकिन अतसुको सातो ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए दी है.
24 मई को अतसुको सातो ने एक ब्लॉग के जरिए जानकारी दी कि डोज़ वाली फीमेल डॉग की मौत हो गई है. उन्होंने ब्लॉग में लिखा,
“24 मई की सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर काबोसु गहरी नींद में चली गई. काबोसु इस दुनिया की सबसे खुश व्यक्ति थी. मैं, दुनिया की सबसे खुश इंसान, उसकी मालिक थी. इतने प्यार के लिए आप सभी का शुक्रिया.”
जानकारी के मुताबिक, 17 वर्षीय काबोसु पिछले कुछ समय से बीमार थी. अतसुको सातो ने जानकारी दी कि काबोसु की फेयरवेल 26 मई को आयोजित की जाएगी. काबोसु की मौत पर डोज़ कॉइन क्रिप्टोकरेंसी (उसके नाम पर बनी क्रिप्टोकरेंसी) ने भी उसे श्रद्धांजलि दी. X पर एक पोस्ट में डोज़ कॉइन ने लिखा,
नाम के पीछे की कहानी“आज काबोसु, हमारे समुदाय की साझा दोस्त और प्रेरणा, हमारे बीच नहीं रही. इस एक कुत्ते ने दुनिया भर में जो प्रभाव डाला है, उसे मापा नहीं जा सकता है. वो एक ऐसी प्राणी थी जो केवल खुशी और असीम प्रेम जानती थी. कृपया उसकी आत्मा और उसके परिवार को अपने दिल में रखें. और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हुए उसे अपने साथ रखें. हम सभी भाग्यशाली हैं कि उसने हमें प्रभावित किया.”
मीम वर्ल्ड में डोज़ के नाम से फ़ेमस ये डॉग फीमेल डॉग थी. जिसका असली नाम था काबोसु. ये जापान में पाई जाने वाली शीबा इनु ब्रीड की डॉग थी.
काबोसु की कहानी की शुरुआत साल 2008 में शुरू हुई थी. दो साल की काबोसु जिस फार्म पर बाकी डॉग्स के साथ रहती थी, वो बंद हो गया था. सभी डॉग्स को वहां से निकाला जा रहा था. ऐसे में प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाली अतसुको सातो वहां पहुंचीं. उन्होंने दो साल की इस नन्ही डॉग को अडॉप्ट कर लिया. अतसुको को इस छोटी सी डॉगी की शक्ल जापान में पाए जाने वाले नींबू जैसे फल से मिलती लगी. तो अतसुको ने इसका नाम भी उसी फल के नाम पर रख दिया. काबोसु.
साल 2022 में काबोसु को थैलेसीमिया डिटेक्ट हुआ था. इसकी जानकारी काबोसु की मालिक अतसुको सातो ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए दी थी. सातो जापान के साकूरा में स्कूल टीचर हैं.
काबोसु से ‘डोज’ का सफरट्विटर पर आए डोज डॉग के लोगो की कहानी आज से 11 साल पहले शुरू हुई थी. इस साल ‘डोज़’ को जानी-मानी क्रिप्टोकरेंसी डोज़ कॉइन का लोगो बनाया गया था. इस लोगो को साल 2013 में डिजाइन किया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस लोगो को बिटकॉइन जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी का मज़ाक उड़ाने के लिए बनाया गया था.
13 फ़रवरी 2010. काबोसु की मालकिन ने अपने पर्सनल ब्लॉग पर काबोसु के साथ अपनी कुछ फोटोज़ अपलोड कीं. इन कई तस्वीरों में से एक फ़ोटो में काबोसु की एक सोलो तस्वीर थी. जिसमें वो अपनी दोनों भौहें उठाए तिरछी निगाहों से कैमरे को देख रही थी.
करीब आठ महीने बाद 28 अक्टूबर 2010 को काबोसु की ये तस्वीर रेडिट डॉट कॉम पर अपलोड की गई. अपलोडर ने काबोसु की फ़ोटो के साथ कैप्शन में पहली बार 'डॉज' शब्द का इस्तेमाल किया था. असल में ये 'डॉज' वर्ड 2005 में एयर हुए अमेरिकन एनिमेटेड टीवी शो 'होमस्टार रनर' के एक एपिसोड से निकला था. कुछ महीने बाद काबोसु की इस तस्वीर को टम्बलर पर भी अपलोड किया गया. सेम कैप्शन के साथ.
खैर, तीन साल ज़्यादा कुछ नहीं हुआ. लेकिन 2013 में अचानक से काबोसु की ये तस्वीर वायरल होने लगी. लोग काबोसु की तस्वीर को अलग-अलग तरीके से एडिट कर धड़ाधड़ शेयर किए जा रहे थे. जुलाई 2013 तक 'डॉज' कीवर्ड ऑनलाइन सर्च में टॉप पर आ गया. एक महीने बाद अगस्त में रेडिट जैसी साइट डॉज मीम्स से भरी पड़ी थीं.
मस्क का ‘डोज़’ से लगाव रहा हैएलन मस्क ने लंबे समय तक डोज़ कॉइन क्रिप्टोकरेंसी को प्रमोट किया है. यहां तक एक समय मस्क अपने आप को ‘डोज़ फादर’ भी कहने लगे थे. इतना ही नहीं, साल 2021 में एलन मस्क ने ‘डोज़ 1’ नाम की सैटेलाइट लॉन्च करने तक की बात कह दी थी. वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, मस्क ने ये तक कह दिया था कि ये सैटेलाइट मिशन डोज़ कॉइन से फंड किया जाएगा.
जनवरी 2022 में एलन मस्क नेहा था कि डोज़ कॉइन का इस्तेमाल कर टेस्ला के प्रोडक्ट्स खरीदे जा सकते हैं. जिसके कुछ महीनों बाद मस्क ने बताया कि टेस्ला ने डोज़ कॉइन को खरीद लिया है. मस्क और डोज़ कॉइन का नाता इतना गहरा है कि ट्विटर खरीदते ही डोज़ कॉइन की कीमत बढ़ गई थी.
वाशिंगटन पोस्ट की खबर के अनुसार 1 अप्रैल को ट्विटर का लोगो बदले के दो दिन बाद डोज़ कॉइन की कीमत में 15 फीसदी का इज़ाफा देखा गया था. इन तमाम बदलावों के बीच ये साफ नहीं हुआ थी कि ट्विटर की होम बटन में ‘डोज़’ की फोटो क्यों दिख रही थी. एलन मस्क ने भी इसको लेकर कुछ नहीं बताया था.
वीडियो: ट्विटर की चिड़िया उड़ी, अब जो कुत्ता आया, पता है उसकी कहानी क्या है?