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मजीद ब्रिगेड, फतेह स्क्वॉड और SOTS के बारे में जानिए जिनकी मदद से बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ट्रेन हाईजैक किया

Balochistan Liberation Army (BLA) ने 11 मार्च को एक ट्रेन हाईजैक कर 180 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया. BLA की फिदायीन यूनिट मजीद ब्रिगेड ने ट्रेन हाईजैक किया है. फतेह स्क्वॉड, STOS और इंटेलिजेंस विंग जिराब ने हाईजैकिंग में मजीद ब्रिगेड की मदद की है.

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Balochistan liberation army majeed brigade fateh squad
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ट्रेन हाईजैक की जिम्मेदारी ली है. (इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
12 मार्च 2025 (Published: 09:34 AM IST) कॉमेंट्स
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पाकिस्तान (Pakistan Train Hijack) के बोलान जिले में 11 मार्च को एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया. ट्रेन का नाम जाफर एक्सप्रेस है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने इस हाईजैकिंग की जिम्मेदारी ली है. BLA ने बताया कि इस हाईजैकिंग में 180 से ज्यादा लोगों को बंधक बनाया गया है. BLA की फिदायीन यूनिट ‘मजीद ब्रिगेड’ ने ट्रेन को हाईजैक किया है. फतेह स्क्वॉड, STOS और इंटेलिजेंस विंग जिराब ने हाईजैकिंग में मजीद ब्रिगेड की मदद की है. अब सवाल उठता है कि आखिर बलूच लिबरेशन आर्मी ने ट्रेन को हाईजैक क्यों किया और ये लोग कौन हैं?

बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA)

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) पाकिस्तान में सक्रिय एक सशस्त्र समूह है. BLA की स्थापना साल 2000 में बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राज्य बनाने के उद्देश्य से की गई थी. इनका दावा है कि पाकिस्तान सरकार ने राजनीतिक और आर्थिक तौर पर बलूचिस्तान की उपेक्षा की है.

BLA ने पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों और सरकारी प्रतिष्ठानों, विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत चीन सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं पर लगातार हमले किए हैं. BLA के ऑपरेशंस आमतौर पर प्रशिक्षित इकाइयों द्वारा संचालित किए जाते हैं, जिनमें ‘मजीद ब्रिगेड’, ‘फतेह स्क्वॉड’ और ‘सुसाइड अटैक यूनिट’ शामिल हैं. ये इकाइयाँ मुख्य रूप से गुरिल्ला हमलों के लिए जानी जाती हैं. BLA पाकिस्तान में प्रतिबंधित है और कुछ देशों में इसे एक आतंकवादी संगठन माना जाता है. इसकी सक्रियता बलूचिस्तान में राजनीतिक स्वायत्तता और संसाधनों तक पहुंच को लेकर चल रहे विवादों को दर्शाती है.

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने अपनी गतिविधियों को पेशेवर तरीके से संगठित किया है. ‘मजीद ब्रिगेड’, ‘फतेह स्क्वॉड’ और ‘स्पेशल टैक्टिकल ऑपरेशंस स्क्वॉड’ (STOS) इसके प्रमुख विंग हैं.

मजीद ब्रिगेड

मजीद ब्रिगेड की स्थापना 2011 में हुई थी. यह BLA का विशेष बल (स्पेशल फोर्स) डिवीजन है. मजीद ब्रिगेड आत्मघाती हमलों में माहिर है. इस ब्रिगेड का नाम अब्दुल मजीद बलूच के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की हत्या का प्रयास किया था. मजीद ब्रिगेड का नाम पाकिस्तान में कई बड़े हमलों से जुड़ा हुआ है.

मजीद ब्रिगेड द्वारा किए गए प्रमुख हमले:
दिसंबर 2011: शफीक मेंगल को निशाना बनाया गया, जिसमें 14 लोग मारे गए और 35 घायल हो गए.
अगस्त 2018: बलूचिस्तान के दलबंदिन में चीनी इंजीनियरों को निशाना बनाया गया.
नवंबर 2018: कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास (कॉन्सुलेट) पर हमला किया गया.
मई 2019: ग्वादर में पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल को निशाना बनाया गया.
अक्टूबर 2024: कराची हवाई अड्डे पर आत्मघाती हमला किया गया और दो चीनी नागरिकों की हत्या कर दी गई.

फतेह स्क्वॉड

फतेह स्क्वॉड मुख्य रूप से बलूचिस्तान के पहाड़ी इलाकों में पाकिस्तानी सैन्य गश्ती दल के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध संचालित करता है. यह सैन्य काफिलों और शिविरों पर घात लगाकर हमला करता है तथा उनके खिलाफ लक्षित (टार्गेटेड) अभियान चलाता है. वर्ष 2024 में 'ऑपरेशन हेरोफ' के तहत फतेह स्क्वॉड ने अन्य BLA गुटों के साथ मिलकर बलूचिस्तान में 14 स्थानों पर नाकेबंदी कर 62 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था.

स्पेशल टैक्टिकल ऑपरेशंस स्क्वॉड (STOS)

STOS बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की एक एलीट फोर्स है. यह संगठन खुफिया जानकारी जुटाने, जासूसी करने और लक्षित हत्याओं को अंजाम देने में विशेषज्ञ है. बशीर जेब बलूच के नेतृत्व में STOS, पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों और उनके स्थानीय सहयोगियों का पता लगाने और उनकी हत्या करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है. STOS का मुख्य कार्य उच्च-मूल्य (हाई वैल्यू) वाले लक्ष्यों को सफाई से खत्म करना और पाकिस्तान की सैन्य योजनाओं को विफल करना है.

स्वतंत्रता के बाद बलूचिस्तान का इतिहास

साल 1947 में ब्रिटेन ने भारत से अपनी वापसी की घोषणा की. उस समय कलात रियासत ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी. (बलूचिस्तान का अधिकतर हिस्सा कलात रियासत में शामिल था.) कलात ने स्वतंत्रता की घोषणा तो कर दी, लेकिन इसकी स्थिति विवादास्पद बनी रही. पाकिस्तान ने कलात के खान के साथ बातचीत की और मार्च 1948 में सेना भेजकर बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया. इस कब्जे के साथ ही वहां असंतोष भड़क उठा और कई सशस्त्र विद्रोह शुरू हो गए.

ये भी पढ़ें - पाकिस्तान में ट्रेन हाइजैक करने वाले BLA ने 30 से अधिक आर्मी जवानों को मार डाला

साल 1948 के अलावा 1958-59, 1973-77 और 2004 के बाद भी बलूचिस्तान में विद्रोह हुए. बलूच राष्ट्रवादी पाकिस्तानी सरकार पर बलूचिस्तान के संसाधनों की लूट का आरोप लगाते हैं और राज्य के संसाधनों में हिस्सेदारी व स्वायत्तता (ऑटोनॉमी) की मांग करते हैं. पाकिस्तानी सरकार ने मिलिट्री की मदद से इन विद्रोहों को दबाने की कोशिश की है. पाकिस्तानी सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगते रहे हैं.

वीडियो: तारीख़: भारत की कौन सी गलती से बलूचिस्तान पाकिस्तान में चला गया?

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