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कश्मीर : ड्यूटी के वक्त शहीद हुआ पुलिसकर्मी मुश्ताक़, दो साल पहले बेटे को पुलिस ने मार दिया था

मुश्ताक अहमद जम्मू-कश्मीर पुलिस में ASI थे. बेटे पर आरोप था कि वो आतंकियों का सहयोगी था.

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आतंकी हमले में शहीद हुए मुश्ताक अहमद (फोटो- आजतक)
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हिमांशु तिवारी
14 जुलाई 2022 (Updated: 14 जुलाई 2022, 04:13 PM IST) कॉमेंट्स
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आंखों से दुख का समंदर छूट गया है. टूट गए हैं कई ख़्वाब. ये परिवार है एक शहीद पुलिसकर्मी का. मुश्ताक अहमद (Mushtaq Ahmad) जम्मू-कश्मीर पुलिस (J&K Police) में ASI थे. श्रीनगर के लाल बाजार में तैनाती थी. ईद के रोज कुछ वक्त के लिए कुलगाम में अपने घर गए. महज चंद घंटे ही बीते थे, फिर फर्ज की ओर लौट आए. ड्यूटी के वक्त आतंकी हमला हुआ और जान चली गई. मुश्ताक लालबाजार में ईद की भीड़ को मैनेज करने वाले पुलिस के एक छोटे से दल के साथ थे. इसी बीच आतंकियों ने हमला कर दिया. फिर इसे कैमरे में कैद कर लिया.

 जब शहीद पुलिसकर्मी का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो घरवालों का सब्र, आंसू, दुख टूट गया, साथ में घरवाले भी. बेबसी इतनी कि टीस के साथ छाती पीटी, रोए, मुश्ताक अहमद के पार्थिव शरीर को देखा और जमीन पर गिर गए, बेहोश हो गए. उठे तो फिर रोए.

अभी हाल ही में मुश्ताक के परिवार ने बेटे आकिब की मौत झेली थी. 

मुश्ताक अहमद का बेटा आकिब

साल 2020 में आकिब का एनकाउंटर हुआ था. कुलगाम में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच जब मुठभेड़ हुई तो आकिब की मौत हो गई. आकिब ने बीटेक की पढ़ाई की थी. सुरक्षा बलों ने आकिब को आतंकियों का सहयोगी बताया था. मुश्ताक के परिवार के जख्म को आतंकियों ने फिर हरा कर दिया है.  बिलखते परिवार के सामने मुश्ताक की जांबाजी, कुर्बानी को सलामी दी गई. 

उधर, नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा-

'2020 में इसका बेटा मारा गया था. वो मिलिटरी ने मारा था. आज अफसोस इस बात का है इसको मिलिटेंट (आतंकियों) ने मार डाला है. ये समझ नहीं आता है कि मारने वाला कौन है और बचाने वाला कौन. ये हैरानी है. मगर हम सब इस जमात के जो भी हैं, हम इसकी निंदा करते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं कि अल्लाह इसे अपनी रहमत में जगह दे. अल्लाह इसके बाकी बचे हुए लोगों को हिफाजत में रखे और वो ये सदमा बर्दाश्त कर सकें. साथ-साथ हुकूमत से भी ये कहूंगा कि मेहरबानी करके इसका मुआवजा इतना अच्छा होना चाहिए जो घर बच सके. ये कारवां मिलिटेंसी का खत्म होने वाला नहीं है. इनके नेता बार-बार बयान देते हैं कि ये खत्म हो गया. मैं इनसे कहता हूं कि ये खत्म नहीं होगा जबतक आप कश्मीर के लोगों के दिलों को जीतने की कोशिश नहीं करेंगे और हमारे पड़ोसी मुल्क से बात करने के बाद इसका हल नहीं तलाशेंगे. जबतक इसका हल नहीं ढूंढा जाएगा तबतक हम इसमें पिसते रहेंगे.'

सियासतदां की तमाम मांगें हैं. लेकिन कहां इन मांगों से जख्मों की तुरपाई होनी है. ताउम्र दर्द शहादत के किस्सों के बीच से झांकता रहेगा.

देखें वीडियो- ASI मुश्ताक अहमद को आतंकियों ने मार डाला, दो साल पहले हुआ था बेटे का एनकाउंटर

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