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अरुण गोविल अगर 'टीवी के राम' नहीं बनते, तो क्या हॉट फोटोशूट करवा लेते?

रामायण के एक्टर्स देवी-देवता की इमेज से कभी उबर नहीं पाए.

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रामानंद सागर ने रामायण (1987) के बाद लव कुश (1988), श्री कृष्णा (1993) और जय गंगा मैया (1998) जैसे सीरियल्स का निर्माण भी किया.
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नेहा
5 मार्च 2020 (Updated: 5 मार्च 2020, 03:44 PM IST) कॉमेंट्स
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बचपन में दूरदर्शन पर 'रामायण' आता था. अधिकांश परिवार भक्तिभाव से बैठकर देखता था. कुछ अंग्रेजी मैगज़ीन भी घर में रहती थीं, जिनके सिर्फ चित्र समझ में आते थे. अगर उस मैगज़ीन में 'रामायण' वाले 'राम' सेमी न्यूड पोज देते नजर आते, तो कैसा लगता? पता नहीं. क्योंकि ऐसा कभी हुआ नहीं. क्योंकि अरुण गोविल ने सोचा कि ये उनके दर्शकों के साथ नाइंसाफी होगी. उनके साथ धोखा होगा.

हॉट फोटोशूट का ऑफर

अरुण गोविल और दीपिका चिखालिया कॉमेडियन और एक्टर कपिल शर्मा के शो पर पहुंचे थे. यहां उन्होंने बताया कि 'रामायण' के दौरान कई मैगज़ीन ने हॉट फोटोशूट के लिए उन्हें अप्रोच किया था. लेकिन किसी भी एक्टर ने वो ऑफर एक्सेप्ट नहीं किए.


जब हम 'रामायण' में काम कर रहे थे, मुझे और कई एक्टर्स को फेमस मैगज़ीन्स ने हॉट फोटोशूट के लिए अप्रोच किया. वो लोग हमें शूट करने के लिए इतने बेकरार थे कि बहुत बड़ा अमाउंट ऑफर करते थे. ताकि हम मना न कर सकें. लेकिन हम में से किसी ने उनके ऑफर स्वीकार नहीं किए. हमें लगता था कि हमारे दर्शक हमें देखते हैं. उनका हम पर विश्वास है. हम पैसों के लिए उनके विश्वास तोड़ने का रिस्क नहीं ले सकते थे.

देवी-देवता की इमेज से नहीं उबर सके एक्टर्स

रामानंद सागर की 'रामायण' का पहला एपिसोड 25 जनवरी 1987 को टेलीकास्ट हुआ था. 'राम' के किरदार में थे अरुण गोविल. 'सीता' बनी थीं दीपिका चिखालिया. लेकिन लोगों के लिए वो भगवान 'राम-सीता' बन गए थे. आलम ये था कि दीपिका और अरुण कही शूटिंग करते या आते-जाते मिल जाते, तो लोग ऑटोग्राफ लेने की बजाय उनके पैर छूने दौड़ पड़ते थे. ये शो करीब डेढ़ साल चला था. लेकिन उनकी इमेज ने सालों तक उनका पीछा नहीं छोड़ा.


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रामायण में अरुण गोविल, दीपिका चिखालिया और सुदेश लाहिरी  राम, सीता और लक्ष्मण बने थे. (फोटो सोर्स-ट्विटर)

सिगरेट पीना छोड़ दी

2014 में दिए एक इंटरव्यू में अरुण ने कहा था कि 'राम' के किरदार ने उनकी निजी जिंदगी को भी काफी प्रभावित किया था. शो बंद होने के बाद भी वह कभी 'राम' की छवि से उबर नहीं सके. लोग सामान्य कपड़ों में उन्हें काफी हैरानी से देखते थे. जवानी के दिनों में वो चेन स्मोकर हुआ करते थे, लेकिन सिर्फ 'राम' के कैरेक्टर की वजह से उन्हें पब्लिक प्लेस में सिगरेट पीना छोड़ दिया.

शॉर्ट ड्रेस नहीं पहन पाईं दीपिका

कुछ ऐसा ही कहना था दीपिका का. 2018 में दिए एक इंटरव्यू में दीपिका ने कहा था कि वो शो खत्म होने के सालों बाद भी शॉर्ट ड्रेसेस नहीं पहन पाईं, क्योंकि लोग उन्हें 'सीता' मां के नजरिए से देखते थे.


'सीता' जी को शॉर्ट ड्रेस में देखकर कई लोग अपसेट हो सकते थे. तो मैं इस बात का ध्यान रखती थी कि मेरी वजह से कोई अपसेट न हो.

दीपिका ने 'टीपू सुल्तान की तलवार', 'विक्रम और बेताल' और 'लव-कुश' जैसे ज्यादातर धार्मिक सीरियल्स में काम किया था. इंटरव्यू में दीपिका ने कहा था कि वो अपनी 'देवी' की इमेज की वजह से फिल्मों और सीरियल्स में भी उसी तरह के किरदार चुनती थीं. रामानंद सागर ने रामायण (1987) के बाद लव कुश (1988), श्री कृष्णा (1993) और जय गंगा मैया (1998) जैसे सीरियल्स का निर्माण भी किया था.




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