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  • Agriculture Minister NS Tomar says Govt has accepted farmers' demand, there is no point in continuing farmers' agitation

संसद सत्र शुरू होने से पहले सरकार ने किसानों की कौन सी एक मांग मान ली?

कृषि मंत्री ने क्या अपील की है.

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से घर वापस जाने की अपील की.
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उमा
27 नवंबर 2021 (Updated: 27 नवंबर 2021, 10:35 AM IST)
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प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है. पीएम ने किसानों से आंदोलन खत्म कर घर लौटने की अपील की थी. अब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की कुछ मांगों को मानते हुए उन्हें वापस जाने की अपील की. मीडिया से बात करते हुए कृषि मंत्री ने कहा-

किसान आंदोलन की शुरुआत कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हुई थी. जिसे सरकार ने गुरुनानक देव के प्रकाश वर्ष के अवसर पर वापस लेने का ऐलान कर भी दिया. संसद के पहले दिन ही इन्हें वापस लेने के लिए बिल प्रस्तुत किया जाएगा. साथ ही पीएम मोदी ने ज़ीरो बजट के दिन क्रॉप डायर्सिफिकेशन MSP को और प्रभावी, पारदर्शी बनाने जैसे विषयों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की है. इस समिति में आंदोलनरत किसानों के प्रतिनिधि भी रहेंगे. इससे किसानों की मांग पूरी होती है.

उन्होंने किसानों पर दर्ज केस पर भी अपनी बात रखी. कहा-

किसान संगठनों ने पराली जलाने पर कहा था कि किसानों पर क्रिमिनल ऑफेन्स का जो केस है उससे उन्हें मुक्त किया जाए. भारत सरकार ने इस मांग को भी मान लिया है. जहां तक आंदोलन के दौरान केस रजिस्टर्ड का सवाल है, वह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का विषय है. राज्य सरकारें केस की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उस पर निर्णय करेंगी.

इसके अलावा उन्होंने किसानों से घर वापस जाने की अपील की. कहा-

मुआवजे का सवाल भी राज्य सरकारों के अधीन है. वह अपनी नीति के अनुसार इस पर फैसला करेंगी. तीनों कानूनों के वापस लेने की घोषणा करने के बाद मैं समझता हूं कि अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता है. इसलिए मैं किसान संगठन और किसानों को यह निवेदन करना चाहता हूं कि वो अपना आंदोलन समाप्त करें और बड़े मन का परिचय दें. प्रधानमंत्री जी की जो घोषणा है, उसका आदर करें. और अपने-अपने घर लौटना सुनिश्चित करें.

दरअसल,  संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने PM मोदी को एक खुला पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने 6 मांगें पूरी करने की मांग की थी.  लिखा था कि तीन काले कानूनों को रद्द करना ही उनकी एकमात्र मांग नहीं है. जब तक सरकार उसकी इन 6 मांगों पर बात नहीं करती है और समाधान नहीं निकलती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. इन 6 मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य,विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021 का ड्राफ्ट वापस लेना, मुकदमों को वापस लेना और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवार को मुआवजा जैसी मांग शामिल है.

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