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अग्निवीर अमृतपाल को इसलिए नहीं दिया गार्ड ऑफ ऑनर, सेना ने अब क्या वजह बताई?

सेना ने कहा- सशस्त्र बल अग्निपथ योजना से पहले या बाद में शामिल हुए सैनिकों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता है. तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है.

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armed forces do not differentiate says indian army on agniveer amritpal singh no guard of honour controversy
अग्निवीर अमृपाल सिंह (फोटो- ट्विटर)
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ज्योति जोशी
16 अक्तूबर 2023 (Updated: 16 अक्तूबर 2023, 09:44 AM IST)
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पंजाब के मृतक आर्मी जवान अमृतपाल सिंह (Agniveer Amritpal Singh) को गार्ड ऑफ ऑनर ना मिलने को लेकर खूब विवाद हुआ. विपक्ष ने सरकार और अग्निवीर योजना पर कई सवाल उठाए. अब मामले पर सेना ने सफाई देते हुए बताया कि जवान ने सुसाइड किया था. बताया गया कि नियमों के हिसाब से इस तरह के मामलों में मृतक को सैन्य सम्मान नहीं दिया जाता है.

10 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के पुंछ में LoC के पास तैनात जवान अमृतपाल सिंह की गोली लगने से मौत हो गई थी. वो अग्निवीर योजना के जरिए सेना में भर्ती हुए थे. खबर आई कि जवान को सेना की तरफ से ना तो गार्ड ऑनर दिया गया और ना ही अंतिम विदाई. एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें जवान परिजन पार्थिव शरीर को कंधा देते नजर आए. इस पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, RLD जैसी पार्टियों अग्निवीर योजना और सरकार को जमकर घेरा.

सेना ने क्या जवाब दिया? 

15 अक्टूबर को एक पोस्ट में सेना ने जानकारी दी,

अग्निवीर अमृतपाल सिंह की दुर्भाग्यपूर्ण मौत को लेकर कुछ गलतफहमियां हैं. तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है. सशस्त्र बल अग्निपथ योजना से पहले या बाद में शामिल हुए सैनिकों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता है.

आगे लिखा,

ये परिवार और भारतीय सेना के लिए एक गंभीर क्षति है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने ड्यूटी के दौरान सुसाइड कर ली. मेडिकल-कानूनी प्रक्रियाओं के बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए एस्कॉर्ट पार्टी के साथ सेना की व्यवस्था के तहत मूल स्थान पर ले जाया गया.

बयान में जानकारी दी गई,

1967 के मौजूदा सेना आदेश के मुताबिक, आत्महत्या के चलते होने वाली मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं मिलिट्री फ्यूनेरल के हकदार नहीं हैं. इस मामले पर बिना किसी भेदभाव के नीति का लगातार पालन किया जा रहा है. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 2001 के बाद से 100 से 140 सैनिकों के बीच औसत वार्षिक क्षति हुई है जहां आत्महत्या के चलते मौतें हुईं. ऐसे मामलों में सैन्य अंत्येष्टि की अनुमति नहीं दी गई.

ये भी पढ़ें- मृतक जवान को सेना ने नहीं दिया 'गार्ड ऑफ़ ऑनर', अग्निवीर स्कीम को क्यों घेरा जा रहा?

बता दें, अमृतपाल सिंह पंजाब के मनसा के रहने वाले हैं. उन्होंने पिछले महीने ही सेना में ड्यूटी शुरू की थी. वो मनकोट सेक्टर में एक अग्रिम चौकी पर सिपाही के पद पर तैनात थे. 10 अक्टूबर की सुबह जम्मू-कश्मीर में उनकी मौत हो गई. शुरुआती जांच में सामने आया कि गोली जवान की ही सर्विस राइफल से चली थी. हालांकि ये साफ नहीं हुआ था कि सैनिक की मौत एक्सीडेंट से हुई है या उन्होंने आत्महत्या की. 13 अक्टूबर को अमृतपाल सिंह का अंतिम संस्कार उनके गांव कोटली कलां में हुआ.

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