सियाचिन में जान गंवाने वाले अग्निवीर के माता-पिता बोले- 'नहीं चाहते थे बेटा सेना में शामिल हो'
ग्रेजुएशन के बाद अक्षय अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती हुए थे. तीन महीने पहले ही वे चुने गए थे. नासिक आर्टिलरी सेंटर से ट्रेनिंग के 15 दिन बाद सियाचिन में उनको तैनात किया गया.

‘अग्निपथ योजना’ के तहत भारतीय सेना में भर्ती होने वाले अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण गावटे (Agniveer Akshay Gawate) की 21 अगस्त को ड्यूटी के दौरान मौत हो गई. उस दौरान वो सियाचिन में तैनात थे. अब उनके परिवार वालों ने कहा है कि वे नहीं चाहते थे कि अक्षय सेना में भर्ती हो. दो दिन बाद 23 अक्टूबर को महाराष्ट्र के बुलढाणा में उनका अंतिम संस्कार हुआ. उनके माता-पिता अपने इकलौते बेटे की असमय मौत से बेहद दुखी हैं.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 22 साल के अक्षय का पार्थिव शरीर 23 अक्टूबर को बुलढाणा में उनके गांव पहुंचा था. यहां उनके पिता लक्ष्मण गावटे ने बताया कि वे अक्षय पर चिल्लाते थे. उसे सेना में भर्ती होने के लिए हतोत्साहित करते थे. उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते थे कि अक्षय सेना में शामिल हो क्योंकि वो उनका इकलौता बेटा था. लेकिन अक्षय पर सेना में शामिल होने का जुनून सवार था.
दिल का दौरा पड़ने से हुई अक्षय की मौतपिता लक्ष्मण गावटे ने बताया कि वे और उनकी पत्नी दोनों अक्षय के बारे में बहुत चिंतित रहा करते थे. वे लगातार अक्षय से बात करते रहते थे. हमेशा उसे सेना में शामिल नहीं होने के लिए कहते. उन्हें डर था कि अगर अक्षय को कुछ हो गया तो बुढ़ापे में वे दोनों क्या करेंगे.
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51 साल के लक्ष्मण गावटे पेशे से किसान हैं. उन्होंने बताया कि उनका सबसे बड़ा डर सच हो गया. उन्होंने इतनी कम उम्र में अपना बेटा खो दिया. परिवार के सदस्यों का कहना है कि अक्षय की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. भारतीय सेना ने उन्हें इस बात की जानकारी दी.
NCC कैडेट भी थे अक्षयपरिवार ने ये भी बताया कि अक्षय को 10वीं क्लास से ही सेना में भर्ती होने का शौक था. तैयारी के लिए उसने दौड़ना भी शुरू किया था. साथ ही उसने राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) में भी दाखिला लिया था.
ग्रेजुएशन के बाद अक्षय अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती हुए थे. तीन महीने पहले ही वे चुने गए थे. उन्होंने नासिक आर्टिलरी सेंटर में प्रशिक्षण लिया. इसके 15 दिन बाद सियाचिन में उनको तैनात किया गया. अक्षय भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स का हिस्सा थे.
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काराकोरम पर्वतीय श्रृंखला में लगभग 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्य क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है. यहां तैनात सैनिकों को बहुत अधिक ठंड और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है.
पिछले साल जून में केंद्र सरकार ने सेना में भर्ती प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया था. इसे ही अग्निपथ योजना कहा गया और भर्ती होने वाले रंगरूटों ‘अग्निवीर’. अग्निवीर का कार्यकाल चार सालों का होगा. चार साल बाद इनमें से सिर्फ 25 फीसदी को स्थायी नौकरी मिलेगी. इस योजना के खिलाफ बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
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