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किसी पार्टी में नहीं जाऊंगी, लेकिन चुनाव जरूर लड़ूंगी: इरोम

16 साल बाद अनशन ख़त्म करने के बाद इरोम शर्मिला का पहला इंटरव्यू.

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श्री श्री मौलश्री
11 अगस्त 2016 (Updated: 11 अगस्त 2016, 06:15 AM IST) कॉमेंट्स
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इरोम शर्मिला साल 2000 से भूख हड़ताल पर थीं. AFSPA (आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट) हटवाने के लिए. अब 9 अगस्त 2016 को इरोम ने अपनी भूख हड़ताल ख़त्म कर दी है. वो भी अपनी शर्तों पर. इरोम अब चुनाव लड़ना चाहती हैं. और मैदान में उतरकर समाज में बदलाव लाना चाहती हैं. भूख हड़ताल ख़त्म करने के बाद उन्होंने एक इंटरव्यू दिया. उस इंटरव्यू के कुछ हिस्से पढ़ लीजिए.
अपना अनशन तोड़ने के एक दिन बाद आपको कैसा लग रहा है? जब शहद की पहली बूंद आपके मुंह में गई, आपको कैसा लगा?बहुत ही अच्छा. 16 सालों बाद अपना अनशन ख़त्म करने का फैसला आपने कैसे लिया?मैं दुनिया को दिखाना चाहती हूं कि मैं पूरे समाज की भलाई के लिए काम कर रही हूं. ताकि ऐसे घटिया कानून हमेशा के लिए ख़त्म किए जा सकें.कल आपने कहा था कि आप महात्मा गांधी नहीं हैं. और आप किसी से प्यार करती हैं. क्या अब आप एक नॉर्मल ज़िन्दगी बिताना चाहती हैं. इस सारे अनशनों और लड़ाई-झगड़ों से दूर?मैंने बस अपना तरीका बदल लिया है. ये सच है कि अब मैं पहले से ज्यादा नॉर्मल महसूस करूंगी. लेकिन मैं मानती हूं कि असली आज़ादी तब तक हासिल नहीं होगी, जब तक मेरा लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता.सुनने में आ रहा है कि आप आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकती हैं. ये सच है या आप अपनी लड़ाई अकेले ही लड़ेंगी?अरे नहीं, मैं चुनाव लडूंगी. लेकिन एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर. किसी पार्टी में शामिल होकर नहीं.चुनाव लड़ने के लिए पैसे की ताकत लगती है. क्या आप चुनाव लड़ने के लिए ये समझौता कर पाएंगी?अरे, मैं वोट कभी भी खरीदूंगी नहीं. मैं किसी भी तरह की बाहरी ताकत पर डिपेंड नहीं हूं. चाहे वो पैसा हो या बाहूबली. इसे ही मैं बदलाव मानती हूं. इसे ही मैं समाज को बदलना कहती हूं.आप जहां रहती थीं. आपको उस कॉलोनी से निकाल दिया गया था. मंदिर में जाने नहीं गया था. क्या आपको लगता है मणिपुर के लोग आपके संघर्ष को समझ नहीं पाए हैं? वो लोग आपसे दूर हो रहे हैं?उनको अभी ये समझने में वक़्त लगेगा. लेकिन मुझे उम्मीद है वो समझ जाएंगे.आपके इस 16 साल के संघर्ष में आपको सबसे बड़ी उपलब्धि क्या लगती है?जब कंगला फोर्ट से असम की बंदूकें हटा ली गई थीं.क्या आपको लगता है दिल्ली ने हमेशा मणिपुर को हमेशा अनदेखा किया है. अन्ना हजारे ने एक महीने अनशन किया और सरकार को झुकना पड़ गया. लेकिन आपका अनशन इतने सालों से अनदेखा किया गया.मुझे लगता है दिल्ली ने मुझे हमेशा अनदेखा ही किया है. और मणिपुर के लोकल लोगों ने भी. सब खुश थे कि मैंने एक अच्छे काम के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. बस. इन 16 सालों के अनशन में सबसे मुश्किल चीज़ क्या रही आपके लिए?मुझे नहीं पता. मुझे सच में नहीं पता.क्या अब आप अपनी मम्मी से मिलेंगी? आप उनको मिस नहीं करतीं?अभी तो नहीं मिलूंगी. लेकिन मैं उनको बहुत मिस करती हूं.

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