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हेमंत सोरेन से जुड़ा अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला क्या है? वकील गिरफ्तार हुआ है

शेल कंपनियां बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग और खनन मंत्री रहते हुए खुद के नाम खदान का पट्टा हासिल करने के मामले में सोरेन के खिलाफ दो केस चल रहे हैं.

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Hemant-Soren
हेमंत सोरेन. (इंडिया टुडे)
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सौरभ
1 अगस्त 2022 (Updated: 1 अगस्त 2022, 10:51 PM IST)
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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ PIL दायर करने वाले वकील राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने रविवार 31 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया. उन पर आरोप है कि उन्होंने लोगों के साथ 50 लाख की धोखाधड़ी की. राजीव कुमार ने सीएम हेमंत सोरेन पर माइनिंग लीज़ मामले और फर्जी कंपनियां बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में PIL दायर की हैं. इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता पुलिस ने बताया है कि उसने झारखंड पुलिस के इनपुट्स के आधार पर राजीव कुमार को गिरफ्तार किया. पुलिस सूत्रों के हवाले से छपी खबरों के मुताबिक राजीव के पास से 'कुछ कैश' बरामद' किया गया है.

कौन हैं राजीव कुमार?

हेमंत सोरेन के खिलाफ केस करने वाले राजीव कुमार को झारखंड में 'PIL मैन' के नाम से जाना जाता है. राजीव ने शिव शंकर शर्मा की तरफ से तीन PIL दायर की हैं. इनमें से दो में सीधे तौर पर हेमंत सोरेन पर आरोप हैं, जबकि तीसरा मामला झारखंड में मनरेगा में गड़बड़ियों के आरोपों से जुड़ा है. मनरेगा मामले में हेमंत सोरेन के अधीन आने वाले माइनिंग महकमें की सचिव रहीं पूजा सिंघल और मुख्यमंत्री के करीबी पंकज मिश्रा को ED गिरफ्तार कर चुकी है.

ये पहला मामला नहीं है जब राजीव कुमार चर्चा में आए हैं. हेमंत सोरेन से पहले झारखंड के मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के रघुबर दास के खिलाफ भी राजीव PIL दायर कर चुके हैं. रघुबर दास ने मुख्यमंत्री रहते हुए 2017 में 'मोमेंटम झारखंड ग्लोबल इन्वेस्टर प्रोग्राम' का आयोजन कराया था. इसका उद्देश्य था झारखंड में कंपनियां इन्वेस्ट करें और रोज़गार पैदा हो. खबरों के मुताबिक राजीव कुमार ने ये आरोप लगाए थे कि मोमेंटम झारखंड को आयोजित करने में 100 करोड़ खर्च किए गए, लेकिन राज्य में इन्वेस्टमेंट नहीं आया. PIL में कहा गया कि इस कार्यक्रम के आयोजन के नाम पर रघुबर दास के करीबियों को फायदा पहुंचाया गया.

इसी साल फरवरी में राजीव कुमार ने हेमंत सोरेन के माइनिंग से जुड़े मामले में एक याचिका में खुद के लिए सुरक्षा की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं.

हेमंत सोरेन पर क्या केस हैं?

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ शिव शंकर शर्मा की तरफ से 2021 में राजीव कुमार ने एक PIL दर्ज की. इस केस में सोरेन पर आरोप हैं कि उनकी कई शेल कंपनियां हैं, यानी फर्जी कंपनी, जिनकी मदद से सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं. और दूसरा मामला जुड़ा है माइनिंग से. इस केस में आरोप है कि मुख्यमंत्री के पास माइनिंग मंत्रालय का भी जिम्मा था और इसी दौरान उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए खुद के नाम एक खदान का पट्टा ले लिया.

शेल कंपनी मामला

मनी लॉन्ड्रिंग को सरल भाषा में समझें तो काले धन को सफेद करना. आरोपों के मुताबिक, सोरेन शेल कंपनियों की मदद से अवैध तरीके से कमाए गए धन को वैध बनाते हैं. PIL में दिए गए इन कंपनियों के नाम अब तक पब्लिक डोमेन में नहीं आए हैं यानी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. मनी लॉन्ड्रिंग का मामला होने की वजह से ED भी इस केस से जुड़ी. इसके बाद केंद्र सरकार भी इस मामले में पार्टी बन गई.

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े अभिषेक अंगद की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने हाईकोर्ट में बंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी. दी लल्लनटॉप से बातचीत में रोहतगी ने बताया कि इन कंपनियों के तार और भी कई बड़े लोगों से जुड़े हैं. हालांकि ना ये नाम सामने आए, ना ही कंपनियां.

खदान से जुड़ा केस क्या है?

साल 2021 में हेमंत सोरेन ने रांची के अंगारा ब्लॉक में 0.88 एकड़ की एक खदान का पट्टा हासिल करने के लिए आवेदन दिया. आवेदन नया नहीं था, रिन्यू कराने के लिए था. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 14 मार्च, 2021 को सोरेन और गांव के 9 लोगों के बीच जमीन की लीज़ को लेकर करार हो जाता है. 28 मई, 2021 को सोरेना रांची डिस्ट्रिक्ट माइनिंग ऑफिसर (DMO) के पास पट्टे के लिए आदेवन करते हैं. 1 जून को DMO अंगारा सर्किल ऑफिसर को जांच पड़ताल करने का आदेश देते हैं. 7 जून को अंगारा ग्राम पंचायत बैठती है और माइनिंग का अप्रूवल दे देती हैं. उसी दिन DMO को लिखित तौर अप्रूवल की जानकारी दे दी जाती है. 

इसके बाद 15 जून 2021 को रांची के डिप्टी कमिश्नर एक लेटर ऑफ इंटेंट जारी करते हैं, जिसमें कुछ शर्तों के साथ माइनिंग लीज को इजाजत मिल जाती है. हेमंत सोरेन 9 सितंबर को एनवायरनमेंट क्लियरेंस के लिए आवेदन देते हैं. 22 सितंबर को स्टेट इनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी क्लियरेंस दे देती है. इसके बाद खदान पर सोरेन का पट्टा हो जाता है.

इस पूरी कहानी में एक पेच है. जिस समय सोरेन ने खनन के लिए पट्टे का आवेदन दिया था, उस दौरान खनन और पर्यावरण दोनों महकमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ही अधीन थे. तो मामला थोड़ा गंभीर इसलिए हो जाता है कि क्योंकि आरोप लगता है कि हेमंत सोरेन ने पद का लाभ उठाया है. ये मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया है और आयोग सोरेन को तलब भी कर चुका है. उसने नोटिस जारी कर सोरेन से पूछा कि खनन का पट्टा हासिल करने के लिए उन्हें पद का लाभ उठाने के लिए अयोग्य क्यों ना करार दिया जाए. यानी इस मामले में सोरेन की कुर्सी पर भी तलवार लटक रही है.

इंडिया टुडे मैग्ज़ीन के 1 जून, 2022 के संस्करण में छपी अमिताभ श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील राजीव रंजन ने हाईकोर्ट में बताया कि सोरेन ने फरवरी, 2022 को इस पट्टे को वापस कर दिया था. कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में सोरेन की तरफ से कहा गया है कि खनन के लिए 10 साल का पट्टा 17 मई, 2008 को लिया गया था. 2018 में रिन्यू के लिए दोबारा आवेदन किया. अवधि खत्म हो गई तो 2021 में फिर से आवेदन किया गया था.

कोर्ट में हेमंत सोरेन की तरफ से कहा गया है कि उन्होंने खुदाई शुरू करने से पहले ही पट्टा लौटा दिया था, यानी कोई मुनाफा नहीं कमाया गया. उनका ये भी कहना है कि 'पट्टा हासिल कर लेने भर से किसी विधायक को अयोग्य घोषित करना जरूरी नहीं है.' सोरेन आरोप लगाते हैं कि एक लोकतांत्रिक सरकार को अस्थिर करने के लिए इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं.

इस मामले में भी शिव शंकर शर्मा की तरफ से वकील राजीव कुमार ने PIL दायर की थी. इस मामले में झारखंड सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे हैं. सिब्बल ने कोर्ट में इस याचिका की वैधता पर ही सवाल उठा दिए हैं. सिब्बल ने कहा है कि शिव शंकर शर्मा के पिता हेमंत सोरेन के पिता और झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन के एक केस में मुख्य गवाह हैं. और याचिका में इस बात को छिपाया गया है.  

वीडियो: क्या BJP झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है?

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