मणिपुर की मुख्यमंत्री बनना चाहती हूं: इरोम शर्मिला
16 साल पुरानी भूख हड़ताल खत्म कर बोलीं इरोम शर्मिला- अपने नाम आयरन लेडी को अब जी जाऊंगी.
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फोटो - thelallantop
इरोम शर्मिला ने मंगलवार को कहा, मुझे लोग आयरन लेडी कहते हैं, अब मुझे इस नाम के मुताबिक जीना भी है. मुझे ये समझ नहीं आ रहा, क्यों कुछ ग्रुप मेरे राजनीति में आने के खिलाफ हैं. मैं कोई देवी नहीं हूं. मैं चुनाव आयोग से मिलकर चुनाव लड़ने के बारे में बात करुंगी. फिर किसी सोच नतीजे पर पहुंच फैसला लूंगी. बता दें कि इरोम को 10 हजार रुपये के बॉन्ड पर कोर्ट ने रिहा कर दिया है.https://twitter.com/ANI_news/status/762960791251267585 भूख हड़ताल खत्म करते बख्त इरोम शर्मिला ने कहा था,
'सरकार की तरफ से अब तक कोई पॉजिटिव रिप्लाई नहीं मिला है. इसी के चलते मैं अपना 16 साल पुराना उपवास जल्द तोड़ दूंगी. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए मैं चुनाव लड़ूंगी.'https://twitter.com/ANI_news/status/757859200466812928 इरोम शर्मिला को आयरन लेडी भी कहते हैं. साल 2000 से इरोम AFSPA (आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट) हटवाने को लेकर भूख हड़ताल पर हैं. कई बार सरकार कोशिश कर चुकी है कि इरोम भूख हड़ताल खत्म करें. लेकिन इरोम टस से मस न हुईं. भूख हड़ताल को लेकर इरोम शर्मिला पर केस भी चल रहा है कोर्ट में. खुदकुशी की कोशिश करने का केस. दरअसल, 2006 में इरोम अपनी आवाज सत्ता तक पहुंचाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर आकर बैठ गई थीं, केस दर्ज हुआ कि ये गलत है. साल 2013 में इरोम शर्मिला पर ट्रायल भी चलाया गया. कब और क्यों शुरू हुई भूख हड़ताल? नवंबर 2000 की बात है. इम्फाल एयरपोर्ट के पास असम राइफल्स की फायरिंग में 10 नागरिकों की मौत हो गई थी. इसके बाद से ही शर्मिला भूख हड़ताल पर बैठ गई थीं. 2014 लोकसभा चुनाव में इरोम शर्मिला को दो पार्टियों ने चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, पर इरोम ने मना कर दिया. इरोम के नाम सबसे लंबी भूख हड़ताल पर रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. भूख हड़ताल पर बैठने से पहले भी इरोम मणिपुर में एक्टिविस्ट थीं. मानवाधिकारों की बात करतीं. कविताएं लिखतीं. AFSPA क्या है? कानून है. 1958 में आया था. हिंदी में कहते हैं सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून. जइसा कि नाम से ही क्लीयर है. विशेषाधिकार समेटे है ये कानून. शुरू में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में लागू हुआ था. 1990 में जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया. 2004 में मणिपुर के कई हिस्सों से कानून को हटा दिया गया. AFPSA आर्मी को कुछ स्पेशल अधिकार देता है. जैसे... 1. शक होने पर बिना किसी वारंट के आर्मी को तलाशी लेने का गिरफ्तार करने का अधिकार होता है. 2. अगर सेना के जवान ये पाते हैं कि कोई कानून तोड़ रहा है और वहां AFPSA लगा हुआ है तो फायरिंग का अधिकार जवान को प्राप्त है. फायरिंग में अगर किसी की मौत हो जाती है, तो इसको लेकर कोई जिम्मेदारी जवान की नहीं होगी. फिर चाहे मरने वाला निर्दोष ही क्यों न हो.