The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • 2 more cheetah cubs died in ku...

कूनो नेशनल पार्क में हो क्या रहा है, दो और चीता शावक मर गए

जानकारों का कहना है कि आगे और भी मौतों की आशंका है.

Advertisement
Cheetah cubs died in Kuno
कूनो नेशनल पार्क में अब तक 3 चीता शावकों की मौत हो गई है. (फोटो सोर्स- आज तक)
pic
शिवेंद्र गौरव
25 मई 2023 (Updated: 25 मई 2023, 08:18 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता ज्वाला के दो और शावकों की मौत (Cheetah cubs died) हो गई है. आख़िरी बचे शावक की भी हालत गंभीर बताई गई है. शावकों की मौत की वजह कुपोषण और शरीर में पानी की कमी बताई जा रही है. ये भी कहा गया है कि ज्यादा गर्मी के चलते भी उनके स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ रहा था.

करीब 2 महीने पहले ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया था. मंगलवार, 23 मई को उसके एक शावक की मौत हो गई थी. इंडिया टुडे से जुड़े हेमंत और मिलन की खबर के मुताबिक उसके बाद से ज्वाला और बाकी बचे 3 शावकों की निगरानी की जा रही थी. तीनों की हालत खराब थी. गुरुवार को दो और शावकों ने दम तोड़ दिया.

कूनो नेशनल पार्क के चीफ फ़ॉरेस्ट गार्ड द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज के मुताबिक, सुबह ज्वाला को सप्लीमेंट फ़ूड दिया गया था. लेकिन दोपहर बाद तीनों शावकों की हालत बिगड़ गई. इसके बाद नेशनल पार्क के ही डॉक्टर्स ने उनका इलाज शुरू किया. लेकिन इलाज के दौरान शावकों की मौत हो गई. चार में से अब तक तीन शावक दम तोड़ चुके हैं. चौथे का भी गंभीर हालत में इलाज चल रहा है. इसके लिए नामीबिया और साउथ अफ्रीका के डॉक्टर्स की सलाह भी ली जा रही है.

प्रेस रिलीज के मुताबिक, इन शावकों ने करीब एक हफ्ते पहले ही मां के साथ घूमना शुरू किया था. वे बहुत कमजोर थे. वजन सामान्य से कम था. प्रेस रिलीज में ये भी कहा गया है कि 23 मई को सबसे ज्यादा गर्मी पड़ी थी. दिन का टेम्प्रेचर 46 से 47 डिग्री सेल्सियस रहा था. इसका प्रभाव भी शावकों पर पड़ा.

क्या सिर्फ यही दिक्कतें हैं?

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका के एक वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट का मानना है कि अगर इन चीतों के लिए बड़े पैमाने पर फेंसिंग नहीं की गई तो आगे आने वाले दिनों में और भी चीतों की मौतें हो सकती हैं.

साउथ अफ्रीका की चीता मेटापापुलेशन प्रोजेक्ट अथॉरिटी के मैनेजर विन्सेंट वान डेर मर्व, कूनो में अफ्रीकी चीते बसाए जाने के प्रोजेक्ट से जुड़े रहे हैं. विन्सेंट के मुताबिक, किसी जानवर को एक जगह से दूसरी जगह बसाने के लिए सुरक्षित बाड़ेबंदी करना जरूरी है. इतिहास में बिना बाड़ेबंदी के इस तरह का कोई प्रोजेक्ट सफल नहीं हुआ है. भारत में भी चीतों के लिए दो से तीन जगहों पर फेंसिंग करनी होगी. क्योंकि जब चीते अपना इलाका तय करने की कोशिश करते हैं तो उनका सामना बाघ और तेंदुए जैसे जानवरों से होता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, एक न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए विन्सेंट कहते हैं,

"साउथ अफ्रीका में बिना फेंसिंग के री-इंट्रोडक्शन की कोशिश 15 बार हुई. और हर बार हम असफल रहे. हम ये नहीं कह रहे कि भारत को अपने सारे चीता रिजर्व्स की फेंसिंग कर देनी चाहिए. लेकिन कम से कम दो या तीन जगहों पर चीतों के लिए सोर्स रिजर्व बनाना चाहिए."

बता दें कि सोर्स रिजर्व का मतलब ऐसे इलाके से है जहां का वातावरण प्रजनन के लिए अच्छा हो, पर्याप्त शिकार मौजूद हों और दूसरी शिकारी प्रजातियों का ख़तरा कम हो.

हालांकि विन्सेंट ये भी कहते हैं कि चीतों में मृत्यु दर ज्यादा होती है. अफ्रीका में भी जब चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया था तो उनकी मौतें ज्यादा हुईं. लेकिन वे भारत में चीतों को फेंसिंग वाले रिजर्व्स में रखे जाने की जरूरत पर जोर देते हैं.

फिलहाल जिन शावकों की मौत हुई है उनका पोस्टमॉर्टम किया जाएगा. इसके बाद मौत की असल वजह पता चलेगी. 

वीडियो: आसान भाषा में: अफ्रीकी चीता की भारत में दोबारा एंट्री, 65 साल पहले देखा गया था

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement