डाबर, पतंजलि का शहद हेल्दी समझकर लेते हैं तो ये खबर आपके लिए है
भारत के 10 बड़े ब्रांड के सैम्पल जर्मनी में फेल हो गए हैं.
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तस्वीर श्रीनगर की है. मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालता एक युवक. पास में बच्ची खड़ी है और शहद चख रही है. यहां से लेकर आपकी रसोई में पहुंचने तक ये शहद कई चरणों से गुजरता है. इसका व्यवसायीकरण होता है. छत्ते से निकला शहद डिब्बाबंद होता है. क्या ये डिब्बाबंद शहद भी छत्ते वाले शहद जैसा ही शुद्ध होता है? (फाइल फोटो- PTI)
आपकी रसोई में कांच की छोटी सी शीशी में रखे शहद का क्या काम है? शायद ये कि शहद, चीनी का एक हेल्दी ऑल्टरनेटिव हो सकता है. कि साब, इससे मिठास भी मिल जाएगी और चीनी से होने वाले नुकसान से भी परहेज हो जाएगा. लेकिन ये शहद और कुछ नहीं, चीनी का घोल महज है. चाशनी है. अशुद्ध है. मिलावटी है.
ये बात कह रहे हैं जर्मनी की एक लैब में हुए टेस्ट के नतीजे. भारत में बिक रहे 13 छोटे-बड़े ब्रैंड्स के शहद का इस लैब में सैंपल भेजा गया, टेस्ट कराया गया. नतीजा चौंकाने वाला रहा. जर्मनी भेजे गए इन 13 में से 10 ब्रैंड्स के सैंपल फेल हो गए. मिलावटी पाए गए. सबसे बड़ी बात ये है कि ये वो सैंपल हैं, जो भारत में हुए टेस्ट में पास हो गए थे. लेकिन जब इन्हीं का विदेश में टेस्ट किया गया तो सारे के सारे फेल हो गए.
अब जानिए कि जिन ब्रैंड्स के शहद मिलावटी पाए गए हैं, उनमें कौन-कौन से ख़ास नाम शामिल हैं? डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू प्योर, एपिस हिमालयन और हितकारी. सिर्फ तीन ब्रैंड्स के शहद शुद्ध पाए गए- सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर. साथ ही ये बात भी निकली है कि शहद तैयार करने में जिन शुगर सिरप का इस्तेमाल किया जा रहा है, वो चीन से आ रहे हैं. ये सारी जानकारी दी है सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने. बाकायदा एक प्रेस रिलीज़ जारी करके.
77% सैंपल अशुद्ध CSE ने अपने पोस्ट में बताया है कि शहद पर की गई ये सारी पड़ताल भारत और जर्मनी की लैब्स में कराए गए तमाम अध्ययनों पर आधारित है. ये पड़ताल कहती है –CSE Expose: We sent honey of 13 brands for advanced tests to Germany; the same samples that passed in India failed adulteration tests in Germany #HoneyFraud #CSEStudy- https://t.co/H44JV8l3Ji pic.twitter.com/eAD1O8we0O
— CSEINDIA (@CSEINDIA) December 2, 2020
“शहद की शुद्धता की जांच के लिए जो भारतीय मानक तय हैं, उनके जरिए मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता. क्योंकि चीन की कंपनियां ऐसे शुगर सिरप तैयार कर रही हैं, जो भारतीय जांच मानकों पर आसानी से खरे उतरते हैं. जर्मनी में कराए गए टेस्ट में 77 फीसदी सैंपल्स में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई है. इंटरनेशनल स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) परीक्षण में 13 ब्रैंड्स में से सिर्फ 3 ही पास हुए.”कोल्ड ड्रिंक्स से भी खतरनाक ये मिलावट CSE का कहना है कि यह फूड फ्रॉड 2003 और 2006 में सॉफ्ट ड्रिंक्स में पकड़ी गई मिलावट से भी ज़्यादा खतरनाक है. शहद में मिली चीनी सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचा रही है. इन सैंपल्स को सबसे पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (सीएएलएफ) में जांचा गया था. यहां एपिस हिमालयन को छोड़कर सभी बड़े ब्रैंड्स पास हो गए थे. कुछ छोटे ब्रैंड्स फेल हुए थे. लेकिन उनमें भी चावल और गन्ने की शुगर ही पाई गई थी. लेकिन जब इन्हीं सैंपल्स को विदेश में परखा गया तो शुगर सिरप की मौजूदगी पाई गई. जो काफी खतरनाक होती है. कंपनियों का क्या कहना है? इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कुछ टॉप ब्रैंड्स ने अपना पक्ष भी रखा. जानते हैं क्या कहा - डाबर - इन रिपोर्ट्स का उद्देश्य है हमारी छवि खराब करना. हम अपने ग्राहकों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि डाबर का शहद 100 फीसदी शुद्ध है. हम चीन से कोई शुगर सिरप नहीं मंगाते. हमारी शुगर का स्रोत भारतीय मधुमक्खी पालक ही हैं. शहद बनाने के 22 पैरामीटर्स पर डाबर खरा उतरता है. हमारे शहद में एंटीबॉयोटिक भी है. हमारी तो खुद की लैब में NMR टेस्टिंग की सुविधा है. हमारा शहद शुद्ध है. पतंजलि - ये भारतीय ब्रैंड्स की छवि को खराब करने की साजिश है. साथ ही जर्मन टेक्नॉलजी और वहां की मशीनों को प्रमोट करना का एक तरीका है, जिनका इस्तेमाल करने पर करोड़ों रुपए खर्च बढ़ेगा. वहीं फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के CEO अरुण सिंघल का कहना है कि NMR टेक्नॉलजी से टेस्ट कराना तो काफी महंगा पड़ता है. लेकिन अथॉरिटी की कोशिश होगी कि तरीकों में सुधार करके ये एनश्योर किया जाए कि सिर्फ शुद्ध शहद ही मार्केट में पहुंचे.