'असम-मेघालय सीमा विवाद का 70% समाधान हुआ', अमित शाह के ये कहने का मतलब क्या है?
और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आज हुए समझौते पर क्या बोले?
Advertisement
केंद्र सरकार ने असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद का 70 फीसदी समाधान होने का दावा किया है. मंगलवार 29 मार्च को दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद अमित शाह ने कहा,
"आज विवाद मुक्त पूर्वोत्तर के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. आज हुआ समझौता दशकों के सीमा विवाद को खत्म कर देगा. 2014 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नॉर्थ-ईस्ट की शांति प्रक्रिया और वहां के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं."अमित शाह ने कहा कि 24 जुलाई 2021 को अपने मेघालय दौरे के वक्त उन्होंने विवाद सुलझाने की अपील की थी. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा,
"इतने कम समय में 12 पॉइंट में से 6 पॉइंट का समाधान हो गया. अगर सीमा की लंबाई के हिसाब से देखें तो करीब 70 फीसदी सीमा आज विवाद मुक्त हो गई. मुझे भरोसा है कि बाकी के मुद्दों का भी जल्द समाधान हो जाएगा."गृह मंत्री ने ये भी कहा कि विवाद के समाधान से पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत की मुख्यधारा में आएगा और देश के विकास का ड्राइविंग फोर्स भी बनेगा. उन्होंने कहा कि वो दिन दूर नहीं है जब देश की जीडीपी में पूर्वोत्तर भारत का योगदान काफी ज्यादा बढ़ेगा. क्या है विवाद? असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद 50 साल पुराना है. दोनों राज्य 884 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जिसमें कुल 12 विवादित क्षेत्र हैं. असम और मेघालय सरकार के बीच इनमें से 6 विवादित क्षेत्रों को सुलझाने पर सहमति बनी है. प्रस्तावित सिफारिशों के अनुसार, जिन क्षेत्रों को लेकर सहमति बनी है वो एरिया 36.79 वर्ग किलोमीटर का है. इस में से 18.51 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र असम अपने पास रखेगा. वहीं मेघालय के हिस्से 18.28 वर्ग किलोमीटर जमीन जाएगी. आज जिस विवाद पर सहमति बनी है, उसका ड्राफ्ट 29 जनवरी 2022 को ही दोनों राज्यों ने केंद्र को सौंप दिया था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक समझौते के तहत जिन 6 विवादित क्षेत्रों का समाधान हुआ है, उनमें ताराबरी, गजांग, फहाला, बाकलापारा, खानापारा और रेटाचेरा शामिल हैं. ये इलाके असम के कछार, कामरुप जिले और मेघालय के वेस्ट खासी हिल्स, री-भोई और ईस्ट जैन्थिया हिल्स में आते हैं. इसके अलावा जिन 6 इलाकों को लेकर विवाद अभी भी बना हुआ है, उनके नाम हैं हाहिम, लांगपीह, बोरदुआर, नोंगवाह, खंडुली और देशदेमोरिया ब्लॉक-1 और ब्लॉक-2. साल 1972 में असम से अलग होकर मेघालय की स्थापना हुई थी. राज्य बनने के बाद सीमा विवाद शुरू हो गया था, क्योंकि मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम-1971 को चुनौती थी. इसके बाद ही सीमाई क्षेत्रों को तय करने को लेकर विवाद शुरू हुआ जो अभी तक पूरी तरह हल नहीं किया जा सका है. दोनों राज्यों ने क्या कहा? असम और मेघालय की सरकारों ने कहा है कि वे बाकी के 6 सीमा विवादों को भी जल्द सुलझा लेंगी. समझौते पर हस्ताक्षर के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराने विवाद के समाधान की आज शुरुआत हो गई. उनके मुताबिक ये ऐतिहासिक उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की लगातार कोशिशों के कारण ही हासिल हो पाई है. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में सरमा ने कहा,
"1970 के दशक में असम से अलग होकर मेघालय बना. लेकिन राज्य पुनर्गठन बिल...जिसके कारण दोनों राज्य आंतरिक रूप से लड़ते रहे और लोगों की जानें भी गईं. कांग्रेस इस मुद्दे को सुलझा सकती थी. हम उत्तर-पूर्व के विकास और शांति के लिए काम कर रहे हैं."असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कू के ज़रिए भी इसकी जानकारी दी.
वहीं मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा कि हर कोई इस विवाद का समाधान चाहता है. उन्होंने कहा कि राज्य अपनी स्थापना की गोल्डन जुबली मना रहा है लेकिन ये विवाद अब भी कायम है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से सिर्फ और सिर्फ प्रक्रिया ही चल रही थी. लेकिन पिछले कुछ सालों में केंद्र और राज्य सरकार ने इस मुद्दे की तरफ प्रमुखता से ध्यान दिया. संगमा ने कहा कि आज के समाधान से क्षेत्र में शांति बहाल होगी.