योगी सरकार में खूब चला बुलडोजर इन गंभीर मामलों में क्यों बंद पड़ गया?
यूपी की Yogi Adityanath सरकार में गंभीर अपराधों से जुड़े आरोपियों की संपत्ति खूब तोड़ी गई, लेकिन कुछ मामलों में जैसे बुलडोजर का चक्का घूमा ही नहीं. आरोप तब और गंभीर हो जाते हैं जब ये कहा जाता है कि यूपी में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी से जुड़े लोगों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन नहीं लेती.
बीते कुछ सालों में बुलडोजर एक्शन सरकारों के लिए गर्व का विषय बनता दिखा. यूपी से शुरू हुए इस 'दंभी' कार्रवाई के सिलसिले को दूसरे राज्यों ने भी नजीर मान लिया और इसी रास्ते पर चल दिए. लेकिन आज, 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से घर गिराने वालों को घेर लिया. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि दोषी पाए जाने के बावजूद बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. यानी जब ये तय हो जाए कि अपराध किसने किया है, तब भी उसकी संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाया जाना चाहिए. मगर अब तक हो क्या रहा था- दोषी करार दिए जाने का इंतजार तो दूर, आरोप लगते ही आरोपी के घर-संपत्ति पर बुलडोजर चल जाता है.
लेकिन क्या ये एक्शन हर आपराधिक घटना के बाद हुआ? आरोप लग रहे हैं कि योगी राज में आरोपियों की संपत्ति खूब तोड़ी गई, लेकिन कुछ मामलों में जैसे बुलडोजर का चक्का घूमा ही नहीं. आरोप तब और गंभीर हो जाते हैं जब ये कहा जाता है कि यूपी सरकार बीजेपी से जुड़े लोगों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन नहीं लेती. चाहे उन पर कितने भी गंभीर आरोप लग जाएं, उनके घर बुलडोजर नहीं चलता.
जब नहीं चला योगी सरकार का बुलडोजरताज़ा मामला बहुचर्चित IIT-BHU यौन हमला केस से जुड़ा है, जिसके तीन आरोपियों में से दो को हाल ही में जमानत दे दी गई. घर आने पर उनका जोरदार स्वागत हुआ. तब लोगों ने सवाल पूछा कि आखिर इनके घर क्यों नहीं गिराए गए? क्या इस वजह से कि तीनों आरोपी बीजेपी से जुड़े रहे हैं?
1-2 नवंबर, 2023 की दरमियानी रात BHU की एक छात्रा अपने एक साथी के साथ BHU कैंपस में ही कहीं जा रही थी. तभी कृषि संस्थान के पास एकांत जगह पर बाहरी युवकों ने दोनों को घेर लिया. उन्होंने छात्र और छात्रा को अलग किया, फिर कथित तौर पर छात्रा का यौन उत्पीड़न किया. मारपीट कर छात्रा का मोबाइल छीन लिया. उसकी तस्वीरें भी खींचीं. बाद में सामने आया कि आरोपियों के नाम अभिषेक चौहान, कुणाल पांडेय और सक्षम पटेल हैं. उस समय ये तीनों बीजेपी IT सेल से जुड़े थे. बाद में पार्टी ने उन्हें निकाल दिया.
दिलचस्प बात ये कि यूनिवर्सिटी कैंपस में बेहद गंभीर अपराध को अंजाम देने के आरोप के बावजूद तीनों को कई दिनों तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका. दो महीने बाद 30 दिसंबर, 2023 पुलिस ने उन्हें पकड़ा.
गिरफ्तारी में देरी के बाद बात आती है बुलडोजर की. घटना सामने आए साल बीतने को है. पुलिस ने केस में रेप की धाराएं भी लगाई हैं. लेकिन बुलडोजर आरोपियों की गली तक भी ना पहुंच पाया. इस पर आजतक से जुड़े रोशन जायसवाल ने वाराणसी के DCP गौरव बांसवाल से सवाल किया तो उन्होंने कहा,
“पुलिस की तरफ से कठोरतम कार्रवाई की जा रही है. चार्जशीट में आरोपियों पर गैंगस्टर की कार्रवाई भी की गई है. लेकिन बुलडोजर की कार्रवाई एक सिविल मैटर है जिसमें अवैध निर्माण के खिलाफ प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाती है. और बुलडोजर कार्रवाई पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती.”
मगर ये इकलौता मामला नहीं है जब योगी सरकार पर ऐसे आरोप लगे हों. अगर मोटामाटी देखें तो बीते 7 सालों में एक फेहरिस्त तैयार हो गई है. आजतक के विशेष संवाददाता संतोष सिंह ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट की है.
#उन्नाव रेप केस
बीजेपी की सरकार आते ही पहला राजनैतिक बवंडर. आरोप लगे थे उन्नाव से तब के बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर. पहले तो FIR ही दर्ज नहीं हुई. अदालत के आदेश के बाद मुकदमा हुआ. लेकिन गिरफ्तारी नहीं. महीनों बीत जाने के बाद भी सेंगर को गिरफ्तार नहीं किया गया. उनके गुर्गों ने लड़की के आकर पूरे परिवार को बेरहमी से पीटा. हार कर पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की. लड़की को तो बचा लिया गया लेकिन मारपीट में घायल पिता की मौत हो गई. तब जाकर दबाव में आकर सेंगर को गिरफ्तार किया गया. 2019 में सेंगर को कोर्ट ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. तब तक भी बुलडोजर सेंगर के घर के पास नहीं पहुंचा.
#सुबोध कुमार सिंह हत्याकांड
दिसंबर 2018 में यूपी के बुलंदशहर में भीड़ ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी थी. 3 दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर के महाव गांव के बाहर खेतों में मवेशियों के शव बिखरे मिले थे. इलाके में खूब हिंसा हुई. भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हमला कर दिया था और इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या कर दी गई थी.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक 18 जुलाई, 2020 को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई. इस तस्वीर में भाजपा के बुलंदशहर जिला अध्यक्ष को हिंसा के एक आरोपी शिखर अग्रवाल को सम्मानित करते देखा गया. पार्टी ने इस आयोजन के पीछे के संगठन से खुद को अलग बताया. 38 आरोपियों में से पुलिस ने पांच पर हत्या का केस लगाया. जबकि योगेश राज और शिखर अग्रवाल, जो भाजपा और उसके सहयोगी समूहों से जुड़े बताए गए, उन पर हिंसा और आगजनी का आरोप लगाया गया. पूरे प्रकरण के दौरान बुलडोजर एक्शन की चर्चा तक नहीं हुई.
#लखीमपुर खीरी कांड
कृषि कानून बिल के विरोध में किसान आंदोलन के दौरान 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर के तिकुनिया में एक कार कई लोगों को टक्कर मारती हुई निकल गई. बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र पर किसानों को अपनी थार जीप से रौंदने का आरोप लगा. टेनी 2024 में खीरी सीट से लोकसभा चुनाव हार गए. केस अभी भी चल रहा है. अब तक बुलडोजर एक्शन को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है.
#सिख व्यापारी से मारपीट
23 सितंबर 2023 कानपुर में बीजेपी पार्षद अंकित शुक्ला ने अपने साथियों के साथ एक सिख व्यापारी के साथ मारपीट की. इसमें व्यापारी की एक आंख खराब हो गई, इलाज के लिए दिल्ली ले जाना पड़ा.अंकित शुक्ला व अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए. आरोपी की गिरफ्तारी हुई. बुलडोजर एक्शन तो दूर की बात कुछ दिन बाद वो जमानत पर छूट गया.
#युवक की लिंचिंग
इस साल 23 जुलाई को लखनऊ के रहने वाले ऋतिक पांडे की गांव के ही दबंगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. हिमांशु सिंह, प्रियांशु सिंह, अवनीश सिंह, प्रत्यूष सिंह और सनी सिंह पर आरोप लगा. सभी आरोपियों के सरोजिनी नगर सीट से भाजपा विधायक के राजेश्वर सिंह के करीबी होने का दावा किया गया. उनके साथ आरोपियों की तस्वीर भी सामने आई. कई दिनों तक परिजनों ने धरना प्रदर्शन किया तो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. लेकिन किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चला.
वीडियो: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी