हम टोल टैक्स क्यों देते हैं? और ये भरने से हमें मिलता क्या है?
टोल टैक्स देकर हमें कौन से अधिकार मिल जाते हैं?
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एक लाइन में कहें तो सड़क को बनाने और मेंटेन रखने की लागत में सरकार को दिया हमारा हिस्सा है- टोल टैक्स. (सांकेतिक फोटो- PTI)
इस ख़बर से ज़ेहन में ये सवाल आया कि टोल टैक्स और रोड सुविधाओं में क्या वास्ता है? हम टोल टैक्स देते क्यों हैं? और टोल टैक्स देने से क्या उस रोड पर हम कुछ अतिरिक्त सुविधाएं पाने के अधिकारी हो जाते हैं? टोल से जुड़े ऐसे ही हर सवाल का जवाब आइए जानते हैं.Agra: Five people travelling in a car were burnt alive when the vehicle caught fire after hitting a truck on Agra-Lucknow expressway in Khandauli early morning today. "We are trying to reach out to next of the kin of the victims. Truck driver is missing," says DM Prabhu N Singh. pic.twitter.com/0RMOVj6NaG
— ANI UP (@ANINewsUP) December 22, 2020
क्या है टोल टैक्स?
हम जिस रोड पर चलते हैं, उसे कौन बनाता है? सरकार. जब बात हाइवे या एक्सप्रेसवे की होती है तो रोड बनाने की ये लागत भी लंबी-चौड़ी बैठती है. इन सड़कों की लागत और मेंटिनेंस निकालने के लिए सरकार मदद लेती है जनता से. कैसे? टोल टैक्स के ज़रिये. सरकार कई सड़कों को बनाने का ठेका प्राइवेट कंपनियों को दे देती है. बदले में उन्हें तय समय के लिए टोल वसूलने का अधिकार दिया जाता है. जो नए बने हुए हाइवे या एक्सप्रेसवे होते हैं, उन पर टोल टैक्स ज़्यादा होता है. जब रोड की लागत निकल जाती है, तो सरकार टोल टैक्स कम कर सकती है या खत्म कर सकती है.किस आधार पर तय होता है टोल टैक्स
किसी रोड पर टोल टैक्स तय करने के कई पैरामीटर होते हैं.1. दूरी. अमूमन दो टोल प्लाज़ा के बीच में 60 किमी की दूरी होती है. यानी एक टोल प्लाज़ा पर आप 60 किमी या उससे ज़्यादा दूरी के लिए पैसा देते हैं.
2. अगर आपके रास्ते में ब्रिज, टनल या बाईपास पड़ रहे हैं तो टोल थोड़ा ज़्यादा हो सकता है. चूंकि इनको तैयार करने में लागत भी ज़्यादा आती है.
3. ज़्यादा लेन वाली रोड पर अमूमन टोल टैक्स बढ़ जाता है, जैसे कि एक्सप्रेसवे पर.
4. हालांकि टोल इस पर डिपेंड नहीं करता कि आप जिस रोड पर जा रहे हैं, वो कहां तक जाती है. माने कितनी लंबी है. जीटी रोड, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से लंबी है लेकिन एक्सप्रेसवे पर टोल, जीटी रोड से ज़्यादा होगा.
5. दोपहिया, चार पहिया, ट्रक के लिए अलग-अलग टोल टैक्स होता है. प्राइवेट गाड़ी, कमर्शियल गाड़ी के लिए भी अलग-अलग.
किस तरह दिया जाता है टोल
दो तरह से.1. टोल प्लाजा पर कैश पेमेंट. इस तरीके को अब सरकार कम कर रही है. तो कौन सा तरीका आ रहा है?फास्टैग के बारे में और जानना हो तो यहां
2. जवाब है- फास्टैग. गाड़ी पर एक फास्टैग स्टिकर लगाइए. इसे अपने ई-पेमेंट वॉलेट से कनेक्ट करिए. टोल प्लाज़ा पर लगा रीडर इस स्टिकर को रीड करके आपके अकाउंट से अपने आप पैसा काट लेगा.
पढ़ सकते हैं. हालांकि NHAI ने कहा है कि 1 जनवरी से सिर्फ उन्हीं वाहनों को टोल पार करने दिया जाएगा, जिन पर फास्टैग लगा होगा.

टोल देने से मुझे क्या फायदे होते हैं?
टोल टैक्स देने से रोड अपनी नहीं हो जाती. लेकिन हम जो टोल दे रहे हैं, उससे उस रोड पर कुछ ज़रूरी सुविधाएं ज़रूर सुनिश्चित की जाती हैं. जैसे कि –1. टोल रोड पर पुलिस पेट्रोलिंग सुनिश्चित की जाती है. नियमित अंतराल पर गश्त लगती रहे. हर निश्चित दूरी पर अलग-अलग टीम गश्त के लिए मौजूद रहती है ताकि अगर कहीं भी कुछ हादसा हो, तो पुलिस जल्द से जल्द पहुंच सके.अगर आप कभी यमुना एक्सप्रेसवे जैसे रास्तों से जाएंगे तो आपको कम-बेसी में तमाम ऐसी सुविधाएं मिलेंगी, जिनसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हमारा टोल टैक्स कहां जाता है. आठ लेन की सड़क. गड्ढामुक्त. जगह-जगह स्पीडोमीटर. हर गाड़ी की लेन अलग. डिवाइडर पर पेड़ वगैरह ताकि रात के समय दूसरे लेन से आने वाली गाड़ी की हेडलाइट आंखों में न चुभे. ये सब चीजें टोल टैक्स के पैसे से ही मेंटेन रहती हैं. ये नागरिक के वो अधिकार हैं, जो उसके टोल टैक्स से उसे मिलते हैं.
2. इसी तरह टोल रोड पर एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, टो-अवे क्रेन की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाती है.
3. कायदा ये भी कहता है कि जिन रोड्स पर टोल टैक्स वसूला जा रहा है, उन पर पब्लिक टॉयलेट्स, बस के रुकने की जगह, पीने के पानी की व्यवस्था.. ये सब थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मौजूद हों. साथ ही टोल प्लाज़ा पर पुलिस, एंबुलेंस, टो-अवे क्रेन वगैरह की डिटेल्स चस्पा हों.
4. कई सड़कों पर टोल रोड्स पर मैकेनिक की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है.
इसीलिए जब 23 दिसंबर के हादसे में समय पर मदद नहीं पहुंची और कार में बैठे लोगों की जलकर मौत हो गई, तो सवाल उठ रहे हैं कि एक्सप्रेसवे पर ये हाल है तो बाकी रोड्स पर कैसे समय पर मदद मिलेगी?