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जब ज़्यादातर देशों में स्टेयरिंग लेफ्ट में होता है तो भारत में राइट में क्यों?

कैसे तय हुआ कि सड़क पर बाएं चला जाए कि दाएं?

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भाई का स्टीयरिंग कहां है बताने वाले को 51 रुपए का ईनाम दिया जाएगा.
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निखिल
8 फ़रवरी 2018 (Updated: 8 फ़रवरी 2018, 12:42 PM IST)
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इंडिया में ट्रैफिक बाएं चलता है. माने लेफ्ट. माने खब्बे. पाकिस्तान में भी. लेकिन दुनिया के ज़्यादातर देशों में ट्रैफिक दाईं तरफ चलता है. माने राइट. माने सज्जे. इसीलिए गाड़ियां भी लेफ्ट हैंड ड्राइव और राइट हैंड ड्राइव, दो तरह की होती हैं. ये आप जानते होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है?
हम आपको बताएंगे. और तफसील से. 'भारत ब्रिटेन का गुलाम था इसलिए उनके नियम हैं' वाले लॉजिक से आगे जाकर.
पहले ये जानो कि सड़क का सज्जे-खब्बे आया कहां से?
लड़ाई-झगड़े की वजह से. जी हां. बात ये है कि जब तक आदमी लड़ता-झगड़ता नहीं था, तब तक सब सही था. लेकिन फिर वो साथ में तलवार लेकर चलने लगा. अब ज़्यादातर लोग राइटी होते हैं तो ज़्यादातर तलवारबाज़ दाएं हाथ से तलवार चलाते थे. और इसीलिए जब वो घोड़ा लेकर सड़क पर निकलते तो सड़की की बाईं ओर चलते. ताकि आगे से आने वाले व्यक्ति को उनकी दाईं तरफ से ही गुज़रना पड़े. अगर वो दुश्मन निकलता तो उसपर आसानी से वार किया जा सकता था.
जॉन स्नो को कुछ नहीं पता था लेकिन वो जानता था कि तलवार किस हाथ में पकड़ते हैं.
जॉन स्नो को कुछ नहीं पता था लेकिन वो जानता था कि तलवार किस हाथ में पकड़ते हैं.
इस तरह सड़क पर बाएं चलने की रवायत पड़ी. लेकिन ब्रिटेन हो या फ्रांस, इसका पालन ज़्यादातर नवाब और दूसरे रईस करते थे. क्योंकि वही थे जो सड़क पर सज-धज कर तलवार लेकर निकलते थे, खुद को 'नाइट' कहते थे.
इसमें ट्विस्ट आया 18वीं सदी में. फ्रांस और अमेरिका में खेत की उपज ढोने के लिए बड़ी-बड़ी बग्घियां बनीं जिन्हें कई घोड़े जोतकर खींचा जाता था. लेकिन इन बग्घियों में गाड़ीवान के लिए जगह नहीं होती थी. तो एक आदमी किसी एक घोड़े पर बैठकर बाकी को हांकता था. अब चाबुक चलाने के लिए इस आदमी को अपना दायां हाथ फ्री रखना होता था. इसलिए ये बाईं तरफ जुते आखिरी घोड़े पर बैठता था. अब चूंकि ये आदमी बग्घी की बाईं तरफ बैठा होता था, वो बग्घी सड़क की दाईं तरफ चलाता था ताकि सामने से आने वाली गाड़ियां उस तरफ से निकलें जहां वो बैठा हुआ है. इससे दो बग्घियों के क्रॉस होते वक्त टक्कर वगैरह पर नज़र रखी जा सकती थी.
इस तरह सड़क पर दाएं चलने की रवायत पड़ी. लेकिन इसका पालन ज़्यादातर गरीब लोग करते थे, मिसालन किसान.
कार से पहले घोड़ा गाड़ी ने तय किया था कि सड़क पर किस ओर चलना है. (फोटोःरॉयटर्स)
कार से पहले घोड़ा गाड़ी ने तय किया था कि सड़क पर किस ओर चलना है. (फोटोःरॉयटर्स)

सज्जे-खब्बे की क्रांति
दो अलग-अलग रवायतें, दो अलग-अलग वजहों से, दो तरह के लोगों के बनीं. कुछेक देशों में नियम भी बने. जैसे रूस ने दाएं चलने का नियम बनाया 1752 में. लेकिन सज्जे-खब्बे की असल लड़ाई शुरू हुई फ्रांस में क्रांति के साथ. क्रांति के दौरान फ्रांस में बड़े पैमाने पर रईसों का कत्ल हुआ. इसलिए वहां के रईसों में डर बैठ गया और कहीं जाने के लिए उन्होंने भी सड़क की दाईं ओर चलना शुरू किया. इससे वो सफर के दौरान निचले तबके में घुल-मिल और अपेक्षाकृत सुरक्षित रहते. क्रांति के बाद फ्रांस में नियम बना कि सड़क पर दाईं तरफ ही चला जाएगा. साल था 1794.
फ्रांस की क्रांति से जो देश अछूते रहे, वहां बाईं तरफ चलने का नियम बन गया. जैसे ब्रिटेन (1835) और पुर्तगाल. मोटा-माटी यूरोप में इसी तरह तय हुआ कि सड़क पर बाईं तरफ चला जाए कि दाईं तरफ. लेकिन एक ट्विस्ट फिर आया. उसका नाम था नेपोलियन. नेपोलियन जहां-जहां जाकर जीता, वहां-वहां उसने दाईं तरफ चलने का नियम बनाया. नेपोलियन के बहुत बाद जब हिटलर हुआ तो उसने यूरोप के बचे-खुचे देशों में भी दाएं चलने का नियम बना दिया. लेकिन ये किस्सा यूरोप का बस है.
नेपोलियन जहां-जहां गया, उसने ट्रैफिक दाईं ओर कर दिया. (फोटोःविकिपीडिया कॉमन्स)
नेपोलियन जहां-जहां गया, उसने ट्रैफिक दाईं ओर कर दिया. (फोटोःविकिपीडिया कॉमन्स)

बाकी दुनिया का क्या?
यूरोप के देशों ने दुनिया भर के देशों को अपना गुलाम बनाया. जहां-जहां वो जाते, अपने यातायात नियम भी लागू करते. मिसालन ब्रिटेन जहां-जहां गया- जैसे भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड वगैरह - में बाएं चलने का नियम बना और जहां-जहां फ्रांस गया, वहां दाएं चलने का नियम बना. कुछ अपवाद रहे. जैसे मिस्र (ईजिप्ट), जो अंग्रेज़ों का गुलाम रहा था लेकिन दाएं ही चला. चक्कर ये था कि मिस्र में अंग्रेज़ों से बहुत पहले नेपोलियन पहुंच गया था. और तब से ही मिस्र सड़क की दाईं तरफ चलता है.
पब्लिक बोले 'लेफ्ट', सरकार बोले 'राइट'
स्वीडन का मामला थोड़ा अलग है. वहां बाईं तरफ चलने का नियम बना हुआ था. लेकिन ये छोटू सा देश सब तरफ से दाएं चलने वाले देशों से घिरा था. तो यहां लेफ्ट-राइट में से एक को चुनने के लिए बाकायदा रेफरेंडम (माने रायशुमारी) कराया गया. रेफरेंडम में 82.9% लोगों ने कहा कि वो बाएं चलकर खुश हैं. फिर भी सरकार ने 1967 में दाएं चलने का नियम बना दिया.
स्वीडन में ट्रैफिक के बाएं से दाएं होने पर ये वीडियो देखेंः

स्टेयरिंग ही नहीं, हेडलाइट में भी दाएं-बाएं का चक्कर होता है
बाईं तरफ चलने वाले देशों में कार का स्टेयरिंग दाईं तरफ होता है. इन्हें राइट हैंड ड्राइव कहा जाता है. दाईं तरफ चलने वाले देशों में कारें लेफ्ट हैंड ड्राइव होती हैं. ट्रैफिक की दिशा का स्टेयरिंग के अलावा हेडलाइट पर भी फर्क पड़ता है. गाड़ियों की हेडलाइट सीधी नहीं होती हैं. सामने से आ रहे ड्राइवर की आंखें न चौंधिया जाएं, इसलिए उन्हें थोड़ा तिरछा रखा जाता है. बाएं चलने वाले देशों में गाड़ियों की हेडलाइट बाईं ओर झुकी होती हैं और दाएं तरफ चलने वाले देशों में दाईं तरफ.
फोटोः याहू
फोटोः याहू

दुनिया लेफ्ट से राइट क्यों जा रही है?
एक वक्त वो था, जब दाएं और बाएं चलने वाले देशों की संख्या लगभग बराबर थी. लेकिन वक्त के साथ ज़्यादातर देश दाएं चलने लगे. आज बाएं चलने वाले देश गिनती के हैं. उसकी दो वजहें हैं.
पहली ये कि जो देश ब्रिटेन से आज़ाद हुए, उन्होंने ब्रिटिश राज की सारी निशानियां मिटाने के लिए ट्रैफिक रूल भी बदले. नाइजीरिया ने 1972 में इसीलिए बाएं चलने का नियम हटाकर बाएं चलने का नियम बनाया.
हरे में नज़र आ रहे देश सड़क पर दाएं चलते हैं, पीले देश बाएं चलते हैं. (फोटोःworldstandards)
हरे में नज़र आ रहे देश सड़क पर दाएं चलते हैं, पीले देश बाएं चलते हैं. इनमें जापान नज़र नहीं आ रहा है. जापान बाएं चलता है.  (फोटोःworldstandards).

दूसरी वजह थोड़ी प्रैक्टिकल है. अमरीका एक वक्त बाएं चलता था, लेकिन जब वो ब्रिटेन से आज़ाद हुआ, गुस्से-गुस्से में बाएं से दाएं आ गया. ठीक नाइजीरिया की तरह. फिर अमरीका में ही सस्ती कारों का बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ. इन गाड़ियों में स्टेयरिंग बाईं तरफ लगा होता था. तो अमरीकी कारें इंपोर्ट करने वाले देशों ने भी स्वाभाविक रूप से सड़क की दाईं तरफ चलने के नियम बनाए.
कोई राइट से लेफ्ट भी गया है?
हां. ऑस्ट्रेलिया के पास एक छोटू सा देश है समोआ. ये देश जर्मनी का गुलाम था. तो यहां ट्रैफिक दाईं तरफ चलता था. लेकिन इसके लिए लेफ्ट हैंड ड्राइव कारें चाहिए थीं जो आसपास बनती नहीं. इस देश के सारे पड़ोसी - ऑस्ट्रेलिया, जापान और न्यूज़ीलैंड बाईं तरफ चलते हैं. तो 1962 में ये देश भी बाएं चलने लगा ताकि पड़ोसी देशों से सस्ती कारें खरीदी जा सकें.
हिटलर जब ऑस्ट्रिया में घुसा उसने ट्रैफिक बाएं से दाएं कर दिया.
हिटलर जब ऑस्ट्रिया में घुसा उसने ट्रैफिक बाएं से दाएं कर दिया.

अब एक दिलचस्प बात और बताते हैं. म्यांमार में ट्रैफिक बाईं ओर चलता था. लेकिन 1970 में वहां के तानाशाह जनरल 'ने विन' ने एक ओझा के कहने पर ट्रैफिक बाएं से दाएं कर दिया. अब जनरल से पंगा कौन लेता, तो लोग अपनी राइट हैंड ड्राइव गाड़ी ही सड़क पर दाईं ओर चलाने लगे. आज भी म्यांमार की अधिकतर गाड़ियां राइट हैंड ड्राइव हैं.
भौकाल टाइट करने के लिए उलटा स्टेयरिंग
जापान बाईं तरफ चलता है. लेकिन उसकी वजह गुलामी में नहीं है. वहां ट्रेन नेटवर्क ब्रिटेन की मदद से बना था. अंग्रेज़ों ने ट्रेन सिग्नल अपने देश के हिसाब से लगाए. तो जापान को बाएं चलने की आदत पड़ गई. लेकिन जापान में उलटी तरफ स्टेयरिंग लगी गाड़ियां मिल जाती हैं. वहां लोग महंगी गाड़ियां (ऑडी, मर्सीडीज़ वगैरह) लेते हुए जानबूझ कर लेफ्ट हैंड ड्राइव गाड़ी लेते हैं. ऐसी गाड़ियों को ज़्यादा ऑथेंटिक माना जाता है. माने लोग चलाने में मुश्किल गाड़ी खरीदते हैं, सिर्फ इसलिए कि भौकाल टाइट किया जा सके.
सबसे ज़्यादा भौकाल इस स्टीयरिंग से टाइट होता है. (फोटोः इमगुर)
सबसे ज़्यादा भौकाल इस स्टीयरिंग से टाइट होता है. (फोटोः इमगुर)



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