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13 की उम्र में कैसे बाइक रेस कर रहे थे जान गंवाने वाले श्रेयस, किसने इशू किया लाइसेंस?

रेस में श्रेयस की मौत के बाद से उठ रहे सवाल, ड्राइविंग लाइसेंस के क्या हैं नियम-कानून?

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13 साल की छोटी उम्र में, रेसिंग की दुनिया का बड़ा नाम थे, श्रेयस. (तस्वीर-इंडिया टुडे)
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8 अगस्त 2023 (Updated: 8 अगस्त 2023, 05:40 PM IST) कॉमेंट्स
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वो रफ्तार और रेसिंग की दुनिया में उभरता सितारा था. महज़ 13 साल की उम्र में इसी रेस और रफ्तार के खेल में उसकी जान चली गई. बात 'द बेंगलुरु किड' नाम से मशहूर कोप्पाराम श्रेयस हरीश की हो रही है. बीती 26 जुलाई को उन्होंने अपना 13वां जन्मदिन मनाया था और 5 अगस्त को बाइक रेसिंग के एक मुक़ाबले में उनकी जान चली गई. दुर्घटना चेन्नई के इरुंगट्टुकोट्टई में चल रहे एफएमएससीआई (FMSCI) इंडियन नेशनल मोटरसाइकिल रेसिंग चैंपियनशिप-2023 के तीसरे राउंड में हुई. श्रेयस 200 सीसी मोटरसाइकिल चला रहे थे. अचानक बाइक फिसली, हेलमेट सिर से निकला, श्रेयस गिरे और पीछे से आते रेसर से टकराकर उनके सर में गंभीर चोट आई. श्रेयस को हादसे के बाद अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी.

श्रेयस ने इसी साल मई महीने में स्पेन में आयोजित FIM मिनी-जीपी (MiniGP) वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बनाई थी. ये कारनामा करने वाले वो पहले भारतीय थे. पिछले साल श्रेयस ने एफआईएम मिनी-जीपी इंडिया सीरीज़ चैंपियनशिप-2022 का खिताब भी अपने नाम किया था.

कैसे मिल गया लाइसेंस?

श्रेयस ने बहुत कम उम्र में मोटरसाइकिल चलाना शुरु कर दिया था. उनकी प्रतिभा को देखते हुए 13 साल की जगह महज 11 साल की उम्र में उन्हें लाइसेंस दे दिया गया था. यहां सवाल उठता है कि ड्राइविंग लाइसेंस मिलने की न्यूनतम उम्र तो 18 साल है, फिर 11 साल की उम्र में श्रेयस को कौन सा ड्राइविंग लाइसेंस मिला? कैसे मिला? किस एजेंसी ने इशू किया? क्या ये लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस से अलग होता है? आइये समझते हैं.

देखिए, मोटरसाइकिल दो जगह चला सकते हैं. पहली जगह सड़क और दूसरी रेसिंग ट्रैक पर. सड़क पर यात्रा और यातायात के साधन के तौर पर और रेसिंग ट्रैक पर प्रतियोगिता में. मोटरसाइकिल रेसिंग एक खेल भी है और जैसे हर खेल के अपने नियम होते हैं. इसके भी अपने नियम हैं. इसी नियम में एक नियम लाइसेंस इशू करने का भी है. तो श्रेयस के पास मोटर रेसिंग का लाइसेंस था. वो ड्राइविंग लाइसेंस नहीं जो हमारे आपके पास होता है.

ड्राइविंग लाइसेंस कैसे मिलता है?

मोटर विहेकल एक्ट-1988 किसी भी व्यक्ति का सड़क पर बिना ड्राइविंग लाइसेंस (DL) के वाहन चलाना प्रतिबंधित करता है. ऐसा करने पर वाहन का चलान किया जाता है. सड़क पर बाइक चलाने के लिए लाइसेंस राज्य के रिजिनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के रिजिनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) से इशू होता है. अथॉरिटी ट्रैफिक नियमों का एक टेस्ट लेती है. टेस्ट में पास होने के बाद पहले लर्निंग लाइसेंस इशू होता है और उसके 6 महीने के बाद परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस या पक्का डीएल दिया जाता है. लर्निंग लाइसेंस इशू होने के 6 महीने तक व्यक्ति भारतीय सड़कों पर किसी परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) धारक की देख-रेख में ही वाहन चला सकता है. इस दौरान उम्मीद की जाती है कि वह अच्छे से ट्रैफिक नियम जान सके और वाहन चलाने में भी माहिर हो जाए.  

रेसिंग के लिए कैसा लाइसेंस?

अगर आप ट्रैक पर बाइक दौड़ाना चाहते हैं. मोटरसाइकिल रेसर बनना चाहते है. तो आपको RTO के नहीं बल्कि FMSCI (Federation of Motor Sports Clubs of India) के लाइसेंस की जरूरत पड़ेगी. भारत में सभी प्रकार के दो-पहिया मोटरस्पोर्ट्स की नियामक संस्था FMSCI है. यही संस्था रेसिंग के लिए लाइसेंस भी इशू करती है. यह लाइसेंस "कॉम्पिटिशन लाइसेंस" कहलाता है. होंडा, यामहा, सुजुकी जैसी कंपनियां “वन मेक रेस सीरीज़” नाम से कॉम्पिटिशन कैम्प आयोजित करते हैं. ये कैम्प आमतौर पर मद्रास मोटर रेसिंग ट्रैक या कारी मोटर स्पीडवे रेसट्रैक (कोयम्बटूर) में होते हैं. इन्हें एक तरह का बेसिक ट्रेनिंग कैंप भी कह सकते हैं. इन कैंप्स में भाग लेना FMSCI लाइसेंस पाने का पहला कदम होता है. 

FMSCI से दो-पहिया रेसिंग लाइसेंस (W2 Competition license) पाने की न्यूनतम उम्र 13 साल है. इसे पाने के लिए माता-पिता या अभिभावक की लिखित अनुमति चाहिए होती है. इसके अलावा आवेदक के पांव बाइक पर बैठने के बाद आराम से जमीन तक पहुंचने चाहिए. ट्रेनिंग कैंप्स में आवेदक के प्रदर्शन पर रेसिंग लाइसेंस का मिलना भी निर्भर करता है. श्रेयस का वन मेक सीरीज़ में प्रदर्शन बहुत अच्छा था, इसीलिए उन्हें 13 की जगह 11 साल में ही FMSCI का कम्पीटिशन लाइसेंस मिल गया था. एक बार कम्पीटिशन लाइसेंस मिल जाने के बाद व्यक्ति सर्किट रेसिंग प्रतियोगिता में भाग लेने के योग्य माना जाता है.

सर्किट रेसिंग के लिए RTO वाले ड्राइविंग लाइसेंस की जरुरत नहीं होती, क्योंकि यह रेसिंग एक स्टेडियम में बंद ट्रैक पर होती है. इसमें ट्रैफिक नहीं होता. आम यातायात की गाड़ियां नहीं चलतीं. सर्किट रेसिंग एक खेल है और खेल की बेसिक ट्रेनिंग के बाद रेसिंग का “कम्पिटिशन-लाइसेंस” पाया जा सकता है.

रेसिंग के समय FMSCI विशेष प्रकार के लेदर सूट, हेलमेट, दस्ताने और जूते देता है. जिसे पहनने के बाद एक्सीडेंट से बचाव हो सके. श्रेयस के साथ घटी दुर्घटना में उनका हेलमेट उतर गया था, जिससे सर पर चोट लगी और उनकी मौत हो गई.


                                                                                                                            (ये स्टोरी हमारे साथी अनुराग अनंत ने की है)  

 

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