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सिद्धू मूसे वाला की लाइफ स्टोरी, जिन पर आर्म्स एक्ट का केस लगा तो गाना बना दिया!

कौन हैं सिद्धू मूसे वाला और वो इतने पॉपुलर क्यों हैं?

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सिंगर सिद्धू मूसे वाला.
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श्वेतांक
13 दिसंबर 2021 (Updated: 13 दिसंबर 2021, 07:51 AM IST) कॉमेंट्स
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3 दिसंबर, 2021 पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसे वाला ने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली. बताया जा रहा है कि वो मानसा सीट से आगामी पंजाब इलेक्शन में चुनाव लड़ सकते हैं. कांग्रेस उन्हें पंजाब के बाकी इलाकों में कैपेंनिंग के लिए भी इस्तेमाल करेगी. हालांकि पॉलिटिक्स में आने वाले सिद्धू अपने परिवार के पहले मेंबर नहीं हैं. उनकी मां चरण कौर भी चुनाव लड़कर गांव की सरपंच बनी थीं. सिद्धू उनके लिए भी कैंपेनिंग किया करते थे. क्योंकि पंजाब में सिद्धू मूसे वाला की तगड़ी फैन फॉलोइंग है. इस लोकप्रियता में जितना उनके गानों का हाथ है, उससे ज़्यादा विवादों का. सिद्धू मूसे वाला ने ऐसा क्या किया है, जो इतने सारे लोग उन्हें फॉलो करते हैं? # क्या है सिद्धू मूसे वाला की कहानी? पंजाब में एक ज़िला है मानसा. यहां के मूसा गांव में 11 जून, 1993 को सरकारी अफसर भोला सिंह और उनकी पत्नी चरण कौर के घर एक बच्चा पैदा हुआ. इसका नाम रखा गया शुभदीप सिंह सिद्धू. शुरुआती स्कूली पढ़ाई-लिखाई से निपटने के बाद माता-पिता ने शुभदीप का दाखिला इंजीनियरिंग कॉलेज में करवा दिया. मगर शुभदीप का झुकाव पढ़ाई से ज़्यादा संगीत की तरफ था. वो ऐसी उम्र होती है, जब आप बहुत कुछ बनने का सोचते हैं. जिस दिन जैसा मूड, वैसा एंबिशन. शुभदीप के पैरेंट्स को भी ऐसा ही लगा. मगर वो लड़का सिंगिंग को लेकर पैशनेट था. छठी क्लास से ही हिप-हॉप टाइप ढिक-चिक म्यूज़िक सुनने लगा था. पंजाबी स्टीरियोटाइप तोड़ते हुए शुभदीप ने 2 पैग की जगह 2Pac को चुना.
Tupac Shakur दुनिया के बेस्ट रैपर्स में गिने जाते थे. अपने गानों में सोशल इशूज़ के बारे में बात करते थे. मगर स्पिट और फ्लो ऐसा कि सिर्फ कान में नहीं दिमाग में भी सनसनी फैला दें. 'कैलिफॉर्निया लव' और 'सो मेनी टीयर्स' मेरे निजी पसंदीदा टुपैक ट्रैक्स हैं. 7 सितंबर, 1996 को एक अंजान हमलावर ने लॉज एंजेलिस में 2Pac की गोली मारकर हत्या कर दी. तब वो मात्र 25 साल के थे. मगर दुनिया को अपना लोहा मनवा चुके थे. अगर किसी आर्टिस्ट की मौत कम उम्र में हो जाती है, उसके इर्द-गिर्द महानता का आभामंडल ऑटोपायलट मोड पर तैयार हो जाता है. और फिर 2Pac तो जीते जी GOAT माने जा चुके थे.
खैर, शुभदीप को लगने लगा कि उसे भी ऐसा ही कुछ करना है. वो 2Pac के गाने सुनता. याद करता. उनका मतलब समझने की कोशिश करता. इस सब के बीच 2012 में शुभदीप का एडमिशन लुधियाना के गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज में करवा दिया गया. 2016 में शुभदीप इलेक्ट्रिक इंजिनियर बनकर ग्रैजुएट हुए. घरवालों ने कहा आगे थोड़ा सा और पढ़ लो. फिर तो ऐश है. इस स्कीम में फंसाकर शुभदीप को कैनडा भेज दिया गया. कैनडा शुभदीप के लिए कल्चरल शॉक तो था, मगर यहां उन्हें आर्टिस्टिक माहौल मिला. अलग-अलग तरह के लोगों से मुलाकात हुई. दिमाग खुलने लगा. शुभदीप को लगा कि वो अब वो अपना म्यूज़िक वाला करियर परस्यू कर सकते हैं.
'47' नाम के गाने में सिद्धू ने मिस्ट और स्टेफलन डॉन जैसे ब्रिटिश आर्टिस्टों के साथ सिद्धू ने कोलैबरेट किया
'47' नाम के गाने में सिद्धू ने मिस्ट और स्टेफलन डॉन जैसे ब्रिटिश आर्टिस्टों के साथ सिद्धू ने कोलैबरेट किया


# कैनडा में मिली गाने बनाने की 'निंजा' टेक्निक शुभदीप ने अपने करियर की शुरुआत लिरिक्स राइटर के तौर पर की. शुभदीप नाम कूल और हिप-हॉप आर्टिस्ट जैसा साउंड नहीं कर रहा था. इसलिए शुभदीप ने अपने नाम के साथ गांव का नाम जोड़ लिया. अब वो बन गए सिद्धू मूसे वाला. सिद्धू ने पंजाबी सिंगर निंजा के लिए 'लाइसेंस' नाम का गाना लिखा, जो 2016 में स्पीड रिकॉर्ड्स के यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ हुआ. सिद्धू के सिंगिंग करियर की शुरुआत हुई 2017 में आए गाने 'G वैगन' से. ये डूएट सॉन्ग था, जिसमें सिद्धू की साथी सिंगर थीं गुलरेज़ अख्तर. मगर ये गाना ज़्यादा चला नहीं. अगस्त 2017 में सिद्धू का नया गाना 'So High' रिलीज़ हुआ. ये गाना इंस्टेंट हिट साबित हुआ. इस गाने को खबर लिखे जाने तक यूट्यूब पर 455 मिलियन से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. इस गाने के बाद लोग सिद्धू मूसे वाला को पहचानने लगे.
2018 में सिद्धू ने अपना पहला एल्बम रिलीज़ किया. PBX1 नाम के इस एल्बम में कुल 13 गाने थे. इसमें से 'जट्ट दा मुकाबला', 'दाउद' और 'बैडफेला' जैसे गाने खूब पसंद किए गए. मगर एक तबके को सिद्धू तभी से खटकने लगे. लोगों ने कहा कि 'जट्ट दा मुकाबला' जैसे गाने कास्टीज़्म को प्रमोट करने वाले हैं. इस तरह के गाने यूथ को गलत तरीके से इंफ्लूएंस करेंगे. एक तरफ जहां इस एल्बम की फजीहत हो रही थी, दूसरी तरफ इसके गाने दुनियाभर में धूम मचा रहे थे. सबसे विवादित गाना 'जट्ट दा मुकाबला' यूके एशियन म्यूज़िक चार्ट में 11वें नंबर पर पहुंच गया. एल्बम के खिलाफ नेगेटिविटी, उसकी सफलता में मददगार साबित हुई.
इसके बाद सिद्धू ने '47' नाम का गाना बनाया. इस गाने में सिद्धू ने मिस्ट और स्टेफलन डॉन जैसे ब्रिटिश आर्टिस्टों के साथ कोलैबरेट किया था. ये गाना दुनियाभर में खूब पॉपुलर हुआ. कैनडा से लेकर ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और यूके तक इसे भारी संख्या में सुना और देखा गया. गाने आते रहे और सिद्धू मूसे वाला की पॉपुलैरिटी में इज़ाफा करते रहे. 2020 में ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने सिद्धू मूसे वाला को टॉप 50 न्यू आर्टिस्ट की लिस्ट में शामिल किया. ये किसी भी आर्टिस्ट के लिए बिग डील है. 2021 में सिद्धू ने अपना तीसरा एल्बम Moosetape रिलीज़ किया. 32 ट्रैक वाले इस एल्बम में सिद्धू ने बोहेमिया, मॉरिसन, डिवाइन और राजा कुमारी जैसे पॉपुलर आर्टिस्ट्स के साथ कोलैबरेट किया. इस एल्बम को तगड़ा रिस्पॉन्स मिला.
 पॉलिटिक्स में आने वाले सिद्धू अपने परिवार के पहले मेंबर नहीं हैं. उनकी मां चरण कौर भी चुनाव लड़कर गांव की सरपंच बनी थीं.
पॉलिटिक्स में आने वाले सिद्धू अपने परिवार के पहले मेंबर नहीं हैं. उनकी मां चरण कौर भी चुनाव लड़कर गांव की सरपंच बनी थीं.

# सिद्धू मूसे वाला की पॉपुलैरिटी के पीछे का राज़ क्या है? सिद्धू मूसे वाला के बारे में कहा जाता है कि उनके गाने भड़काऊ होते हैं. रिबेलियस किस्म के, जो नौजवानों को मिस गाइड करते हैं. गानों की भाषा सभ्य नहीं होती. भले ही वो खांटी पंजाबी भाषा का इस्तेमाल अपने गानों में करते हैं, कई बार उसका मतलब अंग्रेज़ी में भी समझाते हैं. मगर सिद्धू के कई गाने ऐसे हैं, जिनमें अपशब्दों का इस्तेमाल होता है. पिछले कुछ सालों में सिनेमा से लेकर स्टैंड अप कॉमेडी और म्यूज़िक तक में गाली-गलौच का इस्तेमाल धड़ल्ले से बढ़ा है. गाली वगैरह ऐसी चीज़ें हैं, जो एक उम्र विशेष में बड़ी आकर्षक लगती हैं. क्योंकि हमें उस तरह की भाषा इस्तेमाल करने की मनाही है. जिस काम को करने की मनाही हो, सबसे ज़्यादा मज़ा वही करने में आता है. सिद्धू के गानों का फील भी ओवरऑल रिबेलियस किस्म का होता है. कई बार पॉलिटिकली इनकरेक्ट भी. मगर सिद्धू की टार्गेट ऑडियंस यूथ है. यूथ को पॉलिटिकल करेक्टनेस का कोई लोड नहीं है. उन्हें हेवी बीट और बेस के साथ एकाध क्रांतिकारी लाइन दे दो, वो उतने में खुश हैं. नार्सिसिज़्म यानी खुद को दूसरों से बेहतर बताना भी सिद्धू के गेम प्ले का हिस्सा है, जो यूथ को अट्रैक्ट करता है. आप किसी के भी सामने वो लाइन बोल दो सीन सॉर्टेड है ब्रो! जैसे 'जट्ट दा मुकाबला' गाने को ही ले लीजिए. इस गाने की हुक लाइन है-

''जट्ट दा मुकाबला, दस मैंनू कित्थे आ नी''

यानी जट्ट का मुकाबला कहां है, बताओ मुझे.
एक तो ये गाना कास्टीस्ट है. यानी जाति विशेष को ऊंचा दिखाने के लिए बाकियों को नीचा दिखाया जा रहा है. मगर ये लाइन बोलने में जो फील है, वही इस गाने की यूएसपी है. जाति व्यवस्था इंडिया के सबसे जटिल मसलों में से एक है, जिससे हम सालों से निकलने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में एक सिंगर आता है, जो इस कल्चर को बढ़ावा देता है. इसे अपने गानों में रोमैंटिसाइज़ करता है. और उसकी टार्गेट ऑडियंस देश की नई पीढ़ी है. और हम यहां कास्ट सिस्टम से लड़ने और उससे बाहर निकलने की बात करते हैं. जिस देश में जाति और मज़हब के नाम पर लोगों की जानें चली जाती हैं, वहां तो इस तरह की चीज़ें बिल्कुल अन-एक्सेप्टेबल हैं. हम यहां सिर्फ एक गाने की बात कर रहे हैं. अगर हम सिद्धू के दूसरे गानों को डाइसेक्ट करने बैठें, तो उस पर एक आर्टिकल लिखना पड़ेगा.
2020 में ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने सिद्धू मूसे वाला को टॉप 50 न्यू आर्टिस्ट की लिस्ट में शामिल किया.
2020 में ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने सिद्धू मूसे वाला को टॉप 50 न्यू आर्टिस्ट की लिस्ट में शामिल किया.

# AK-47 चलाया, आर्म्स एक्ट में केस लगा तो गाना बना दिया सिद्धू मूसे वाला की पॉपुलैरिटी की दूसरी वजह है उनका विवादों में रहना. जब कोई सेलेब लगातार कॉन्ट्रोवर्सीज़ में रहता है, तो उसका नाम हर दूसरे दिन लोगों को सुनने को मिलता है. इससे वो लोगों की नज़र में बने रहते हैं. उनकी एक नेगेटिव इमेज बन जाती है. जैसे सिद्धू मूसे वाला हैं. सिद्धू के ऊपर तमाम कोर्ट केसेज़ हुए. AK-47 चलाते हुए उनका वीडियो वायरल हुआ. उनके ऊपर आर्म्स एक्ट का केस लगा. इस बात से दुखी या निराश होने की बजाय सिद्धू ने एक गाना बना दिया. इस गाने में वो खुद पर लगे चार्जेज़ को संजय दत्त के साथ कंपेयर कर रहे थे. और इस चीज़ को भी ग्लोरिफाई कर रहे थे. उन्हें गन कल्चर प्रमोट करने वाला बताया गया. उन पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगा. साथी पंजाबी सिंगर करण औजला के साथ उनकी लड़ाई भी काफी चर्चित रही. मगर इस सबसे सिद्धू के कंडक्ट या बर्ताव में किसी तरह का बदलाव देखने को नहीं मिला.
उन्हें पता है कि उनकी इमेज नेगेटिव है. मगर वो इमेज की परवाह नहीं करते. ये उनकी पर्सनैलिटी का वो टुकड़ा है, जो बहुत एस्पायरिंग है. लोग चीज़ों को लेकर उनके जितना चिल्ड आउट होना चाहते हैं. मगर हो नहीं पाते. फिल्म 'रॉकस्टार' में एक सीन है, जब जॉर्डन यानी रणबीर कपूर का कैरेक्टर जेल में बंद है. प्लैटिनम म्यूज़िक नाम के लेबल का मालिक मदन ढिंगरा उसके जेल से निकलने का इंतज़ार नहीं करता. उसका एल्बम रिलीज़ कर देता है. इसके पीछे उसका आइडिया ये है कि 'नेगेटिव बिकता है'. एल्बम रिलीज़ होती है और आर्टिस्ट जेल के अंदर है. ऐसे पब्लिक में उत्सुकता जगती है उस पर्सनैलिटी के बारे में. हम ये कहकर सिद्धू मूसे वाला की इस ट्रेट को जस्टिफाई नहीं कर रहे. हम बस इन पहलूओं पर बात कर उन्हें समझने की एक कोशिश कर रहे हैं.

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