कहानी जिगना वोरा की, जिन पर छोटा राजन गैंग से एक जर्नलिस्ट का मर्डर करवाने का आरोप लगा
अब उनकी लाइफ पर 'स्कैम 1992' वाले हंसल मेहता सीरीज़ बना रहे हैं.
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जिगना वोरा ने जेल के दिनों पर अपना संस्मरण लिखा, जिस पर हंसल मेहता सीरीज़ बना रहे हैं.
स्कूप एक कैरेक्टर ड्रामा है, जो जागृति पाठक नाम की क्राइम जर्नलिस्ट की जर्नी दिखाएगी. उसकी दुनिया बदल जाती है, जब एक दिन उसे साथी जर्नलिस्ट जयदेब सेन के मर्डर के चार्ज में गिरफ्तार कर लिया जाता है. फिर जेल में उसे वो लोग मिलते हैं, जिनके खिलाफ एक वक्त उसने रिपोर्टिंग की थी. वो अब अपने ट्रायल के ज़रिए सच के बाहर आने का इंतज़ार करती है.‘स्कूप’ जर्नलिस्ट जिगना वोरा की लिखी बायोग्राफी ‘Behind the Bars in Byculla: My Days in Prison’ पर बेस्ड है. जिगना ने जेल में हुए अनुभव पर अपना संस्मरण लिखा. 2019 में मैचबॉक्स पिक्चर्स ने जिगना की किताब के राइट्स खरीद लिए थे. हालांकि, तब न्यूज़ आई थी कि इसे श्रीराम राघवन डायरेक्ट करने वाले हैं. लेकिन किसी वजह से प्लान बदलना पड़ा और अब हंसल मेहता डायरेक्टर वाली चेयर संभालेंगे. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक करिश्मा तन्ना सीरीज़ में जिगना का किरदार निभाएंगी, जिनका नाम शो में जागृति पाठक रखा गया है. शो के डायरेक्टर होने के साथ-साथ हंसल मेहता इसके को-क्रिएटर भी हैं. ‘थप्पड़’ की राइटर रही मृण्मयी लागू का नाम भी ‘स्कूप’ के क्रिएटर्स में शामिल है.
Fresh off the press and soon to be streaming on Netflix, presenting you, Scoop 🗞️@MatchboxShots
— Hansal Mehta (@mehtahansal) February 8, 2022
@sanjayroutray
@Saritagpatil
@NetflixIndia
@mrunmayeelagoo
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अपने मीडिया स्टेटमेंट में हंसल मेहता ने कहा था कि ये बुक पढ़ते समय उन्हें एहसास हुआ कि इस कहानी को स्क्रीन पर लाना बेहद ज़रूरी है. क्या थी जिगना वोरा की कहानी, क्यों मीडिया ही इस जर्नलिस्ट के खिलाफ हो गई, जेल में उनकी दुनिया फिल्मी जेलों से कितनी भयावह थी, आज आपको ये पूरी कहानी बताएंगे.
# लाइसेंस प्लेट, छोटा राजन और एक मर्डर
11 जून, 2011. दोपहर करीब 03 बजे का समय. मुंबई का पवई इलाका. मिड डे में क्राइम एंड इंवेस्टिगेटिव एडिटर रहे ज्योतिर्मय डे, जिन्हें मीडिया सर्कल में जे डे भी कहा जाता था, मोटरसाइकिल पर अपने घर लौट रहे थे. तभी चार बाइक सवार उनका पीछा करने लगे. उन्हें घेरकर उन पर गोलियां चलाने लगे. उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी. जेडे हत्याकांड के बाद मीडिया इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया. पत्रकारिता की क्राइम बीट में वे जाना-माना नाम थे. दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन जैसे अंडरवर्ल्ड गैंगस्टर्स पर रिपोर्ट कर चुके थे.
डे के करीबी बताते हैं कि वो बहुत गुप्त तरीके से काम करते थे. कंप्यूटर पर कोई स्टोरी फाइल करते, तो स्क्रीन को घुमा लेते ताकि कोई दूसरा न देख पाए. अपनी बीवी तक को खबर नहीं देते कि किस स्टोरी पर काम कर रहे हैं. फोन में अपने सोर्सेज़ का नाम अजीबोगरीब ढंग से सेव करते. जैसे किसी पुलिसवाले का नाम WWF से सेव किया हुआ था.

क्राइम रिपोर्टर्स के बीच जाना-माना नाम थे जेडे. फोटो - FinancialExpress
इंडिया रिपोर्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक जेडे के मर्डर के बाद छोटा राजन ने कुछ पत्रकारों को फोन कर इसकी पूरी ज़िम्मेदारी ली. उसने कहा कि डे उसके खिलाफ लिखते थे, जिस बात से वो तंग आ चुका था. पवई पुलिस स्टेशन में मर्डर का केस दर्ज हुआ. जिसके बाद जांच क्राइम ब्रांच हो सौंप दी गई. मर्डर के 16 दिन बाद ही क्राइम ब्रांच ने सात लोगों को गिरफ्तार किया. उन सात में से एक शख्स था सतीश कालिया. वो शूटर. जिसने जेडे पर गोलियां चलाई थीं. आरोपियों से पूछताछ चली. पूछताछ के आधार पर क्राइम ब्रांच ने तीन और लोगों को अरेस्ट किया.
पकड़े गए लोग छोटा राजन की गैंग से जुड़े थे. राजन को वांटेड करार दिया जा चुका था. उसकी तलाश जारी थी. क्राइम ब्रांच ने आरोपियों पर Maharashtra Control of Organised Crime Act यानी मकोका लगा दिया. यहां बता दें कि मकोका टेररिज़्म या ऑर्गनाइज़्ड क्राइम से जुड़े अपराधियों पर लगाया जाता है. 07 जुलाई, 2011 को मकोका लगाया गया. इस केस में अगला बड़ा डेवेलपमेंट आया करीब चार महीने बाद. जब पुलिस ने 25 नवंबर को जर्नलिस्ट जिगना वोरा को अरेस्ट किया. पुलिस के मुताबिक जिगना ने ही जेडे का मर्डर करने के लिए छोटा राजन को उकसाया था. साथ ही पुलिस का ये भी कहना था कि जिगना ने जेडे की बाइक का लाइसेंस प्लेट नंबर और घर का पता छोटा राजन को दिया था.