जब राज कपूर चाहते थे कि 'सत्यम शिवम सुंदरम' में ज़ीनत अमान की जगह लता एक्टिंग करें
लता ने ना भी किया और हां भी.
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लता मंगेशकर ने फिल्मी सफर की शुरुआत एक्टिंग से की, फिर भी उन्हें कैमरा के सामने आने से नफरत थी. फोटो - इंडिया टुडे / Cinestaan
अगर आपको एक इच्छा दी जाए, तो आप क्या मांगेंगी?लता मंगेशकर जवाब देती हैं:
मैं पुनर्जन्म में भरोसा करती हूं. फिर भी चाहती हूं कि मरने के बाद मेरा फिर जन्म न हो. मुझे भगवान दुबारा जन्म न दे तो अच्छा है. एक ज़िंदगी काफी है.लता मंगेशकर से ये सवाल पूछा था जर्नलिस्ट खालिद मोहम्मद ने. इस डिटेल्ड इंटरव्यू में लता जी ने अपनी लाइफ और करियर के कई पहलुओं पर बात की. फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े किस्से बताए. उन्हीं में से एक किस्सा जुड़ा था राज कपूर से. हुआ यूं कि राज कपूर ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ बनाने की सोच रहे थे. अपनी नायिका के रूप में उनके ज़हन में लता का नाम था. चाहते थे कि किसी भी तरह लता फिल्म में एक्टिंग करें.
लता ने बताया कि राज कपूर का ऑफर सुनकर वो हैरान रह गईं. पूछा मैं और हीरोइन? साफ मना कर दिया. लता जी ने बताया कि उनके सुनने में आया था कि फिर ये रोल हेमा मालिनी को ऑफर किया गया था. उन्होंने भी मना कर दिया, क्योंकि वो कैरेक्टर के पहनावे के साथ कम्फर्टेबल नहीं थी. आगे हम सब जानते हैं कि वो रोल ज़ीनत अमान ने निभाया.

राज कपूर लंबे समय से 'सत्यम शिवम सुंदरम' को बनाने का आइडिया अपने साथ लेकर चल रहे थे. फोटो - Cinestaan
‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की कास्टिंग से जुड़ा ये किस्सा यतीन्द्र मिश्रा की किताब ‘लता: सुरगाथा’ में भी मिलता है. जहां लता जी ने बताया था कि राज कपूर ने ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की पटकथा उन्हें ही आधार बनाकर लिखी थी. वो चाहते थे कि लता मुख्य किरदार निभाएं, क्योंकि उस किरदार की आवाज़ ही पूरी कहानी का सबसे अहम पक्ष है. लता इसके लिए नहीं मानीं. उन्होंने कहा कि परदे पर आना तो मुझे गवारा नहीं, लेकिन इस फिल्म के लिए मैं अपनी आवाज़ दे सकती हूं.
काफी लोग नहीं जानते कि लता मंगेशकर के करियर की शुरुआत एक्टिंग से हुई थी. उनका नाम भी एक किरदार की ही देन है. बचपन में उनका नाम हेमा था. जिसे बाद में बदलकर लता किया गया, उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर के नाटक ‘भाव बंधन’ की कैरेक्टर लतिका के नाम पर. 1942 में उनके पिता के देहांत के बाद मंगेशकर परिवार के करीबी रहे डायरेक्टर मास्टर विनायक दामोदर ने अपनी फिल्म ‘पहिली मंगलागौर’ में लता मंगेशकर को एक छोटा सा रोल दिया. इसके बाद उन्होंने 1945 में आई फिल्म ‘बड़ी मां’ में भी एक्टिंग की, जहां उनके साथ उनकी बहन आशा भोसले भी थीं.
2008 में NDTV को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि भले ही उनकी शुरुआत बतौर एक्टर हुई, लेकिन उन्हें एक्टिंग कभी पसंद नहीं थी. कहा,
मुझे कैमरे के सामने हंसने, रोने और मेकअप लगाने से नफरत थी. इस दौरान मुझे सिंगिग में मज़ा आता था. मुझे बचपन से सिंगिंग से लगाव था.लता मंगेशकर ने अपने दिल की सुनी और गायकी पर काम किया. परिणामस्वरूप, 36 भाषाओं में हज़ारों गानों को अपनी आवाज़ दी. यही वजह है कि उनके जाने के बाद पाकिस्तान के बाबर आज़म से लेकर वेस्ट इंडीज़ के डैरेन गंगा तक सब उन्हें याद कर रहे हैं.