देवताओं-दैत्यों में युद्ध चल रहा था. इंद्र ने दैत्यों के राजा बलि को पटक दिया और उनकी निकल गई जान. लेकिन शुक्राचार्य ने उन्हें अपनी शक्ति से जिंदा कर दिया. दैत्यों ने वापसी की और देवताओं से स्वर्ग छीन लिया. ये सब देखकर इंद्र की हवा टाइट हो गई. घबराए हुए गए ब्रह्मा के पास. ब्रह्मा बोले- बेटा सही कहें तो अभी पीछे हो लो और अपनी किस्मत पलटने का वेट करो.
पर कश्यप जी की वाइफ अदिति से ये बर्दाश्त नहीं हो रहा था. कश्यप जी ने उनको परेशान देखकर पयोव्रत जो कि एक बहुत कठिन व्रत था, करने के लिए कहा. अदिति ने व्रत पूरा किया और बदले में भगवान ने प्रकट होकर कहा- हम डायरेक्टली तो तुम्हारी मदद नहीं कर सकते. हम तो देवताओं और दैत्यों दोनों से प्यार करते हैं. पर हां, तुम्हारे गर्भ से पैदा होकर ज़रूर कुछ उपाय किया जा सकता है. फिर अदिति ने भगवान को वामन, मतलब कि एक बौने के रूप में जन्म दिया. छोटू से भगवान बड़े सुंदर दिखते थे.
छोटू भगवान को जब पता चला कि बलि कई सारे अश्वमेध यज्ञ कर रहा है, तो वो ब्राह्मण बनकर वहां भीख मांगने गए. बलि को भगवान बड़े क्यूट लगे और उसने उनसे डिमांड करने को कहा. तब छोटू भगवान ने कहा कि उनको अपने तीन कदम के बराबर पृथ्वी चाहिए. बलि को लगा ब्राह्मण नादान है और उन्होंने हंसकर हां कर दी. उसके बाद ही छोटू भगवान विराट रूप लेने लगे और बहुत बड़े हो गए. इतने बड़े कि दो कदम में ही पूरी पृथ्वी और स्वर्ग उनका हो गया. बलि को तब पता लगा कि ये तो असल में भगवान की माया थी.
तब भगवान ने बलि से कहा- मेरा एक कदम अब भी बचा हुआ है. अगर मैंने तीसरा कदम नहीं लिया तो तुम जाओगे सीधा नरक में. बलि बिल्कुल भी परेशान नहीं हुआ और कहा: इट्स ओके, आप हमारी खोपड़ी पर अपना तीसरा कदम रखिए और अपनी मांग पूरी करिए.
(श्रीमद्भागवत महापुराण)