जब परमाणु परीक्षण के बाद पूर्व रक्षामंत्री मुलायम नए रक्षामंत्री फर्नांडिस के सामने पड़ गए थे
अटल सरकार की परमाणु सफलता पर विपक्ष के नेताओं का क्या हाल था!

11 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में लगातार तीन परमाणु बमों का परीक्षण किया. इसके कुछ मिनटों पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली स्थित अपने सरकारी घर 7 रेस कोर्स पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और नज़ाकर भरे शब्दों में ऐलान किया कि भारत एक परमाणु संपन्न राष्ट्र बन गया है.
भारत पिछले कई बरसों से परमाणु परीक्षण की कोशिशों में लगा हुआ था. वाजपेयी से पहले नरसिम्हा राव की सरकार में इस प्रॉजेक्ट पर खूब काम हुआ. 1996 में खुद नरसिम्हा राव ने ही ये मशाल वाजपेयी के हाथों में पकड़ाई थी, लेकिन महज़ 13 दिन सरकार टिकने की वजह से मुल्क को और इंतज़ार करना पड़ा. पर 1998 में ये इंतज़ार भी खत्म हो गया.

पीवी नरसिम्हा राव के गले लगते अटल बिहारी वाजपेयी
ये सब तो गंभीर बातें थीं. मज़ेदार घटनाएं तो विपक्ष के खेमे से आ रही थीं, जिनकी शुरुआत अप्रैल 1998 में हो चुकी थी. अप्रैल में कांग्रेसी नेता प्रणब मुखर्जी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि 'परमाणु हथियारों के मामले में भाजपा का रवैया CTBT-अप्रसार संधि पर दस्तखत न करने और वैश्विक निरस्त्रीकरण पर ज़ोर देने की सर्वसम्मत नीति का उल्लंघन है.'
ये बयान देते समय मुखर्जी शायद भूल गए थे कि एक मंत्री होने के नाते उन्होंने भी इस बात में योगदान दिया था कि देश के पास न केवल परमाणु विकल्प हो, बल्कि परमाणु हथियार भी इस हालत में हों कि वक्त पड़ने पर ये तुरंत तैयार किए जा सकें.
पोखरण में परमाणु विस्फोट के कुछ ही मिनटों बाद संसद में पूर्व और तत्कालीन रक्षामंत्रियों- मुलायम सिंह यादव और जॉर्ज फर्नांडिस का आमना-सामना हुआ. ये दोनों ही नेता समाजवादी खेमे से आते थे, जिन्हें बीजेपी नाम की विभाजनरेखा ने अलग कर दिया था. मुलायम देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के प्रधानमंत्री रहते रक्षामंत्री रहे थे. दोनों ने एक-दूसरे से दुआ-सलाम की, फिर मुलायम ने सवाल दागा, 'क्या हो रहा है?'

पोखरण में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और परमाणु कार्यक्रम के वैज्ञानिकों के साथ रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस
फर्नांडिस ने जवाब दिया, 'धमाका हो गया.'
मुलायम चौंके. बोले, 'धमाका?'
फर्नांडिस ने फिर छोटा सा जवाब दिया, 'हां धमाका. परमाणु विस्फोट. वो काम, जो आप लोग नहीं कर सके.'
मुलायम के पास कोई जवाब नहीं था, लेकिन विरोधी होने के धर्म तो निभाना ही था. उनकी भाजपा की आलोचना की आदत ने ज़ोर मारा और वो बोले, 'मैंने पहले ही कहा था कि इन लोगों को सरकार मत बनाने दो. हम सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर चर्चा करते रह गए और ये लोग देखो क्या कर बैठे.'

मुलायम सिंह यादव, बतौर रक्षामंत्री
उधर शरद यादव की हालत भी हास्यास्पद हो रखी थी. एक तो उनकी जनता पार्टी, जो सत्तारूढ़ थी, वो आम चुनाव में धरातल पर आ गई. वो मधेपुरा में लालू यादव से चुनाव हार गए, तो जिस सोशल इंजीनियरिंग के वो स्वयंभू मसीहा हो रखे थे, वो दर्जा भी उनसे छिन गया. परमाणु विस्फोट के एक-डेढ़ हफ्ते बाद उनकी पार्टी की बिहार यूनिट के मुखिया रमई राम सात विधायक अपने साथ लेकर लालू के पाले में चले गए. चूंकि वो सांसद नहीं रह गए थे, तो उनसे दिल्ली का सरकारी बंगला भी खाली कर लिया गया.
इतने झटकों के बाद जब पत्रकारों ने न्यूक्लियर टेस्ट पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी, शरद यादव बड़ी तल्खी से बोले, 'न्यूक्लियर ब्लास्ट क्या है, हमारी पार्टी में ब्लास्ट हो रहा है और हमें समझ नहीं आ रहा है.'

दिल्ली में देवीलाल और मुलायम सिंह यादव के साथ शरद यादव
पोखरण परीक्षण के बाद बीजेपी के सारे नेता गजब की डिमांड में आ गए. पत्रकार लगभग सभी बड़े नेताओं को फोन करके उनकी रिएक्शन ले रहे थे. लेकिन याद कीजिए, पोखरण परीक्षण के बारे में बेहद कम लोगों को जानकारी थी. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी कैबिनेट के कई मंत्रियों से भी इसे ज़ाहिर नहीं किया था. यहां तक कि सेना प्रमुखों को भी काफी बाद में इसकी जानकारी दी गई.
ऐसे में जब यूपी में बीजेपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने पहली बार परमाणु परीक्षण के बारे में सुना, तो उन्हें लगा कि उत्तर प्रदेश के किसी इलाके में आतंकी हमला हो गया है. पोखरण परीक्षण की खबर आने के तुरंत बाद एक पत्रकार ने कल्याण सिंह से उनका रिऐक्शन जानने के लिए फोन किया. कल्याण का जवाब था, 'क्या? बम विस्फोट? नहीं, मुझे किसी बम विस्फोट की जानकारी नहीं है.'

कल्याण सिंह
कल्याण ने फोन करने वाले शख्स से कहा, 'गृह विभाग से जानकारी करके बताते हैं.' कल्याण ने गृह विभाग से मालूम करके फोन करने वाले को जवाब दिया, 'नहीं, कोई बम विस्फोट नहीं हुआ है और राज्य में पूरी तरह शांति है.' इससे पहले कि वो पत्रकार उन्हें पूरी बात बता पाता, मुख्यमंत्री ने फोन रख दिया. उधर पत्रकार का हंसते-हंसते बुरा हाल हो गया.
ये भी पढ़ें:
न्यूक्लियर टेस्ट होने से एक महीने पहले देश में क्या हो रहा था?