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रेड हेफ़र्स से जुड़ी भविष्यवाणी जो मिडिल-ईस्ट में तबाही ला सकती है!

ये प्रथा मिडिल-ईस्ट में आग लगा देगी!

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ये प्रथा मिडिल-ईस्ट में आग लगा देगी!
ये प्रथा मिडिल-ईस्ट में आग लगा देगी!
4 अप्रैल 2024
Updated: 4 अप्रैल 2024 20:54 IST
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पांच लाल गायें, एक यहूदी मंदिर और तीसरा विश्वयुद्ध. आप पूछेंगे, इन तीनों का आपस में क्या कनेक्शन है? कनेक्शन है. और, इतना बड़ा है कि इसकी वजह से पूरी दुनिया में क़यामत आ सकती है. इस कहानी का एक सिरा इज़रायल-फ़िलिस्तीन विवाद से जुड़ा है. जहां इस वक़्त एक बड़ी जंग चल रही है. और, कुछ लोग उससे भी भयंकर जंग की पटकथा तैयार कर रहे हैं.

दरअसल, एक कट्टर यहूदी संगठन अमेरिका के टेक्सस से पांच रेड हेफ़र्स इज़रायल लेकर आया है. इनको वेस्ट बैंक में अज्ञात जगह पर रखा गया है. रेड हेफ़र लाल रंग की गाय होती है. उनकी पवित्रता को लेकर कुछ शर्तें तय हैं. मसलन, एक भी बाल सफेद नहीं होना चाहिए. कभी खेत में जोता ना गया हो. कभी बच्चा ना हुआ हो. कुछ यहूदियों और ईसाइयों की मान्यता है कि रेड हेफ़र की बलि के बाद ही थर्ड टेम्पल की स्थापना होगी. अगर कभी थर्ड टेम्पल बना तो ये यहूदियों की सबसे पवित्र जगह होगी.

इसमें पेच क्या है?

दरअसल, थर्ड टेम्पल को उस जगह पर बनाने की बात हो रही है, जहां पर अल-अक़्सा मस्जिद है. अल-अक़्सा मुस्लिमों का तीसरा सबसे पवित्र स्थान है. थर्ड टेम्पल की स्थापना इसके अस्तित्व को ख़तरे में डाल सकती है. कई जानकार कहते हैं, अगर कभी ऐसा हुआ तो क़यामत तय है. आधुनिक इज़रायल के इतिहास को देखें तो अल-अक़्सा को लेकर कई बार लड़ाई हो चुकी है. हज़ारों लोग मारे गए हैं. इज़रायल-फ़िलिस्तीन विवाद की जड़ में भी अल-अक़्सा कम्पाउंड ही है. जिसको यहूदी टेम्पल माउंट कहते हैं.

तो, आइए जानते हैं,

-  थर्ड टेम्पल की कहानी क्या है?

- इज़रायल की सरकार इसपर क्या सोचती है?

- और, क्या रेड हेफ़र्स के चलते तीसरा विश्वयुद्ध हो सकता है?

जहां आज बात रेड हाइफ़र्स की.

तारीख़, 14 जनवरी 2024.

इज़रायल-हमास जंग का सौवां दिन.

उस रोज़ हमास के मिलिटरी विंग अल-क़साम ब्रिगेड्स के प्रवक्ता अबू ओबैदा ने एक वीडियो रिलीज़ किया. इसमें 07 अक्टूबर के आतंकी हमले की वजहें गिनाईं. एक वजह पर बहुत कम लोगों का ध्यान गया. ओबैदा ने आरोप लगाया कि यहूदी रेड हेफ़र्स लेकर आ चुके हैं. और, वे जल्द से जल्द थर्ड टेम्पल बनाने की तैयारी कर रहे हैं.

थर्ड टेम्पल की कहानी क्या है?

यहूदी, ईसाई और इस्लाम, तीनों को अब्राहमिक रिलीजन कहते हैं. क्योंकि इन तीनों धर्मों के तार पैगंबर अब्राहम से जुड़ते हैं. तीनों ही धर्मों में इन्हें पैगंबर का दर्जा मिला हुआ है.

आज से लगभग चार हज़ार बरस पहले की बात है. यहूदी मान्यता के मुताबिक़, पैगंबर अब्राहम को ईश्वर ने अपने बेटे इसहाक़ की क़ुर्बानी देने का आदेश दिया. उन्होंने आदेश माना. बेटे की कुर्बानी देने पहुंचे भी. लेकिन ऐन वक़्त पर ईश्वर ने इसहाक की जगह एक भेड़ रख दिया. माना जाता है कि ईश्वर उनकी परीक्षा ले रहे थे. जिस जगह अब्राहम कुर्बानी देने पहुंचे थे. बाइबल के मुताबिक़, उसी जगह पर प्राचीन इज़रायल के राजा सोलोमन ने एक मंदिर बनाया. तक़रीबन तीन हज़ार बरस पहले. यहूदी इसको फर्स्ट टेम्पल कहते हैं. ये जेरूसलम में था. इस तरह जेरूसलम यहूदियों का सबसे पवित्र शहर बन गया. हालांकि, कुछ समय बाद ही बेबीलोन के राजा नेबूचंद्रज़ार का हमला हुआ. उसने मंदिर तोड़ दिया. बेबीलोन आज के समय में इराक़ में है.

फर्स्ट टेंपल की सांकेतिक तस्वीर (Photo by: Sepia Times/Universal Images Group via Getty Images)

बेबीलोन के पतन के बाद पर्शियन साम्राज्य आया. उन्होंने छठी सदी में यहूदियों के लिए नया मंदिर बनवाया. ये कहलाया, सेकेंड टेम्पल. सेकेंड टेम्पल करीब 05 सौ बरसों तक वजूद में रहा. पहली शताब्दी शुरू होने से पहले जेरूसलम रोमन साम्राज्य के कंट्रोल में चला गया. सन 70 ईसवी में रोमनों ने सेकेंड टेम्पल भी तोड़ दिया. इस टेम्पल की एक दीवार आज भी मौजूद है. इसे कहते हैं- वेस्टर्न वॉल. यहूदी आज भी यहां इबादत करते हैं.

ख़ैर, सातवीं सदी में इस्लाम का उदय हुआ. जल्दी ही ये वेस्ट एशिया में तेज़ी से फैला. फ़िलिस्तीन में भी आया. 638 ईसवी तक ये इलाका इस्लामी ख़िलाफ़त के कंट्रोल में आ चुका था. इस्लामी मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद यहीं से घोड़े पर सवार होकर जन्नत गए थे. 688 से 693 ईसवी के बीच जेरूसलम में दो बड़ी मस्जिदें बनीं. पहली थी, डोम ऑफ़ द रॉक और दूसरी थी, अल-अक़्सा मस्जिद. इसके आसपास के इलाकों को नाम मिला, हरम अल-शरीफ़. ये इस्लाम में मक्का और मदीना के बाद तीसरा सबसे पवित्र स्थल है.

यहीं पर यहूदियों के सेकेंड टेम्पल की आखिरी निशानी वेस्टर्न वॉल भी है. पेच यहीं फंसता है. कट्टर यहूदी मानते हैं कि थर्ड टेम्पल यहीं पर बनना चाहिए. आशंका है कि थर्ड टेम्पल बनाने में अल-अक्सा मस्जिद और डोम ऑफ़ दी रॉक को तोड़ दिया जाएगा. जिसके चलते मुसलमान नाराज़ हो सकते हैं. और, देशों के बीच धार्मिक युद्ध शुरू हो सकता है.

कितना बड़ा है थर्ड टेम्पल विवाद?

इज़रायल में ऐसे कई संगठन हैं, जो थर्ड टेम्पल के लिए चंदा और समर्थन जुटा रहे हैं. वे मंदिर के नक़्शे तक की प्लानिंग कर चुके हैं. ऐसा ही एक संगठन है. टेम्पल इंस्टीट्यूट. इसकी स्थापना 1987 में हुई थी. 2007 में वे यहूदी प्रीस्ट्स के लिए यूनिफ़ॉर्म भी सिलवा चुके हैं.

हालांकि, टेम्पल इंस्टीट्यूट अकेला ऐसा संगठन नहीं है. इस तरह के कई और भी हैं. और, मीडिया रपटों की मानें तो इन्हें बाकायदा इज़रायल सरकार से फ़ंडिंग भी मिलती है. और तो और, कई मौकों पर इज़रायल की पॉलिटिकल लीडरशिप भी थर्ड टेम्पल बनाने की बात कर चुकी है. जुलाई 2023 में उस समय के हाउसिंग एंड कंस्ट्रक्शन मिनिस्टर उरी एरियल ने थर्ड टेंपल बनाने की बात कही थी.

अब थर्ड टेम्पल और रेड हेफ़र का कनेक्शन समझ लेते हैं.

मान्यता है कि ईश्वर ने टेम्पल की स्थापना के लिए कुछ संदेश दिए थे. इसके मुताबिक़, रेड हेफ़र की बलि देने के बाद उसको जलाया जाएगा. फिर उसकी राख को पानी में घोला जाएगा. उस घोल को टेम्पल में कदम रखने वालों के शरीर पर मला जाएगा. उसके बाद ही थर्ड टेम्पल खड़ा होगा. और, धरती पर मसीहा का आगमन होगा.

कुछ कट्टर यहूदी उस भविष्यवाणी को दोहराना चाहते हैं. मिडिल ईस्ट आइ की रिपोर्ट के मुताबिक़, थर्ड टेम्पल की स्थापना के मकसद से बने एक समूह उव्ने जेरूसलम ने बलि के लिए अप्रैल 2024 की तारीख़ तय की थी. वो महीना आ चुका है. और, इज़रायल-हमास जंग के बीच इसकी आशंका बढ़ गई है. हालांकि, इस भविष्यवाणी पर इज़रायल सरकार ने कुछ नहीं कहा है.

अब पाकिस्तान से आया एक ज़रूरी अपडेट जान लेते हैं.

पाकिस्तान में जजों को धमकी भरी चिट्ठियों भेजी जा रहीं है. चिट्ठी के साथ-साथ ज़हरीला पाउडर भी मिला है. 03 अप्रैल को सबसे पहले इस्लामाबाद हाई कोर्ट के 8 जजों को ऐसे लिफाफे मिले. इसके बाद लाहौर हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी ऐसी चिट्ठियां मिलने की ख़बर आई है.

लिफाफे में मिले पाउडर को जांच के लिए भेज दिया गया है. कूरियर कंपनी के कुछ लोग गिरफ्तार भी किए गए हैं. उनसे पूछताछ चल रही है.

चिट्ठी में क्या लिखा है?

पाकिस्तानी अखबार डॉन के की रिपोर्ट के मुताबिक़, चिट्ठी में धमकी दर्ज है.  जजों पर पाकिस्तान की समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार बताया गया है. कुछ दिनों पहले ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों ने चिट्ठी लिखकर ISI पर गंभीर आरोप लगाए थे. जजों का आरोप था कि पाकिस्तान की एजेंसियां न्यायपालिका को काम नहीं करने दे रही हैं. चर्चा है कि दोनों घटनाओं का कनेक्शन हो सकता है. 

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