BJP की वेत्री वेल यात्रा क्या है, जिसको लेकर तमिलनाडु की सियासत गरमाई हुई है
यात्रा और इसके पीछे की राजनीति के बारे में सबकुछ जानिए आसान भाषा में.
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तमिलनाडु बीजेपी के प्रमुख एल. मुरुगन ने 6 नवंबर से 6 दिसंबर तक चलने वाली अपनी वेत्री वेल यात्रा तमिलनाडु सरकार से अनुमति न मिलने के बावजूद शुरू कर दी.
बीजेपी ने तमिलनाडु में 6 नवंबर, शुक्रवार से वेत्री वेल यात्रा निकालने की शुरुआत कर दी है. तमिलनाडु बीजेपी के चीफ एल. मुरुगन ने बाकायदा एक मिनी बस पर बैठकर इस यात्रा का आगाज कर दिया है. तमिलनाडु की AIADMK सरकार ने यात्रा की परमिशन नहीं दी है. इसके बावजूद यह यात्रा निकाली जा रही है.सरकार ही नहीं, तमिलनाडु की बाकी पार्टियों को भी इस यात्रा से दिक्कत महसूस हो रही है. उनका कहना है कि इस यात्रा से बीजेपी फिर से दंगा भड़काने वाली पॉलिटिक्स की शुरुआत करना चाहती है. आखिर ऐसा क्या है वेत्री वेल यात्रा में, जो तमिलनाडु की सरकार के अलावा विपक्षी पार्टियों को भी रास नहीं आ रही.
पहले जानिए कि वेत्री वेल यात्रा होती क्या है
तमिलनाडु में भगवान कार्तिकेय को भगवान मुरुगन के रूप में पूजा जाता है. वही कार्तिकेय, जो मोर की सवारी करते हैं. 'मुरुगन' शब्द बना तमिल शब्द 'मुरुकन' से. इसका मतलब होता है 'युवा'. तमिल साहित्य की सबसे पुरानी किताबों, जैसे 'तोलकप्पियम' में भी इनका वर्णन मिलता है. 'स्कन्दपुराण' में लिखी एक कथा के अनुसार, देवता 'सोरपद्मन' नाम के दैत्य से बहुत परेशान थे. उन्होंने अपनी रक्षा के लिए देवता ब्रह्मा और विष्णु के पास पहुंचे. उन्होंने भगवान शिव के पास जाने का रास्ता सुझाया. शिव ने दैत्य से निपटने की जिम्मेदारी अपने बेटे कार्तिकेय यानी मुरुगन को दे दी. मुरुगन ने उस दैत्य का संहार किया और देवताओं के बचाया. इस लिहाज से उन्हें युद्ध का देवता भी माना जाता है. संगम साहित्य में कई जगह उन्हें प्रेम का देवता भी कहा गया है.
तमिलनाडु के अलावा केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी इनके मंदिर हैं. हालांकि भगवान मुरुगन से जुड़े छह पवित्र स्थान पूरे तमिलनाडु में हैं. इन्हें 'अरुपादवी वीडु' कहा जाता है. ये पवित्र स्थान हैं- थिरुपरानकुनद्रम, तिरुचेंदुर, पालानि, स्वामीमलाई, थिरुथिनी, पज़ामुदिदचोलई. भगवान मुरुगन के भक्तों की इच्छा होती है कि वो जीवनभर में कम से कम इन छह जगहों की यात्रा जरूर कर लें.

चेन्नई से 90 किलोमीटर दूर थिरुत्तनी मंदिर से ही बीजेपी अपनी वेत्री वेल यात्रा की शुरुआत कर रही है.
बीजेपी का यात्रा प्लान क्या है
बीजेपी भी भगवान मुरुगन के छह पवित्र स्थानों की यात्रा का प्लान बना चुकी है. बीजेपी ने यह यात्रा एक महीने में पूरा करने का टारगेट रखा है. यात्रा 6 नवंबर को शुरू करके 6 दिसंबर को खत्म करने का प्लान है. यात्रा में तिरुत्तनी से शुरू होकर तिरुचेंदुर पर खत्म होगी. इस दौरान बीजेपी भगवान मुरुगन के चार मंदिरों से होकर गुजरेगी. इस दौरान तमिलनाडु बीजेपी के कई नेता यात्रा में मौजूद रहेंगे और लोगों से मिलते और संबोधित करते हुए आगे बढ़ेंगे.
इस यात्रा के लिए बाकायदा यूट्यूब कैंपेन और एंथम सॉन्ग भी लॉन्च किया गया है. चूंकि ये पवित्र स्थान पूरे तमिलनाडु में फैले हैं, इस लिहाज से इसे इलेक्शन से पहले माहौल बनाने वाली यात्रा भी कहा जा रहा है. याद रहे कि अगले साल तमिलनाडु में चुनाव हैं. अब बस कुछ महीनों का ही वक्त बचा है. फिलहाल प्रदेश में बीजेपी समर्थक जहां पर हैं, वहां से यात्रा शुरू कर रहे हैं. इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि को यात्रा निकालने पर हिरासत में लिया गया है. इस बात की जानकारी उन्होंने ट्वीट के जरिए दी.
Is it a crime to worship Lord Murugan?
Its unfortunate that in Tamil Nadu, the land of great temples, I was detained by Police along with @BJP4TamilNadu
Leaders at Thiruttani.
We cannot be stopped in our endeavour to serve Tamil Makkal. We will continue Our efforts.#VelYatra
pic.twitter.com/UWGERkKwdd
— C T Ravi 🇮🇳 ಸಿ ಟಿ ರವಿ (@CTRavi_BJP) November 6, 2020
सरकार को दिक्कत क्या है
सरकार इस यात्रा को रोकने के पीछे कोविड 19 की समस्या बता रही है. उसका कहना है कि अब भी तमिनलाडु के कई इलाके कोविड के संकट से बचे हुए हैं. लेकिन अगर इस तरह से लंबी यात्राएं की गईं, तो एक जगह से दूसरी जगह संक्रमण फैलने का खतरा है. खैर, सरकार ने भले ही यात्रा की इजाजत नहीं दी है, पर तमिलनाडु बीजेपी अपनी यात्रा पर निकल पड़ी है. इसे कई जगह पर पुलिस ने रोका भी है. ऐसे में यह यात्रा से ज्यादा प्रदर्शन का रूप लेती नजर आ रही है. यात्रा के दौरान तमिलनाडु बीजेपी चीफ का कहना है कि जब प्रदेश में स्कूल खुल सकते हैं, बिहार में इलेक्शन हो सकते हैं, तो धार्मिक यात्रा निकालने में क्या दिक्कत है? वो कहते हैं कि ये यात्रा उनका संवैधानिक अधिकार है और इसे कोई नहीं छीन सकता.

तमिलनाडु की AIADMK सरकार ने इस यात्रा की इजाजत नहीं दी है. चीफ मिनिस्टर ईके पलानिस्वामी भी इसके खिलाफ हैं.
विरोध क्यों हो रहा है और कौन कर रहा है
तमिलनाडु में AIADMK की सरकार है. बीजेपी को उसका समर्थन मिला हुआ है. इसके सबसे बड़े नेता रहे हैं एमजी रामचंद्रन. बीजेपी ने अपनी यात्रा का जो प्रमोशनल वीडियो बनाया है, उसकी शुरुआत ही एमजी रामचंद्रन के शॉट से की है. इसे लेकर भी AIADMK के कई नेता नाराज हैं. उनका कहना है बीजेपी एमजी रामचंद्रन को धर्म की राजनीति से जोड़कर दिखाना चाहती है. राजनीति के जानकार इसे AIADMK की सरकार को चुनौती देने वाला कदम भी बात रहे हैं. विपक्षी पार्टियां भी भड़की हुई हैं. CPI-M के स्टेट सेक्रेटरी के. बालाकृष्णन का कहना है-
तमिलनाडु सरकार को इस यात्रा को फौरन रोकना चाहिए. यह प्रदेश में दंगा कराने की कोशिश है.
दलित समर्थन वाली पार्टी वीसीके के प्रमुख थोल थिरुमावालावन का कहना है-
इसकी आखिरी तारीख 6 दिसंबर रखा जाना एक साजिश की तरफ इशारा करता है. इस दिन न सिर्फ बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, बल्कि ये दिन भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि का भी है.
वीसीके प्रमुख तमिलनाडु के डीजीपी से भी इस बारे में मुलाकात कर चुके हैं और उन्हें आगाह किया है. कांग्रेस ने भी इस यात्रा का विरोध किया है. साथ ही वह किसान बिल के खिलाफ 'हल यात्रा' निकालने की बात कह चुकी है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी भी इसमें शामिल होंगे. हालांकि इसकी कोई तारीख अभी घोषित नहीं की गई है. इस बीच पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने इस यात्रा का विरोध करते हुए कहा-
इस वेल यात्रा का धर्म से कुछ भी लेना-देना नहीं है और न ही इसका तमिल हिंदू संस्कृति से कुछ लेना है. मैं भगवान मुरुगन के भक्त के तौर पर ऐसा कह रहा हूं. मेरा तो नाम भी भगवान मुरुगन का एक नाम ही है. बीजेपी के हिंदी और हिंदुत्व के एजेंडे को तमिलनाडु हमेशा नकार देगा.
This supposed #VelYatra
has no religious or traditional practice sanction in our Tamil-Hindu culture or heritage. I state this as an ardent devotee of Lord Muruga. My given name is a variant of the Lord’s. @BJP4India
’s Hindi Hindutva agenda will always rejected in TN. pic.twitter.com/r7crGpT09k
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) November 6, 2020
हालांकि, तमिलनाडु बीजेपी के राज्य उपाध्यक्ष का कहना है-
बीजेपी नहीं, बल्कि राज्य की विपक्षी पार्टियां यात्रा पर राजनीति कर रही हैं. राजनीतिक पार्टियां 6 दिसंबर को किसी खास मकसद से इस यात्रा से जोड़ रही हैं. विपक्षी पार्टियां लोगों को बांटने वाली बात कह रही हैं. जो भगवान मुरुगन को मानते हैं, वो शांतिप्रिय होते हैं. विपक्षी पार्टियां तीन तलाक कानून खत्म होने के बाद बीजेपी को मिल रहे समर्थन से डरे हुए हैं.
आखिर इस यात्रा के पीछे की राजनीति क्या है
जब इस यात्रा का लोगो और थीम सॉन्ग लॉन्च किया जा रहा था, उस वक्त तमिलनाडु बीजेपी प्रेसिडेंट एल. मुरुगन ने कहा था-
यह यात्रा तमिलनाडु की पॉलिटिक्स का टर्निंग पॉइंट होगी.असल बात यही मालूम पड़ती है. बीजेपी पिछले दो इलेक्शन में अच्छा नहीं कर सकी है. उसका वोट शेयर 2014 में 5.56 फीसदी से गिरकर 2019 में 3.66 फीसदी रह गया है. अब इलेक्शन में सिर्फ चंद महीने ही बचे हैं. ऐसे में बीजेपी किसी भी तरह गिरते जनाधार को रोकना चाहती है. जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी, तब भी तमिलनाडु की पॉलिटिक्स पर इसका कोई खास असर नहीं दिखाई पड़ा था. बीजेपी में कई नए चेहरों को भी आजमा चुकी है, लेकिन उसको कोई खास सफलता नहीं मिली है.
राजनीतिक विश्लेषक आर. मनी ने 'इंडिया टुडे' को बताया-
यह पहली बार है, जब बीजेपी एक महीने की यात्रा निकाल रही है. आपको इस यात्रा से 30 साल पहले निकाली गई लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा की याद जरूर आई होगी. लेकिन वह यात्रा भी तमिलनाडु में कोई असर नहीं दिखा पाई थी. जयललिता और करुणानिधि ने कभी भी तमिलनाडु में ऐसी एक महीने की लंबी यात्राएं राज्य में नहीं होने दी हैं. यह विपक्ष को नाराज करने वाली नहीं, बल्कि अपने साथी AIADMK की सरकार को ही चैलेंज करने वाली बात है. इन सबके बावजूद बीजेपी इसे आगे ले जाने पर अड़ी है.राजनीतिक विश्लेषक सुमंत सी. रामन कहते हैं-
तमिलनाडु में सामान्य तौर पर धार्मिक सद्भाव का माहौल रहता है. ऐसे में बीजेपी हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का अच्छा मौका देख रही है, जैसा कि उन्होंने दूसरे स्टेट में किया है. एक संगठन करुप्पर कोट्टम ने जब भगवान मुरुगन पर आपत्तिजनक बातें प्रकाशित कीं, तो बीजेपी ने इसका जमकर विरोध किया और इसका उन्हें फायदा भी मिला. इस यात्रा के जरिए बीजेपी राज्य के हिंदू वोटों को बांधना चाहती है.फिलहाल तमिलनाडु में एक नई यात्रा ने राजनीति में उबाल ला दिया है. प्रदेश की राजनीति के जानकार कहते हैं कि इलेक्शन बहुत नजदीक हैं, ऐसे में इस तरह के प्रदर्शन और यात्राएं और भी देखने को मिलें, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.