क्या है थिएटर कमांड, जिसके बनने से भारतीय सेना बाहुबली हो जाएगी?
लेकिन अब तक ऐसा क्यों नहीं किया गया?
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थिएटर कमांड बनने के बाद भारतीय सेना बेहतर कोऑर्डिनेशन और कम संसाधनों के साथ भी बेहतरीन रिडल्ट देने में सफल होगी. फोटो क्रेडिट- PTI.
दरअसल, रक्षा मामलों के जानकार कहते रहे हैं कि बेहतर सैन्य कार्रवाइयों के लिए देश की सेनाओं को एक संयुक्त कमांड के तहत काम करना चाहिए. सेना के हवाई ऑपरेशन में थल सेना का आर्मी एयर डिफेंस और एयरफोर्स दोनों ही शामिल होते हैं. ऐसे में अगर एक कमांड हो, जहां से हर तरह के हवाई ऑपरेशन कोऑर्डिनेट और कमांड किया जाए तो न सिर्फ परिणाम सटीक होंगे, बल्कि ऐसी गलतियों या चूकों को रोकने में भी मदद मिलेगी, जैसी एमआई-17 के मामले में देखने को मिली थी.
इसे ध्यान में रखते हुए अब सेना में 'थिएटर कमांड' बनाने की तैयारी शुरू हुई है. सूत्रों के अनुसार, इसके तहत अप्रैल-मई तक एयर डिफेंस कमांड और मैरीटाइम थिएटर कमांड काम करना शुरू कर देंगे. भारत अपनी सैन्य क्षमता को बेहतर करने और बढ़ते खतरों, विशेष कर चीन और पाकिस्तान के मद्देनजर, को देखते हुए इस योजना पर अमल करने जा रहा है. इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि थिएटर कमांड क्या है, ये कैसे काम करेगा और हमारी सेनाओं के लिए इसका क्या महत्व होगा. क्या है थिएटर कमांड? थिएटर कमांड का मकसद सेना के सभी अंगों को बेहतर कोऑर्डिनेशन के साथ काम करने के लिए तैयार करना है. जब से आर्मी में तीन सेनाध्यक्षों के अलावा चीफ ऑफ स्टाफ का पद बना है, तब से ये कवायद जारी है. किसी ऑपरेशन के दौरान सेना के सभी अंग एक दूसरे से लगातार संपर्क में रहते हुए एक-दूसरे की गतिविधि से वाकिफ रहें, इसके लिए थिएटर कमांड की शुरुआत की जा रही है. फिलहाल सेना के तीनों अंग अपने-अपने हिसाब से तैयारियां करते हैं और जरूरत पड़ने पर ही कोऑर्डिनेट करते हैं. ऐसा हो सकता है कि एक अंग के पास ऐसी तकनीक हो, जो दूसरे के काम आ सके. लेकिन ऐसा सिस्टम नहीं है कि उस तकनीक को आपस में शेयर किया जा सके. ऐसे में थिएटर कमांड का सिस्टम काम आता है. खबर के मुताबिक, भारत अलग-अलग इलाके और जरूरत के हिसाब से थिएटर कमांड बनाएगा और उनमें वायु सेना, थल सेना और नौसेना तीनों में तालमेल रखा जाएगा. ये ट्राई सर्विस थिएटर कमांड क्या है? आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की अपनी-अपनी कमांड हैं. मिसाल के लिए उधमपुर स्थित सेना की उत्तरी कमांड या नई दिल्ली स्थित वायु सेना की पश्चिमी एयर कमांड या कोच्चि स्थित नौसेना की दक्षिणी कमांड. बालाकोट जैसी कार्रवाई के लिए नई दिल्ली और उधमपुर दोनों मुख्यालयों को साथ लेना पड़ता है. थिएटर कमांड में किसी एक इलाके में रक्षा जरूरतों के हिसाब से सेनाओं को जिम्मेदारी दी जाएगी. जैसे लद्दाख. यहां सेना की माउंटेन स्ट्राइक कोर को वायु सेना के उस अंग के साथ काम में लाया जाएगा, जो ज्यादा ऊंचाई और पहाड़ों के बीच पतली हवा में भी उड़ने में सक्षम हो. जहां पानी मिले, वहां नौसेना के कमांडो को लगाया जाएगा. इस तरह ट्राई सर्विस थिएटर कमांड के तहत एक विशेष इलाके में तीनों सेनाओं से जुड़े संसाधन और एक्सपर्ट साथ में प्लानिंग, ट्रेनिंग और ड्यूटी करेंगे. इससे इमरजेंसी के वक्त बेहतरीन नतीजा मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.

बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सामने आई फोटो. इस एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने भारत के लिए अपना एयर स्पेस बंद कर दिया था.
एयर डिफेंस और मैरीटाइम थिएटर कमांडएयर डिफेंसः ये तीनों सैन्य सेवाओं के एयर डिफेंस रिसोर्सेज को नियंत्रित करेगी. जब भी सेना के किसी अंग को एयर सपोर्ट की जरूरत होगी तो उसे इससे संपर्क करना होगा. इसके अलावा एयर डिफेंस के पास दुश्मन के हवाई हमलों से सेना की संपत्तियों को बचाने की जिम्मेदारी भी होगी. इसका कमांडर भारतीय वायु सेना का थ्री-स्टार अधिकारी होगा. इस एयर डिफेंस को अप्रैल में प्रयागराज में स्थापित किया जाएगा.
मैरीटाइम कमांड: इस कमांड को पहले अंडमान-निकोबार में बनाने की योजना थी. लेकिन ये प्लान सफल नहीं हो सका. अब इसका हेडक्वार्टर कर्नाटक के करवर में होगा, जो भारत के पश्चिमी तट पर है. इस कमांड का काम भारत को जलमार्गों से आने वाले खतरों से बचाना होगा. इसके अधीन सैनिक और वायु सेना के फाइटर प्लेन भी रहेंगे. जानकार इसमें कोस्टगार्ड को शामिल करने की बात भी कर रहे हैं. जरूरत पड़ने पर ये एक्शन लेने के लिए पूरी तरह से सशक्त होगा. मैरीटाइम थिएटर कमांड का कमांडर इन चीफ भारतीय वायु सेना का टॉप थ्री-स्टार अधिकारी होगा. क्या देश में एक भी थिएटर कमांड नहीं है? अभी देश में सिर्फ एक थिएटर कमांड है. इसकी स्थापना साल 2001 में अंडमान निकोबार में की गई थी. वैसे देश में अभी तीनों सेनाओं के अलग-अलग 17 कमांड्स हैं. थल सेना के पास 7, वायु सेना के पास 7 और नौसेना के पास 3 कमांड हैं. इसके अलावा एक स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड है. ये परमाणु शस्त्रागार को सुरक्षा देता है और उसे संभालता है. इसकी स्थापना साल 2003 में की गई थी.
अभी देश में करीब 15 लाख सशक्त सैन्य बल है. इसे संगठित और एकजुट करने के लिए थिएटर कमांड की जरूरत है. एकसाथ कमांड लाने पर सैन्य बलों को मॉडर्न बनाने का खर्च कम हो जाएगा. किसी भी नई तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ एक ही सेना नहीं करेगी, बल्कि उस कमांड के अंदर आने वाले सभी सैन्य बलों को उसका लाभ मिलेगा. पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर भी ये कवायद तेज की गई है. कितने थिएटर कमांड होंगे? देश में अभी 17 सिंगल कमांड्स हैं, जो अपने हिसाब से काम करते हैं. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इन सिंगल कमांड्स को मिलाकर कम से कम छह थिएटर कमांड्स बनाए जा सकते हैं.
पश्चिमी थिएटर कमांडः इसके तहत पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब, राजस्थान और गुजरात के कच्छ तक का इलाका आएगा. अभी इस क्षेत्र की रखवाली पश्चिमी, दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिणी कमांड कर रही है.
उत्तरी थिएटर कमांडः यानी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का पहाड़ी इलाका. इस कमांड से पाकिस्तान और चीन पर नजर रखी जाएगी. अभी ये उत्तरी कमांड के तहत आता है.
पूर्वी थिएटर कमांडः देश के उत्तर-पूर्व से सटे चीन, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं की निगरानी के लिए बनाया जाने वाला थिएटर कमांड. अभी इन इलाकों को सेना और वायु सेना की पूर्वी कमांड देख रही है.
दक्षिणी थिएटर कमांडः देश के तीनों तटों की सुरक्षा के लिए बनाया जाने वाला एकीकृत कमांड. यानी पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी तटों की रक्षा करने वाला कमांड. अभी ये नौसेना और वायु सेना के कमांड में आता है. अंडमान का थिएटर कमांड भी इसी के तहत आएगा.
एयरोस्पेस थिएटर कमांडः ये थिएटर कमांड देश के आसमान की रक्षा करेगा. यानी यहीं से मिसाइल डिफेंस जैसे काम होंगे. साथ ही अंतरिक्ष से होने वाले हमलों को भी रोका जाएगा.
लॉजिस्टिक्स थिएटर कमांडः ये कमांड देश के सभी थिएटर कमांड्स के बीच साजो-सामान पहुंचाने का काम करेगा. इसके अलावा विदेशों के थिएटर कमांड्स के साथ तालमेल बिठाने का भी काम करेगा.
इस कवायद के पीछे ऐसा सिस्टम बनाने की मंशा है कि दाएं हाथ को पता रहे कि बायां हाथ क्या कर रहा है. कोई भी एक्टिविटी अंधेरे में न हो.

चीफ ऑफ स्टाफ जनरल बिपिन रावत (राइट) की भूमिका थिएटर कमांड बनने के बाद और महत्वपूर्ण हो जाएगी. (फोटो-पीटीआई)
अब तक क्यों नहीं बन पाए? क्योंकि इसे लेकर तीनों सेनाओं के प्रमुखों में मतभेद रहा. थल सेना का मानना था कि सशस्त्र बलों को संयुक्त दृष्टिकोण से काम करना चाहिए ताकि उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग हो सके. लेकिन वायु सेना कहती थी उसके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. उसका ये भी कहना रहा है कि भारत भौगोलिक दृष्टि से इतना बड़ा नहीं है कि यहां थिएटर कमांड्स की जरूरत पड़े. वहीं, नौसेना भी वर्तमान मॉडल को उपयुक्त मानती है. इसके अलावा इस प्रकार की कमांड के गठन से सेना के अलग-अलग अंगों को अपनी स्वायत्तता और महत्व कम होने की आशंका है. उन्हें लगता है कि यदि अभी चल रहे सिस्टम की जगह थिएटर कमांड लागू होगा तो उनकी रैंक और ताकत में कमी आएगी. दुनिया में कहां कितने थिएटर कमांड बाकी दुनिया की बात करें तो दो बड़ी सैन्य ताकतों के पास पहले ही थिएटर कमांड है. हम अमेरिका और चीन की बात कर रहे हैं. अमेरिका के पास 11 और चीन के पास 5 थिएटर कमांड्स हैं. अमेरिका के कुल थिएटर कमांड्स में से 6 पूरी दुनिया को कवर करते हैं. वहीं, पांच थिएटर कमांड्स वाला चीन अपने पश्चिमी थिएटर कमांड के जरिए भारत को हैंडल करता है. इसी कमांड से वो भारत-चीन सीमा पर निगरानी रखता है.