The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • What is the difference between pm narendra modi’s make in india and aatmanirbhar bharat

'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' में फ़र्क- उतना ही जितना शक्तिमान और आर्यमान में

जब 'मेक इन इंडिया' था तो क्या आया 'आत्मनिर्भर भारत'?

Advertisement
Img The Lallantop
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में गाजे-बाजे के साथ मेक इन इंडिया लॉन्च किया था. अब कोविड क्राइसिस के बीच आत्मनिर्भर भारत लॉन्च किया. याद है न – “20 लाख करोड़ इन 2020.” (फाइल फोटो- PTI)
pic
अभिषेक त्रिपाठी
17 जून 2020 (Updated: 17 जून 2020, 08:34 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
ये अंतर गंगाधर और शक्तिमान वाला है? या शक्तिमान और आर्यमान वाला?
अंतर, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत में.
आज इसी के बारे में बात करेंगे. आसान भाषा में. चलिए, बतियाते हैं. थोड़ा तुलनात्मक तरीके से. अब अंतर है, नहीं है, क्या है..ये सब अंत तक पहुंचते-पहुंचते क्लियर हो जाएगा. ऐसी कोशिश करेंगे.
इन पॉइंट्स पर समझेंगे..
दोनों स्कीम कब आईं, क्यों आईं?
क्या लाईं? क्या मिला?
क्या फर्क निकला?
इन्होंने समझाया है - अंशुमान तिवारी, संपादक, इंडिया टुडे हिंदी. इनसे आप दि लल्लनटॉप के ‘अर्थात’ कार्यक्रम के ज़रिये भी बा-वास्ता हैं.

दोनों स्कीम कब आईं, क्यों आईं?

2015 में मोदी सरकार ने शुरू किया था- मेक इन इंडिया. वो कलपुर्जों से बने शेर वाला लोगो.
हिंदी फिल्मों के ‘दर्शन’ गैंग्स ऑफ वासेपुर के फैजल खान की जिंदगी की तरह इसके कई मकसद थे –
# देश में मैन्युफैक्चरिंग को 12 से 14 फीसदी सालाना तक बढ़ाना.
# देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 10 करोड़ नई नौकरियां पैदा करना.
# जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान 16 से बढ़ाकर 25 फीसदी करना. (2022 तक)
इसके लिए देश में, देश के द्वारा, देश के लिए टाइप प्लानिंग की गई थी.
फिर इस साल 2020 में आया - आत्मनिर्भर भारत.
सरदार खान की ज़िंदगी का एक्कै मकसद था- रामाधीर सिंह की मौत.
उसी तरह आत्मनिर्भर भारत का भी एक ही मकसद था- कोविड की वजह से 360 डिग्री गुलाटी खा चुकी अर्थव्यवस्था को वापस परपेंडिकुलर खड़ा कर देना.
Make In India Logo मेक इन इंडिया वाला शेर. (फोटो- pmindia.gov.in)

क्या लाईं? क्या मिला?

दावा था निवेश बढ़ेगा. लेकिन जो निवेश 2014 तक जीडीपी का 31.3 फीसदी था, वो 2018 तक 28.6 फीसदी रह गया.
प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट 24.2 फीसदी से घटकर 21.5 फीसदी रह गया. हाउसहोल्ड सेविंग यानी लोगों की बचत भी घट गई. और इसका सीधा सा सिद्धांत है कि जब तक मेरे पास पैसा बचेगा नहीं, तब तक मैं कुछ भी खरीदूंगा कैसे. और जब तक मैं बाजार से ज्यादा से ज़्यादा खरीदूंगा नहीं, तब तक पैसा मार्केट में कैसे आएगा. इसलिए सरकारों को ये चिंता करनी चाहिए कि लोगों की बचत कैसे हो.
जब मेक इन इंडिया बहुत ज़्यादा इफेक्टिव नहीं रहा तो कहा गया कि सरकार अब नई मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी ही लेकर आएगी. वो भी अभी तक नहीं आई. फिर ज़्यादातर सेक्टर में एफडीआई कर दिया गया, लेकिन एफडीआई उम्मीद के मुताबिक आया नहीं.
मेक इन इंडिया कतई लंबी उड़ान नहीं ले सका. अब तो सत्ताधारियों ने भी ‘मेक इन इंडिया’ कीवर्ड से कन्नी काटनी शुरू कर दी है.
अब बात आत्मनिर्भर भारत की. ये मार्केट में नया आया है. लेकिन इसको स्कीम कहना ही गलत है. ये बेलआउट पैकेज था. राहत पैकेज. अब तक तो इसका धागा-धागा खोला जा चुका है.
सरकार ने दावा किया था कि 20 लाख करोड़ रुपए इंजेक्ट किए जा रहे हैं. इकॉनमी को वापस दुरुस्त करने के लिए.
“हमसे खेलोगे! हम भी कानपुरै से हैं.”
तिया-पांचा किया गया तो पता चला कि सरकार की जेब से तो सिर्फ डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आस-पास ही गया. बाकी तो लोन मेला लगा दिया गया. कि लोग ज़्यादा से ज़्यादा लोन लें और जय सिया राम कर लें.
Untitled Design (2) ढिमकानी योजना से देशभर के दिन बहुरने का दावा सुनने के बाद प्रतिक्रिया.

क्या फर्क निकला?

अंशुमान तिवारी कहते हैं –
“तुलना ही नहीं हो सकती. दोनों में बहुत अंतर है. मेक इन इंडिया का तो फिर भी कुछ प्लान था. कुछ सेक्टर सरकार ने आइडेंटिफाई किए थे. कुछ लक्ष्य थे. आत्मनिर्भर भारत का तो कोई प्लान ही नहीं है. ये तो नैरेटिव भर है कि हां साब भारत को सेल्फ डिपेंडेंट बना देंगे. लेकिन पॉलिसी नहीं है कोई.”
तो हम अंतर कैसे समझें? जवाब –
“अंतर करने की बात तो तब आएगी जब दोनों के प्लान क्लियर हों. एक स्कीम है, दूसरा बेलआउट पैकेज. पैकेज को स्कीम नहीं बता सकते. मेक इन इंडिया तो फिर भी देश में मैन्युफैक्क्चरिंग की बात करती थी. हालांकि वो भी बहुत सफल नहीं रहा.”
फिर आत्मनिर्भर भारत की बात –
“..और आत्मनिर्भर भारत का तो कोई प्लान ही नहीं है. आप क्या-क्या बदलेंगे, क्या योजना लाएंगे, किस तरह देसी चीजों का उत्पादन बढ़ेगा, टैक्स में क्या छूट मिलेंगी..क्या इनमें से कोई बात बताई गई है अभी?”
यानी कुल मिलाकर बात ये निकली कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत में शक्तिमान और आर्यमान वाला अंतर है. एक स्कीम है, तो दूसरी राहत पैकेज. एक के लिए प्लान था. चला-नहीं चला, अलग बात है. लेकिन दूसरी बस एक नैरेटिव है, कोई डिटेल प्लानिंग नहीं. शक्तिमान-आर्यमान की तरह दोनों में सब्बै कुच्छ अलग है. बस ‘नायक’ को छोड़कर.


केमन आयलैंड्स में व्यापार करने वाली किसी कंपनी को ‘कॉरपोरेट टैक्स’ नहीं चुकाना पड़ता!

Advertisement