SSC UFM: अच्छे नंबर लाने के बावजूद एग्जाम से बाहर क्यों हो गए 4560 कैंडिडेट्स?
CHSL 2018 का रिजल्ट आने के बाद उठ रहा सवाल, SSC का अनफेयर मीन्स कितना फेयर?
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फोटो - thelallantop
आपने आखिरी बार चिट्ठी कब लिखी थी? ये सवाल आपको थोड़ा सा चौंका सकता है. क्योंकि चिट्ठी लिखने की परंपरा हमारे बीच से लगभग खत्म ही हो गई है. लेकिन प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले लोगों के लिए यह अभी भी बहुत काम की चीज है. केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक के भर्ती आयोग, कैंडिडेट्स को परखने के लिए एग्जाम में लेटर लिखवाते हैं. 29 सितंबर 2019 को ऐसी ही एक परीक्षा हुई. SSC CHSL 2018 के टियर 2 की. जिसमें कैंडिडेट्स को एक लेटर लिखने के लिए कहा गया. लेटर के डिटेल्स कुछ यूं थे-आप शिवानी/शिव, निवासी CGO काम्प्लेक्स लोधी रोड़, नई दिल्ली 110003 हैं. अपने छोटे भाई नमन को पत्र लिख कर सेल फोन के अत्यधिक प्रयोग से होने वाली हानियों से अवगत कराएं. (शब्द सीमा: 150 शब्द)
बेगूसराय के प्रिंस भी इस एग्जाम में हिस्सा ले रहे थे. लेटर उन्होंने भी लिखा. अच्छे से लिखा. टियर 1 में 200 में से 161 नंबर लाने वाले प्रिंस को पूरी उम्मीद थी कि टियर 2 भी आसानी से निकल जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. 20 फरवरी 2020 को रिजल्ट आया. प्रिंस को टियर 2 में 0 मार्क्स मिले और उन्हें एग्जाम के लिए अनक्वॉलिफाइड कर दिया गया था.क्यों किया गया ऐसा? इसका जवाब मिला आरटीआई से. बताया गया कि प्रिंस ने लेटर के आखिर में लिखा था-
माता पिता को प्रणाम तथा छोटी को स्नेह देना तुम्हारा अग्रज शिव
SSC ने 'छोटी' शब्द को UFM यानी Unfair means नियमों का उल्लंघन माना. और इसी की वजह से उन्हें अनक्वॉलिफाइड कर दिया गया. बावजूद इसके कि 100 नंबर के इस एग्जाम में उन्होंने 76 नंबर स्कोर किए थे. लेकिन एक छोटी की वजह से उन्हें नंबर मिले 0.

छोटी को UFM मानते हुए SSC ने प्रिंस को 76 की बजाय 0 नंबर दिया.
दी लल्लनटॉप से बात करते हुए प्रिंस कहते हैं,
जैसे अंग्रेजी में लेटर के आखिर में लिखते हैं, लव्ज टू यंगर. वैसे ही मैंने हिंदी में लिखा कि छोटी को स्नेह देना. तो उन्होंने छोटी को आइडेंटिटी मानते हुए मेरी उम्मीदवारी ही निरस्त कर दी. टियर 1 में मेरे 161 नंबर आए थे. टियर 2 में 76 नंबर आए. मेरा सेलेक्शन तो होता ही, साथ ही मुझे कोई भी पोस्ट मिल जाता. लेकिन केवल एक छोटी की वजह से मेरी दो साल की तैयारी खराब हो गई. डिस्क्रिप्टिव का पेपर मैं पहले भी लिख चुका हूं. पिछले बार भी मेरे 50 में 40 मार्क्स थे. लेकिन टाइपिंग न कर पाने की वजह से बाहर हो गया था. ऐसा नहीं था कि ये पहली बार था और मुझे नियम नहीं पता थे.ऐसा केवल प्रिंस के साथ ही नहीं हुआ. 25 फरवरी 2020 को घोषित CHSL 2018 टियर 2 के रिजल्ट में 4560 ऐसे कैंडिडेट थे जो UFM के चलते बाहर हो गए. पहले CHSL को समझ लेते हैं फिर UFM की बात करेंगे. CHSL यानी Combined higher secondary level Exam. इसके जरिए केंद्र सरकार लोवर डिविजनल क्लर्क, पोस्टल असिस्टेंट, कोर्ट क्लर्क और डेटा इंट्री ऑपरेटर जैसे पदों के लिए भर्ती करती है. CHSL की परीक्षा तीन चरणों में होती है. टियर 1 में ऑनलाइन ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाते हैं. टियर 2 में डिस्क्रिप्टिव एग्जाम होता है यानी कि पेन और पेपर वाली परीक्षा. टियर 3 में टाइपिंग और डेटा इंट्री स्पीड का टेस्ट होता है.
Harassing sincere candidates is a new normal for Staff Selection Commission. SSC's New Mandate- Persecute, torment, and harass genuine candidates so that their future become bleak and dark. @sscchiefअब बात UFM की. आसान भाषा में समझें तो SSC इस नियम के जरिए कैंडिडेट्स को परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करने से रोकता है. जैसे -
@PMOIndia
@DoPTGoI
@architguptanbt
@SardarVm
pic.twitter.com/Aw3lRvztFV
— Priya Jain (@PriyaJa97420108) April 11, 2020
1. कैंडिडेट ऑन्सर शीट में अपनी पहचान नहीं उजागर कर सकता. ऑन्सर शीट में नाम पता मोबाइल नंबर आदि नहीं लिखा जा सकता. ऐसा करने पर 0 मार्क्स दिए जाते हैं.
2. कैंडिडेट बुकलेट में दिए स्थान के अलावा कहीं भी साइन नहीं कर सकता. गलती से निरीक्षक के कॉलम में भी अगर साइन कर देता है तो ऑन्सर शीट चेक नहीं होती.
3. ऑन्सर शीट में कहीं भी कोई निशान बनाने या रफ कॉपी करने पर भी प्रतिबंध है.
4. यदि कोई कैंडिडेट निश्चित शब्द सीमा से 10 प्रतिशत ज्यादा लिख देता है तो उसके नंबर काटे जा सकते हैं.

पते के साथ में 56 और 123 जैसे इमेजिनरी नंबर डालने वालों को भी UFM के चलते फेल कर दिया गया.
अब सवाल ये उठता है कि UFM तो पहले भी लागू था. और तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए तो ये बेसिक सी चीज है. इसके बारे में कैंडिडेट्स को भी पता ही होगा. तो फिर इस बार ऐसा क्या हुआ कि जिसने इतनी बड़ी संख्या में कैंडिडेट्स को बाहर कर दिया.
इस सवाल का जवाब देते हुए जयपुर के विवेक कहते हैं,
एग्जाम के सारे नियम-कानून नोटिफिकेशन जारी होने के समय ही बता दिए जाते हैं. नोटिफिकेशन में था कि आप अपनी रियल आइडेंटिटी नहीं लिख सकते हैं. नाम रोल नंबर या फिर पता वगैरह कुछ भी. इस बार एसएससी ने क्या किया कि एग्जाम के समय बुकलेट में एक नया वर्ड डाल दिया रियल के साथ-साथ 'इमेजिनरी.' ये सिर्फ बुकलेट में था जो हमें एग्जाम शुरू होने के पांच मिनट पहले मिलता है. ना ही इसके बारे में नोटिफिकेशन में कुछ कहा गया था और ना ही प्रवेश पत्र में इसकी जानकारी दी गई थी. और इसी इमेजिनरी के आधार पर इतने लोगों को UFM किया गया.

15 अप्रैल 2020 को जारी नोटिस में SSC ने खुद स्वीकार किया है कि नोटिफिकेशन में 'इमेजिनरी' वर्ड नहीं था. इसे एग्जाम के समय ऐड किया गया है.
विवेक भी उन 4560 कैंडिडेट्स में से हैं जिन्हें टियर 2 में 0 नंबर मिले हैं. 2017 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब छोड़ SSC की तैयारी शुरू करने वाले विवेक कहते हैं,
क्वेश्चन में हाउस नंबर नहीं दिया गया था. लेटर को भेजने के लिए हाउस नंबर की जरूरत तो होती ही है तो मैंने एक इमेजिनरी हाउस नंबर 123 लिख दिया. मैंने वही किया जो अब तक किताबों में पढ़ता आया था. पहले के एग्जाम्स में भी 123, XYZ, ABC जैसे एड्रेस, नाम यूज किए जाते रहे हैं. ये कोई नया नहीं था. लेकिन रिजल्ट आने पर जब मैं अपना स्कोर चेक करने गया तो वहां लिखा था UFM ऐड्रेस. यानी कि इमेजिनरी ऐड्रेस लिखने की वजह से UFM लगा है. अब मुद्दा ये है कि इन्होंने रूल चेंज कर दिया और किसी को बताया भी नहीं. जिस रूल को बदलकर ये 4560 बच्चों को फेल कर रहे हैं उसका इन्होंने कोई नोटिस नहीं निकाला. सब रिजल्ट वाले दिन पता चला.
CHSL 2018 की ही एक ऑन्सर शीट जिसमें 'शुभाशीष' और 'अग्रजा' जैसे शब्दों पर UFM नहीं लगा है.
कैंडिडेट्स के मन में एक बड़ा डर CGL यानी Combined Graduate Level Exam और MTS यानी Multi Tasking Staff Exam के रिजल्ट को लेकर भी है. इनका रिजल्ट लास्ट अप्रैल से मई के पहले हफ्ते तक में आने की उम्मीद है. विवेक कहते हैं,CGL के क्वेश्चन पेपर में लेटर भेजने वाले और रिसीव करने वाले दोनों के बारे में कुछ नहीं कहा गया था. लेकिन अब लेटर है तो भेजने वाला भी होगा और रिसीव करने वाला भी होगा ही. ऐसे में कैंडिडेट्स ने अपने मन से ही काल्पनिक नाम पता लिख दिया है. CGL में टियर 1 और टियर 2 दोनों ही ऑब्जेक्टिव एग्जाम होते हैं. इसमें काफी टफ कंम्पीटीशन से होकर कैंडिडेट तीसरे टियर तक पहुंचता है. आप ही बताइए ये कहां तक सही है कि इन छोटी सी चीजों की वजह से पूरे मेहनत को जीरो कर दिया जाए. 2018 SSC CGL में मेरे 600 में से 515 मार्क्स हैं. और CHSL 2018 में 200 में से 150 है. लेकिन इमेजिनरी रूल की वजह से अब कुछ समझ नहीं आ रहा है. सेलेक्शन होगा या नहीं होगा इस पर संशय हो गया है. हम घर वालों को समझा भी नहीं पा रहे कि क्यों फेल हुए.SSC का क्या कहना है? रिजल्ट आने के बाद UFM की वजह से बाहर हुए कैंडिडेट्स ने कमीशन को शिकायत करना शुरू कर दिया. ट्विटर पर भी कैंपेन शुरू कर दिया गया. 11 अप्रैल को #SSC_IMAGINARY_UFM और #SSC_UFM पर एक लाख से ज्यादा ट्वीट हुए. जिसके बाद SSC ने एक नोटिस जारी किया. इस नोटिस में बताया गया कि 4560 कैंडिडेट्स ने कमीशन के निर्देशों का पालन नहीं किया. ऑन्सर शीट में अपनी पहचान (वास्तविक या काल्पनिक) उजागर की. इसलिए इन कैंडिडेट्स को रिजेक्ट कर दिया गया और 0 नंबर दिया गया. यह एक्शन एग्जामिनेश के निर्देशों के आधार पर हुआ है. हालांकि कैंडिडेट्स की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए कमीशन ने विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाने का फैसला किया है. जो इस पूरे मामले की जांच करेगी. SSC के चेयरमैन ब्रजराज शर्मा ने भी लॉकडाउन खत्म होने के बाद मामले की जांच कराने की बात कही है. नवभारत टाइम्स से बात करते हुए उन्होंने कहा,#SSC_UFM
— Abhijeet chauhan (@mickycooldude) April 21, 2020
ISSUE pic.twitter.com/juRRajNiPCUFM को लेकर कई उम्मीदवारों की शिकायत हमें मिली है. आयोग उम्मीदवारों की शिकायतों की जांच करेगा और फिर इस पर अपना निर्णय देगा. अभी देश लॉकडाउन है और आयोग बंद है ऐसे में अभी जांच शुरू नहीं की जा सकती, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद एसएससी उम्मीदवारों की शिकायतों पर जल्द से जल्द काम करेगा.SSC के कमेटी बनाने और जांच कराने के फैसले से कैंडिडेट्स को कोई बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है. उनका कहना है कि रिजल्ट पब्लिश होने और नियुक्तियों के पूरा हो जाने के बाद कमेटी कुछ भी डिसीजन दे, उससे क्या ही होगा? प्रिंस कहते हैं,मैं एसएससी के ऑफिस भी गया था. वहां मैंने उनको बुकलेट भी दिखाया. उनको भी पता है कि ये गलत है लेकिन वहां कोई ये मानने को तैयार ही नहीं है. वो कह रहे हैं आप कुछ भी लिखो, छोटी लिखो या बड़ी लिखो अब जो मिल गया सो मिल गया. अब इसमें कुछ नहीं हो सकता. अब रात-रात भर नींद नहीं आती है. किसी तरह से समय काट रहे हैं लॉकडाउन के बाद घर चले जाएंगे. जब उन्हें मनमानी ही करना है तो हम क्या ही कर लेंगे. दो चार दिन जाकर प्रोटेस्ट कर सकते हैं और क्या? कैट कोर्ट में केस लड़ने के लिए डेढ़-दो लाख रुपए फीस मांगते हैं. इतना पैसा हम लोग कहां से दे पाएंगे?SSC या किसी भी एग्जाम में जब ये युवा ऑन्सर शीट पर लेटर लिखते हैं तो उन्हें एक उम्मीद होती है. नौकरी के ऑफर लेटर की उम्मीद. अपने घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर किराए के कमरों में रहकर इस ऑफर लेटर के लिए दिन रात मेहनत करते हैं. लेकिन आयोगों द्वारा भर्ती प्रक्रिया के बीच में किए गए बदलाव उनकी इस उम्मीद पर पानी फेर देते हैं. और इन युवाओं को नाउम्मीदी और निराशा से भर देते हैं. उम्मीद है कि इन युवाओं की मांग पर SSC पर जरूर ध्यान देगा.#SSC_REMOVE_IMAGINARY_UFM
— Manoj Tanan (@tanan_manoj) April 19, 2020
Ssc=What do u expect from us? Studens= pic.twitter.com/FUsO88DlNw
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