The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • What is Pune MIDC land deal case, ED questions NCP leader Eknath Khadse and son-in-law Girish Chaudhary arrested

Pune Land Deal केस क्या है जिसमें ED ने पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे से 9 घंटे पूछताछ की?

इस मामले में खडसे के दामाद को गिरफ्तार किया जा चुका है.

Advertisement
Img The Lallantop
8 जुलाई को ED के सामने पेश हुए खडसे. (फोटो-PTI)
pic
डेविड
9 जुलाई 2021 (Updated: 10 जुलाई 2021, 05:46 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
एकनाथ खडसे. NCP यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता. पुणे महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) भूमि सौदा मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार, 8 जुलाई को उनसे 9 घंटे पूछताछ की. इसी मामले में उनके दामाद गिरीश चौधरी को ED गिरफ्तार कर चुका है. यह दूसरी बार है, जब भूमि सौदा मामले में ED ने खडसे से पूछताछ की है. इससे पहले इसी साल जनवरी में ED ने उनसे पूछताछ की थी. ED ने इस मामले में खडसे की पत्नी मंदाकिनी खडसे को भी तलब किया था. उन्हें भी इस केस में आरोपी बनाया गया है. इस रिपोर्ट में बताएंगे कि आखिर पुणे लैंड डील केस की पुरी कहानी क्या है, जिसमें ED ने बीजेपी के पूर्व नेता रहे एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी और दामाद को लपेट लिया है. साल 2016 में सामने आया मामला पुणे में एक जगह है भोसारी. औद्योगिक क्षेत्र है. बहुत महंगी जमीन है. यहां कई सालों पहले एक तीन एकड़ जमीन का सौदा हुआ. सरकारी वैल्यूएशन के मुताबिक, उस समय इस जमीन की कीमत 25,630 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर थी. यानी कुल कीमत 31 करोड़ रुपये से ज्यादा थी. इसको बेचने पर सरकारी स्टैंप ड्यूटी कुल 1.75 करोड़ रुपये बनती. स्टैंप ड्यूटी जमीन खरीद-बिक्री पर सरकारी टैक्स है, जो राज्य सरकार को जाता है. इस जमीन के मालिक अब्बास उकनी थे. उनके पिता रसूलभाई उकनी ने गनपत लांडगे से इस जमीन को 1966 में खरीदा था. 1968 में तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने इस जमीन को पब्लिक सेक्टर महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के लिए सुरक्षित कर दिया.
42 साल आगे बढ़ते हैं. साल 2010. अब्बास उकनी ने जमीन को बेचने की इच्छा जताई. करीब 500 लोगों से संपर्क किया. महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने इस बात पर ऐतराज जताया. इसी बीच उकनी, खड़से के संपर्क में आए, जो उस समय बीजेपी सरकार में रेवेन्यू मिनिस्टर थे. इतनी महंगी जमीन खरीदने पर जवाब देना पड़ता. जब यह मामला सामने आया तो आरोप लगा कि अप्रैल 2016 में खडसे की पत्नी मन्दाकिनी और ‘दामाद’ गिरीश चौधरी के नाम पर इस जमीन को खरीदा गया. इसके लिए  3.75 करोड़ रुपये चुकाए गए. पर स्टैंप ड्यूटी के तौर पर 1.37 करोड़ रुपये दिए गए.
Enforcemrnt Directorate Arrested Girish Chaudhary पुणे लैंड डील मामले में ED एकनाथ खडसे के दामाद गिरीश चौधरी को गिरफ्तार कर चुका है. (फोटो-PTI)

कोई भी इंसान सरकारी रेट से नीचे रेट पर जमीन नहीं बेच सकता. सरकार ने ये कानून बनाया है, जिससे ‘कालेधन’ को रोका जा सके. नहीं तो लोग करोड़ों रुपयों की जमीन को लाखों में दिखाकर स्टैंप ड्यूटी बचा लेंगे. आरोप है कि जमीन खरीदने वालों ने यहां पर वही किया. 31.01 करोड़ की जमीन को 3.75 करोड़ में ख़रीदा. फिर कथित रूप से ऊटपटांग तरीके से 1.37 करोड़ की स्टैंप ड्यूटी चुकाई. आरोप लगा कि स्टैंप ड्यूटी देकर अपने काम को सही साबित करने की कोशिश की गई.
जब कोई व्यक्ति जमीन की कीमत सरकारी रेट से कम लगाता है तो मामला डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर तक जाता है. इस मामले में वहां के तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार दिनकर लोनकर ने कलेक्टर से संपर्क नहीं किया. जब सरकारी कंपनी इंडस्ट्री के लिए किसी व्यक्ति से जमीन लेती है तो मार्केट रेट से ज्यादा कीमत चुकाती है. इसका कम्पेंसेशन मिलता है. ED का कहना है कि अन्य लोगों के साथ मिलकर चौधरी ने जानबूझकर भूमि दस्तावेज में नाम जुड़वाया, जबकि यह जमीन महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम की थी. नाम इसलिए जुड़वाया गया, ताकि वास्तविक कीमत से ढाई से तीन गुना अधिक मुआवजा प्राप्त किया जा सके.
eknath-story_647_052116112329_052516112858_052616050857
एकनाथ खडसे पर आरोप है कि उन्होंने बतौर रेवेन्यू मिनिस्टर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए यह जमीन दामाद को दिलवाई. इस मामले को सामने लाने वाले व्हिसल-ब्लोअर हेमंत गवंडे ने दावा किया था मंत्री एकनाथ खडसे के दबाव में उन पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवाया गया. इंडिया टुडे के एक स्टिंग ऑपरेशन में गवंडे के दावे की पुष्टि होती दिखी थी. इसमें एक इंस्पेक्टर हीरामन ने साफ कहा था कि 'गवंडे पर मामला नहीं बनता, लेकिन खडसे ने उनकी नहीं सुनी'.
जमीन खरीद में कथित धांधली का आरोप लगने के बाद 4 जून 2016 को खडसे ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. महाराष्ट्र पुलिस के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 2017 में एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी, दामाद गिरीश चौधरी और जमीन के मालिक अब्बास अकानी के खिलाफ केस दर्ज किया था.
हालांकि इससे पहले राज्य सरकार ने खडसे के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज दिनकर जोटिंग की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा था कि एसीबी को जांच तेजी से और स्वतंत्र तरीके से करनी चाहिए. पुणे पुलिस और न्यायिक आयोग के पिछले निष्कर्षों से अपनी जांच को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए. अदालत ने कहा कि जांच की निगरानी एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक करेंगे.
2018 में ACB ने 22 पेज की रिपोर्ट के जरिए खडसे को क्लीन चिट दे दी. ED को क्या पता चला? बाद में जमीन खरीद में धांधली का मामला ED तक पहुंचा. उसके अधिकारियों ने पुणे MIDC भूमि सौदे में कई अनियमितताएं पाईं. एजेंसी ने यह भी पाया कि चौधरी और मंदाकिनी ने यह दिखाने की कोशिश की कि खडसे के साथ पुणे MIDC में जमीन खरीद के लिए उन्होंने एक फर्म से दो करोड़ रुपये का लोन लिया था. फर्म का नाम Benchmark Buildcon Pvt Ltd बताया गया. ईडी की रिमांड रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि राज्य में राजस्व मंत्री के रूप में खडसे ने अपने पद का दुरुपयोग किया था.
Ncp Leader Eknath Khadse At Ed Office फाइल फोटो-PTI

एजेंसी की रिमांड रिपोर्ट में यह भी है कि जब चौधरी से बेंचमार्क बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य निदेशक के ठिकाने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. टालमटोल करने लगे. इसके अलावा, जब फर्म की बैलेंस शीट की जांच की गई तो यह पाया गया कि फर्म ने वर्ष 2016-17 में केवल डेढ़ लाख रुपये ही कमाए थे. लेकिन इससे पहले पिछले दो वर्षों में फर्म ने कोई कमाई नहीं की. जब कमाई ही नहीं हो रही थी तो यह फर्म चौधरी को दो करोड़ का लोन कैसे दे सकती थी. यानी भूमि सौदे के वास्ते धन शोधन के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था.
इतना ही नहीं, जब बेंचमार्क बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के खातों में आने वाले धन की जांच की गई तो यह पाया गया कि पैसे को सफेद करने के लिए बनाई गई छह अन्य शेल कंपनियों ने धन ट्रांसफर किया था. बेंचमार्क बिल्डकॉन के कार्यालय सहित फर्म या फर्म के किसी भी निदेशक का पता नहीं चला. इस फर्म का पता भी नकली निकला. इस प्रकार मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल का पता लगाने के बाद खडसे के दामाद को गिरफ्तार कर लिया गया.
8 जुलाई, 2021 को ED के सामने पेश होने से पहले खडसे ने कहा था,
यह राजनीति से प्रेरित मामला है. पूरा महाराष्ट्र और देश इसे देख रहा है. इस मामले में पांच बार जांच हो चुकी है. वे और कितनी बार जांच करेंगे.
सूत्रों ने बताया कि खडसे का बयान धनशोधन निरोधक कानून के तहत दर्ज किया गया. ED ने दावा किया कि भूमि खरीद में की गई कथित अनियमितता से राजकोष को 61.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. कहा जा रहा है कि ED इस मामले में आगे भी एकनाथ खडसे से पूछताछ कर सकती है.

Advertisement