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  • What is NDB (New Development Bank), also called BRICS bank and how is it different from IMF (International Monetary Fund) and World Bank

भारत को अरबों-खरबों रुपए का लोन देने वाले बैंक इतना सारा पैसा कहां से जुटाते हैं?

क्या आप इन बैंकों में आप क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई कर सकते हैं?

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शंघाई के मेयर यांग जिओंग, चीनी वित्त मंत्री लू जीवेई और न्यू डेवलपमेंट बैंक के तत्कालीन और पहले अध्यक्ष केवी कामथ, न्यू डेवलपमेंट बैंक को आधिकारिक तौर पर शंघाई में लॉन्च करते हुए. (तस्वीर: शंघाई डेली | 21 जुलाई, 2015)
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18 दिसंबर 2020 (Updated: 18 दिसंबर 2020, 08:05 AM IST) कॉमेंट्स
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भारत सरकार और न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) ने बुधवार, 16 दिसंबर, 2020 को एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते के अनुसार NDB भारत को 1 अरब डॉलर (क़रीब 73.44 अरब रूपये) का लोन देगा. और लोन वापिस करने पर भी बम्पर छूट. इतना पैसा भारत को 30 साल में चुकाना होगा. हालांकि लोन वापस करने की अवधि पर भारत 5 वर्ष की छूट भी मिली है.
इससे पहले मंगलवार, 15 दिसंबर, 2020 को विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने भी 80 करोड़ डॉलर (58.75 अरब रुपए) से अधिक की चार परियोजनाओं को मंजूरी दी.
आइए इन दोनों बैंक्स के बारे में थोड़ी बेसिक जानकारी लेते हैं और समझते हैं कि ये भारत को लोन क्यूं और कैसे देती हैं?
# न्यू डेवलपमेंट बैंक-
ब्रिक्स (BRICS). पांच देशों का अब्रीवीएशन: ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चाइना, साउथ अफ़्रीका. इन्हीं पांच विकासशील देशों का संगठन है ब्रिक्स. इसने वर्ल्ड बैंक के विकल्प के रूप में ब्रिक्स बैंक, या NBD (न्यू डेवलपमेंट बैंक) बैंक बनाया है. साल 2012. भारत में ब्रिक्स देशों का चौथा सम्मेलन हो रहा था. उस समय भारत ने ये प्रस्ताव रखा कि ब्रिक्स समूह का अपना बैंक होना चाहिए. दो साल बाद यानी 2014 में छठवें सम्मेलन में NDB की घोषणा और 2015 में सातवें ब्रिक्स सम्मेलन में इसकी स्थापना की गई. NDB का मुख्यालय चीन के शंघाई शहर में स्थापित किया गया और केवी कामथ को इसका पहला अध्यक्ष बनाया गया. तब केवी कामथ, ICICI के ‘नॉन एग्ज़ीक्यूटिव चेयरमैन’ थे. मई 2020 में इसके दूसरे अध्यक्ष ब्राज़ील के मार्कोस ट्रॉयजो बने.
कोविड-19 के चलते 2020 में ब्रिक्स देशों का सम्मेलन, वर्चुअली हुआ था. उसी दौरान 17 नवंबर को भारत के PM मोदी वीडियो कॉनफ़्रेंस से ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए. (तस्वीर: PTI) कोविड-19 के चलते 2020 में ब्रिक्स देशों का सम्मेलन, वर्चुअली हुआ था. उसी दौरान 17 नवंबर को भारत के PM मोदी वीडियो कॉनफ़्रेंस से ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए. (तस्वीर: PTI)


अब आप पूछेंगे कि क्या जाकर इस बैंक में बचत खाता खोल सकते हैं? हम लोग जाकर क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं? कार लोन उठा सकते हैं? जाकर लड़ सकते हैं मैनेजर या केशियर से कि कैश की खिड़की 2 बजे क्यों बंद कर दी गयी?
इसका जवाब इस तथ्य में छिपा है कि ऐसे डेवलपमेंट बैंक आम कमर्शियल बैंक्स से अलग होते हैं. इस मायने में कि ये ‘विकास कार्यों’ को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किए जाते हैं. जैसा कि नाम से भी ज़ाहिर है. डेवलपमेंट बैंक, ख़ासतौर पर कृषि और औद्योगिक विकास से संबंधित नई कंपनियों और परियोजनाओं को धन उपलब्ध कराते हैं. यानी कम्पनियों और संस्थानों के लिए ये बने होते हैं.
NBD बैंक का उद्देश्य भी ब्रिक्स और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाना है. इसीलिए, इसने अभी जो भारत को लोन दिया है, उसमें कोरोना का बहुत बड़ा रोल है. क्या रोल है? क़रार में लिखा है कि,
अर्थव्यवस्था को COVID-19 से जो नुक़सान हुआ है, उससे भारत को उबारने में सहायता करने के वास्ते ये लोन दिया गया है. इस लोन को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (NRM) से जुड़े ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर खर्च किया जाएगा. साथ ही इसका उपयोग, भारत सरकार की ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी’ योजना के अंतर्गत, रोज़गार पैदा करने के लिए भी किया जाएगा.
यानी भारत को ये लोन गांवगिरात में विकास कार्यों पर साथ ही मनरेगा के तहत नौकरी और रोज़गार पैदा करने में किया जाएगा. अब इसके अलावा वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देना भी NDB का मुख्य उद्देश्य है.
NDB के अब तक के महत्वपूर्ण मील के पत्थर. (इमेज पर क्लिक करके बड़ी करें) (तस्वीर: ndb.int)
NDB के अब तक के महत्वपूर्ण मील के पत्थर. इमेज पर क्लिक करके बड़ी करें. (तस्वीर: ndb.int)


जैसा हमने डेवलपमेंट बैंक की परिभाषा के दौरान जाना था, NDB भी केवल सार्वजनिक या सरकारी कार्यों के लिए लोन नहीं देता बल्कि निजी परियोजनाओं की भी पैसों से मदद करता है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक ख़बर के अनुसार
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NDB मई 2020 तक सदस्य देशों की 55 परियोजनाओं को मंजूरी दे चुका है. इन परियोजनाओं के अंतर्गत वो 16.6 अरब डॉलर की कुल धनराशि का भुगतान सदस्य देशों को कर चुका है.
# NBD इतने सारे पैसे कैसे जुटाता है? हर ब्रिक्स देश ने शुरुआत में इसके लिए 50 अरब डॉलर (क़रीब 36.7 अरब रुपए) का योगदान दिया. पैसे जुटाने के लिए NDB को सदस्य देशों से अंशदान तो मिलता ही है साथ 2016 में इसने चाइना के मार्केट में बॉन्ड (वित्तीय ग्रीन बॉन्ड) भी इश्यू किया है. यूं NDB में पांचों देशों की हिस्सेदारी और मताधिकार एक बराबर है.
# ‘ब्रेट्टन वुड्स’ जुड़वा-
हमने आपको बताया था कि ब्रिक्स देशों ने NBD (न्यू डेवलपमेंट बैंक) बैंक, वर्ल्ड बैंक के विकल्प के रूप में बनाया.

वर्ल्ड बैंक ग्रुप, 5 एजेंसियों का समूह है. इसमें IBRD (इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट) सबसे पुरानी एजेंसी हैजिसकी स्थापना 1945 में हुई. IBRD और IFC को मिलाकर बनता है वर्ल्ड बैंक. IFC, वर्ल्ड बैंक ग्रुप की दूसरी सबसे पुरानी एजेंसी है जिसकी स्थापना 1956 में हुई थी. इसका फुल फ़ॉर्म है 'इंटरनेशनल फ़ाइनेंस कोरपोरेशन'.


वॉशिंटॉन डीसी (USA) स्थित वर्ल्ड बैंक ग्रुप का हेडक्वार्टर (तस्वीर: By Ifly6 - Own work, CC BY-SA 4.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=88750594) वॉशिंटॉन डीसी (USA) स्थित वर्ल्ड बैंक ग्रुप का हेडक्वार्टर (तस्वीर: By Ifly6 - Own work, CC BY-SA 4.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=88750594)


IBRD के नाम से ही ज़ाहिर है कि ये भी एक डेवलपमेंट बैंक है जिसका उद्देश्य, देशों का विकास करना और उनके विकास कार्यों में पैसे लगाना है. ग़रीबी मिटाना है. आपने शुरुआत में गौर किया कि ख़बर ये नहीं थी कि 'वर्ल्ड बैंक ने भारत को लोन दिया', बल्कि ये थी कि 'भारत की चार परियोजनाओं को मंज़ूरी दी'. इनको मंज़ूरी देते हुए, वर्ल्ड बैंक इंडिया के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा-
आज विकास कार्यों पर एक अतिरिक्त जिम्मेदारी है. गरीब और कमजोर परिवारों के जीवन पर महामारी का जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, उसे समाप्त करने में मदद करना है.
वर्ल्ड बैंक की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध से बर्बाद हुए राष्ट्रों को पटरी में लाने के लिए हुई थी. वर्ल्ड बैंक लंबे समय के लिए और बहुत कम ब्याज़ पर राष्ट्रों को लोन देता है. इसीलिए कहा जाता है कि अगर कोई देश वर्ल्ड बैंक से पैसे ले रहा है, इसका मतलब वो तरक़्क़ी कर रहा है, लेकिन अगर वो IMF से पैसे ले रहा है तो डूब रहा है.

कैसे जुटाता है वर्ल्ड बैंक पैसे: वर्ल्ड बैंक अमीर सदस्य देशों से धनराशि जुटाता है और गरीब और ज़रूरतमंद देशों को बांटता है. इसने कई जगह निवेश भी किया हुआ है. ये वित्तीय बाजारों से भी धनराशि जुटाता है, मतलब जैसे NDB ने बॉन्ड इश्यू किया, वैसे ही. साथ ही, वर्ल्ड बैंक काफ़ी पुराना बैंक है. सो इसने जो ऋण अतीत में दिए होंगे, वो भी कई दशक पहले से वापस आने शुरू हो चुके होंगे, ब्याज़ के साथ. यानी लोन पर ब्याज से भी कमाई हो रही है. 

अब IMF भी जान लीजिए. फुल फ़ॉर्म, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड. विश्व बैंक के विपरीत IMF केवल अल्प समय के लिए लोन देता है. इसमें ब्याज़-दर और शर्तें भी ज़्यादा होती हैं. विश्व बैंक जहां ग़रीबी और विकास जैसे बड़े और लंबी अवधि के मुद्दों के लिए लोन देता है, वहीं IMF का लोन किसी देश की वर्तमान डूब रही अर्थव्यवस्था का तुरत-फुरत इलाज सरीखा है. मतलब कोई बीमारी हुई तो डॉक्टर ने कहा कि आपको एक साल तक मल्टीविटामिन खाना है, तो ये हो गया वर्ल्ड बैंक. और अगर डॉक्टर ने कहा कि आपको ताक़त की एक सुई लगा दें कि आप बहुत ज़्यादा कमज़ोर न पड़ जाएं, तो ये हो गया IMF. और गौर करिए, IMF के नाम में कहीं पर भी 'डेवलपमेंट' शब्द नहीं आता. तो इसे डेवलपमेंट बैंक कहना या बैंक कहना भी अनुचित होगा. ये एक तरह का फंड है. पूल. जहां से ज़रूरतमंद देशों को पैसा दिया जाता है.
आईएमएफ और विश्व बैंक को ‘ब्रेट्टन वुड्स’ जुड़वा भी कहा जाता है. क्यूंकि इन दोनों का गठन 1945 में हुए ब्रेट्टन वुड्स सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के आधार पर हुआ.
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की बिल्डिंग में लगा संस्था का लोगो. (तस्वीर: PTI) इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की बिल्डिंग में लगा संस्था का लोगो. (तस्वीर: PTI)

#कैसे जुटाता है IMF पैसे: NDB की तरह ही IMF के लिए भी पैसे जुटाने का मुख्य स्रोत सदस्य देशों का अंशदान ही है. IMF इसे कोटा कहता है. किसी सदस्य देश का अंशदान या कोटा कितना होगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि उस देश की आर्थिक स्थिति क्या है. मतलब IMF में ब्रिक्स बैंक (NDB) की तरह सबका अंशदान बराबर नहीं होता. किसी सदस्य देश का IMF में कितना कोटा होगा, इसके लिए बाक़यदा एक फॉर्मूला है. जिसमें GDP, भंडार वग़ैरह की वैल्यू डालकर कोटा कैल्कुलेट किया जाता है.  

अलग-अलग तरह के बैंक्स के बारे में विस्तार से आप यहां पर
पढ़ सकते हैं.

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