The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • What is Kachi Ghani oil or Cold Pressed Oil as companies are under consumer radar after allegedly using its name worng way

जिसका नाम पढ़ते ही आप तेल का पैकेट खट से उठा लेते हैं, वो 'कच्ची घानी' होता क्या है?

कच्ची घानी की पक्की जानकारी.

Advertisement
Img The Lallantop
कच्ची घानी तेल में ओमेगा और फैटी एसिड्स अच्छी मात्रा में रहते हैं. ये सेहत के लिए अच्छे तत्व होते हैं. (सांकेतिक फोटो- PTI, India Today)
pic
अभिषेक त्रिपाठी
26 अगस्त 2021 (Updated: 8 सितंबर 2021, 08:46 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
कुकिंग ऑयल के तमाम पैकेट्स पर आपने 'कच्ची घानी' लिखा देखा होगा. जब कंपनियां सरसों का तेल बेचती हैं तो 'कच्ची घानी' को हाईलाइट करती हैं. जानते हैं कि ये कच्ची घानी होता क्या है? बनता कैसे है? और क्यों इतना ख़ास माना जाता है?
लेकिन ये सब बात हम अभी क्यों कर रहे हैं? दरअसल ट्विटर पर एक यूज़र ने बीते दिनों लिखा -
“असल में कच्ची घानी या कोल्ड प्रेस तेल (उत्पादों में) होते ही नहीं हैं. साफ है कि ये बस ब्रैंड के नाम के तौर पर लिखा होता है और उत्पाद की प्रवृत्ति को रिप्रज़ेंट नहीं करता. अधिकतर ब्रैंड यही करते हैं. ऐसी भ्रामक मार्केटिंग के ज़रिये उपभोक्ता बेवकूफ बन रहे हैं.”
इसके साथ ही ट्वीट में फ़ॉर्चून कच्ची घानी सरसों तेल के पैकेट की फोटो लगी थी. पैकेट के पीछे लिखा था,
“फ़ॉर्चून प्रीमियम कच्ची घानी सिर्फ एक ब्रैंड का नाम है. यह इस तेल की प्रकृति को नहीं दर्शाता.”
इन ट्वीट्स में नाम आया फ़ॉर्चून तेल का. ये तेल बनाने वाली कंपनी है अडानी विल्मर लिमिटेड.
उन्होंने हमें बताया कि उनकी कंपनी का बनाया तेल FSSAI के बनाए मानकों के मुताबिक कच्ची घानी ही है. साथ ही उन्होंने इस ट्वीट को भ्रामक भी बताया.
FSSAI क्या है? इसके बनाए कौन से मानक हैं, जिनका अडानी विल्मर लिमिटेड ज़िक्र कर रही है और उनका बनाया तेल इन मानकों पर कैसे ख़रा उतरता है, जानते हैं. क्या होता है कच्ची घानी तेल? भारत में अधिकतर घरों में सरसों का तेल ही कुकिंल ऑयल के तौर पर इस्तेमाल होता है. अगर आपके घर में भी होता है, तो कच्ची घानी सरसों के तेल का नाम ज़रूर सुना होगा. तेल बेचते वक्त इसे जोर देकर बेचा जाता है. मानो तेलों में सर्वोत्तम यही हो. कच्ची घानी तेल को ही Cold Pressed Oil भी कहते हैं.
अलग-अलग तिलहनों जैसे- सरसों, तेल, राई वगैरा से कच्ची घानी का तेल तैयार किया जा सकता है. कच्ची घानी के तेल में महक बहुत तेज होती है और ये थोड़ा ज़्यादा चिपचिपा लगता है. तिलहनों को बहुत कम तापमान पर, अधिक देर तक गर्म करके कच्ची घानी का तेल तैयार किया जाता है. कम तापमान में गर्म किए जाने के कारण इसके पोषक तत्व मरते नहीं हैं और इसीलिए इसे ज़्यादा फायदेमंद माना जाता है. कच्ची घानी तेल में ओमेगा और फैटी एसिड्स अच्छी मात्रा में रहते हैं. ओमेगा आंखों के लिए अच्छा रहता है. वहीं, फैटी एसिड्स का उचित मात्रा में होना भी शरीर के लिए अच्छा माना जाता है.
Musturd Cold Pressing सरसों के बीज की कोल्हू में कोल्ड प्रेसिंग. तस्वीर अलवर की ऑयल प्रोसेसिंग यूनिट की है. (फोटो- Adani Wilmer)

ये थी कच्ची घानी की व्यवहारिक परिभाषा. अब समझिए वैज्ञानिक परिभाषा, जो फूड सेफ्टी एंड सिक्योरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी FSSAI की तरफ से दी जाती है. FSSAI भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत काम करता है. इसका काम ही देशभर में खाने-पीने की चीजों की क्वॉलिटी पर नजर रखना है. FSSAI कहता है -
"उसी तेल के कच्ची घानी या कोल्ड प्रेस्ड ऑयल कह सकते हैं, जिसमें 'नेचुरल एलिल आइसोथियोसाइनेट' नाम के तत्व की मात्रा तेल के वजन के 0.20 फीसदी से कम न हो."
अडानी विल्मर का कहना है कि उनका फ़ॉर्चून कच्ची घानी तेल इस परिभाषा पर ख़रा उतरता है. उन्होंने तेल की लैब रिपोर्ट साझा की. अगस्त 2021 की इस लैब रिपोर्ट में एलिल आइसोथियोसाइनेट की मात्रा 0.253 फीसदी लिखी है.
Fortune Lab Report फ़ॉर्चून कच्ची घानी तेल की लैब रिपोर्ट. इसमें सबसे नीचे एनालिसिस रिपोर्ट नाम के कॉलम में टेस्ट के परिणाम हैं. एलिल आइसोथियोसाइनेट की मात्रा के आधार पर ही तय होता है कि तेल कच्ची घानी है या नहीं. (फोटो- Adani Wilmer)
कैसे बनता है कच्ची घानी? दरअसल तिलहन से तेल निकालने के लिए दो तरह की मशीनें इस्तेमाल होती हैं.
1. ऑयल एक्सपेलर
2. कोल्ड प्रेस मशीन
ऑयल एक्सपेलर में तेजी से काम होता है. अधिक तापमान पर बीज को तपाया जाता है. नतीजतन, इससे निकलने वाले तेल की मात्रा भी कुछ अधिक होती है. लेकिन जोखिम ये रहता है कि तेल से तमाम पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं.
Kolhu तेल मिल का कोल्हू सेक्शन. (फोटो- Adani Wilmer)

कोल्ड प्रेस मशीन में बीज को धीरे-धीरे, कम ताप पर तपाया जाता है. इसमें तेल पेरने वाला हिस्सा लकड़ी का बना होता है और कुछ-कुछ कोल्हू की तरह काम करता है. कोल्ड प्रेस मशीन से निकले तेल की मात्रा कुछ कम हो सकती है लेकिन इसमें पौष्टिक तत्व बने रहते हैं. इसे ही कच्ची घानी तेल कहते हैं. अधिक बीज से कम मात्रा में तेल तैयार होने के कारण ही कच्ची घानी तेल के दाम अधिक होते हैं. अडानी विल्मर का कहना है कि वे इसी तरह से तेल तैयार करते हैं. इसके लिए उन्होंने राजस्थान के अलवर में लगे अपने प्लांट की तस्वीरें भी भेजीं.
Kolhu Section फॉर्चून ऑयल मिल का कोल्हू सेक्शन. (फोटो- Adani Wilmer)

शुरुआत जिस ट्वीट से हुई थी, उसमें लगी तस्वीर पर अडानी विल्मर ने कहा कि ये बात तो ठीक है कि पैकेट के पीछे एक डिस्क्लेमर लिखा है. कि 'फ़ॉर्चून प्रीमियम कच्ची घानी' ब्रैंड का पूरा नाम है और ये क्वालिटी को नहीं बताता. लेकिन ये बात 'प्रीमियम' शब्द के लिए लिखी गई है, न कि 'कच्ची घानी' के लिए. अडानी विल्मर ने बताया कि इसी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए उन्होंने अपनी पैकेजिंग को बदला और अब डिस्क्लेमर कुछ ऐसा है -
"फ़ॉर्चून प्रीमियम कच्ची घानी शुद्ध सरसों के तेल में 'प्रीमियम' शब्द हमारे ब्रैंड के नाम का हिस्सा है और उत्पाद की क्वालिटी को नहीं दिखाता."
Fortune फ़ॉर्चून कच्ची घानी तेल की नई पैकेजिंग, जिसमें पिछले कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए नया डिस्क्लेमर दिया गया है.

सरकार की तरफ से भी सरसों के तेल की शुद्धता को लेकर कवायदें होती रहती हैं. साल 2020 में ही FSSAI ने नियम बनाया था कि सरसों के तेल को तैयार करते वक्त अब इसमें कोई भी दूसरा वनस्पति तेल नहीं मिलाया जाएगा. 1 अक्टूबर 2020 से ये नियम भी लागू है.

Advertisement