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क्या होता है गुनाह-ए-कबीरा और गुनाह-ए-सगीरा?

कभी-कभार सुने तो होंगे ये शब्द, मतलब हमसे जानिए.

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मुबारक
24 मार्च 2017 (Updated: 24 मार्च 2017, 02:43 PM IST) कॉमेंट्स
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इस्लाम भारत का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है. पूरी जनसंख्या का करीब 15 प्रतिशत मुसलमान हैं. लगभग 18 करोड़ मुसलमान हैं यहां. ख़ूब घुले-मिले हैं लोग. फिर भी अक्सर ये पाया गया है कि एक दूसरे के धर्म से जुड़े काफी सारे शब्द लोग समझ नहीं पाते. इसकी वजह शायद ये रही हो कि तमाम धर्मों, मज़हबों की बोलचाल की भाषा और धार्मिक कर्मकांडों की भाषा अलग-अलग है. जैसे संस्कृत, गुरमुखी, अरबी.
इसी वजह से कई बार कई शब्द आप सुनते ज़रूर हैं लेकिन उनका मतलब आपको नहीं पता होता. गौर किया जाए तो इसकी एक वजह दूसरे धर्म को समझने के प्रति उदासीनता भी है. लोग जानना ही नहीं चाहते कि अपने आस-पास रहते लेकिन दूसरे धर्म में पैदा हुए लोगों की भाषा, रीति-रिवाज, मान्यताएं क्या हैं. एक दीवार है कोई जो उस पार झांकने ही नहीं देती.
कल ऐसे ही न्यूज़ रूम में बात हो रही थी. तो हमारे सब-एडिटर साहब से किसी बात पर मज़ाक में मैंने कहा कि ये ‘कबीरा गुनाह’ है. उन्होंने तुरंत पूछा ये क्या होता है. मैंने समझाया. ये भी बताया कि इस्लाम में गुनाहों की दो कैटेगरीज़ हैं. ‘कबीरा गुनाह’ और ‘सगीरा गुनाह’. उन्हें बात दिलचस्प लगी. तो सोचा पाठकों से भी साझा की जाए. आइए बताते हैं.

गुनाह-ए-सगीरा:

ये वाले यूं समझ लीजिए गुनाहों के राजपाल यादव हैं. बहुत छोटे-छोटे गुनाह. ऐसे जो हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कदम-कदम पर करते हैं. जैसे,
किसी को गाली दे दी.किसी की चुगली कर दी.किसी का दिल दुखा दिया.मां-बाप की बात नहीं मानी.वादा कर के तोड़ दिया.झूठा वादा किया.किसी का अपमान किया.
वगैरह-वगैरह. इस तरह के तमाम गुनाहों को ‘गुनाह-ए-सगीरा’ कहा जाता है. ऐसे गुनाह जिनसे कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ हो. लेकिन ऐसा नहीं है कि इन बातों को बुरा नहीं समझा जाता. इनकी एंट्री भी रजिस्टर में गुनाह के तौर पर ही होती है. इस्लाम के मुताबिक़ इसकी सज़ा पाने से आप बच सकते हैं. आपकी दुनिया में की हुई नेकियां, अच्छे काम या खुदा के सामने किया हुआ सच्चे दिल से पश्चाताप आपको इन गुनाहों से बरी करा देगा.

गुनाह-ए-कबीरा:

ये वाले गुनाह सीरियस किस्म के होते हैं. इनमें क्षमा का प्रावधान नहीं है. ‘कबीरा गुनाह’ वो होते हैं जिनके लिए कुरआन में सज़ा मुक़र्रर की गई हो या जहन्नुम में डाल देने का फरमान हो. बहुत से गुनाह इस कैटेगरी में आते हैं. जिनमें प्रमुख ये रहे:
किसी की जान ले लेना.चोरी करना.डाका डालना.बलात्कार करना.अमानत में ख़यानत करना.किसी गरीब का हक़ मार लेना.
इसके अलावा भी बहुत सारे. इन गुनाहों के लिए सज़ा मुक़र्रर है. इनसे महज़ अच्छे चाल-चलन के दम पर नहीं बचा जा सकता. इस्लामी मान्यता के अनुसार इसके लिए आपको दोनों दुनिया में सज़ा भुगतनी पड़ेगी. नोट कर लें कि कबीरा शब्द का कबीर से कोई ताल्लुक नहीं है. तो अब हमने, जिनको नहीं पता था उन पाठकों को दो नए शब्द सिखा दिए हैं. ख़ूब इस्तेमाल करना. और याद रखना कि पब्लिक प्लेटफार्म पर गंदी-गंदी गालियां देना ‘गुनाह-ए-अज़ीम’ है. अब इस 'गुनाह-ए-अज़ीम' को समझने के लिए आपको कोई और आर्टिकल ना पढ़ना पड़े इसलिए बताए देते हैं. 'गुनाह-ए-अज़ीम' यानी बहुत बड़ा गुनाह. हम यहां मेहनत कर रहे हैं आपको अच्छी-अच्छी जानकारियां देने के लिए. हमें गालियां देना यकीनन 'गुनाह-ए-अज़ीम' है दोस्तों! आपका दिन शुभ हो!
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