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Blue Economy क्या है जिसका जिक्र निर्मला सीतारमण ने बजट में किया?

पूरी धरती का एक-तिहाई हिस्सा समुद्र है. धरती पर जितना पानी है, उसका 97% समुद्र में ही है. ग्लोबल जीडीपी का तीन से पांच फ़ीसदी हिस्सा समुद्रों से ही तय होता है. भारत भी तीन तरफ़ से समुद्र से घिरा है. भारत के कुल व्यापार का 90 फ़ीसदी समुद्र के रास्ते ही होता है. इसलिए ब्लू इकोनॉमी भारत के लिए बहुत ज़रूरी है. इसे अगला 'सनराइज़ सेक्टर' कहते हैं.

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ब्लू इकोनॉमी दुनिया की इकोनॉमी बड़ी हिस्सेदार है. (फ़ोटो - शटरस्टॉक)
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2 फ़रवरी 2024
Updated: 2 फ़रवरी 2024 20:08 IST
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वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने गुरुवार, 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया. अपने 57 मिनट के भाषण में वित्त मंत्री ने कई छोटी-छोटी घोषणाएं कीं, बड़ी एक्को नहीं. उन्होंने वातावरण-प्रिय विकास पर ज़ोर दिया, और इसके ज़िक्र के दौरान ब्लू इकोनॉमी का नाम लिया. कहा,

"ब्लू इकोनॉमी 2.0 के लिए जलवायु-समर्थन से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए एक योजना शुरू की जाएगी, जिसमें पर्यावरण की बहाली और अनुकूलन के लिए ज़रूरी क़दम उठाए जाएंगे. साथ ही, संपूर्ण और अलग-अलग सेक्टरल अप्रोच के साथ जलीय कृषि और समुद्री कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा."

Blue Economy क्या होती है?

छूट लेकर कहें, तो समुद्र की अर्थव्यवस्था. हिंदी में, नील या नीर अर्थव्यवस्था. दो परिभाषाएं हैं:

  • यूरोपीय आयोग के मुताबिक़, महासागरों, समुद्रों और तटों से संबंधित सभी आर्थिक गतिविधियां.
  • विश्व बैंक का कहना है कि ब्लू इकोनॉमी मतलब समुद्र के इको-सिस्टम को नुकसान पहुंचाए बिना इससे फ़ायदा लेना.

सामान्य ज्ञान: पूरी धरती का एक-तिहाई हिस्सा समुद्र है. धरती पर जितना पानी है, उसका 97% समुद्र में ही है. ग्लोबल जीडीपी का तीन से पांच फ़ीसदी हिस्सा समुद्रों से ही तय होता है. भारत भी तीन तरफ़ से समुद्र से घिरा है. भारत के कुल व्यापार का 90 फ़ीसदी समुद्र के रास्ते ही होता है. इसलिए ब्लू इकोनॉमी भारत के लिए बहुत ज़रूरी है. इसे अगला 'सनराइज़ सेक्टर' कहते हैं.

- साल 2010 में गुंटर पॉली की किताब 'The Blue Economy: 10 years, 100 innovations, 100 million jobs' में पहली बार ब्लू इकोनॉमी का कॉन्सेप्ट विमर्श में आया.

- ब्लू इकोनॉमी के तहत, पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बिज़नेस मॉडल तैयार किया जाता है और रोज़गार दिए जाते हैं. मछली पालन, मरीन एनर्जी, बंदरगाहों से ट्रांसपोर्ट, टूरिज़्म के ज़रिए.

- 'ब्लू ग्रोथ' के मद्देनज़र संसाधनों की कमी और कचरे के निपटारे की समस्या का समाधान करने की कोशि‍श होती है. अब समुद्र का इतना इस्तेमाल करना है, तो समुद्रों को साफ़-सुथरा रखने का लक्ष्य भी होता है.

भारत में ब्लू इकोनॉमी का कितना सिस्टम है?

भारत जैसे देश के लिए नील अर्थव्यवस्था बहुत अहम है. ज़ाहिर है, हमारे पास एक लंबी तटरेखा है, मछली और अन्य समुद्री जीवों का वैविध्य है और पर्यटन के कई अवसर हैं. जैसा निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा, देश के बिगड़े हुए तटीय इको-सिस्टम को बहाल करना और समुद्र के बढ़ते स्तर, मौसम की दुर्घटनाओं के असर को कम करने के लिए योजना शुरू की जाएगी. इससे ये सुनिश्चित होगा कि आर्थिक गतिविधियां चलाते समय महासागरों को नुक़सान न पहुंचे. 

अच्छा. वित्त मंत्री ने जलीय कृषि और समुद्री कृषि का भी ज़िक्र किया. अब ये क्या होता है? जलीय कृषि माने पानी के पौधों और जानवरों की खेती. समुद्री कृषि का मतलब खारे पानी में समुद्री जीवों के पालन और संचयन से है.

न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक़, वित्त मंत्री ने पांच एकीकृत ऐक्वापार्क बनाने की भी घोषणा की और कहा कि जलीय कृषि उत्पादकता को तीन से पांच टन प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना को बढ़ाया जाएगा.

ये भी पढ़ें - बजट आते ही मिडिल क्लास और शेयर मार्केट में पैसे लगाने वालों को क्या हो गया?

पहली बार जुलाई 2022 में भारत की नीर अर्थव्यवस्था पर एक मसौदा जारी किया गया था. प्रेस इनफ़ॉर्मेशन ब्यूरो के इनपुट्स के मुताबिक़, इस दस्तावेज़ में ब्लू इकोनॉमी और महासागर शासन के लिए एक तंत्र बनाने की सिफ़ारिशें थीं. तटीय समुद्री योजना, पर्यटन, मत्स्य पालन, जलकृषि और मछली प्रसंस्करण जैसी योजनाएं शामिल की गई थीं.

नीति आयोग देश की इकोनॉमी के लिए 'ब्लू इकोनॉमी' की वकालत करता रहा है. नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मछली पालन, पशुपालन, डेयरी का अलग से मंत्रालय बनाया गया था. यहां तक कि जब भारत की अध्यक्षता में G20 समिट आयोजित किया गया था, तब भी भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने सदस्य देशों के सामने दो प्राथमिकताएं रखी थीं - नील अर्थव्यवस्था और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का ज़िम्मेदार इस्तेमाल.

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