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टिकटॉक पर हजारों लोगों ने प्रोफाइल पिक्चर बदली, इसके बाद जो हुआ, वो खुश कर देने वाला है

क्या है ये ब्लैक पावर फिस्ट, जो लोगों की प्रोफाइल पिक्चर में दिख रही है?

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टिकटॉक पर सात मई को अपील की गई. कि ब्लैकआउट मूवमेंट शुरू किया जाए. 19 मई को सबसे अपनी प्रोफाइल पिक बदलने को कहा गया. इसका असर भी दिखा. (तस्वीर: टिकटॉक वीडियो स्क्रीनशॉट्स)
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26 मई 2020 (Updated: 26 मई 2020, 04:17 PM IST) कॉमेंट्स
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अगर आप टिकटॉक का इस्तेमाल करते हैं, तो आपने हाल में एक चीज़ नोटिस की होगी. कई टिकटॉक यूजर की प्रोफाइल पिक्चर की जगह ये डिजाइन बना हुआ आ रहा है.
Bpf ब्लैक पावर फिस्ट. एक सांकेतिक तस्वीर, जो एक पूरे समुदाय के संघर्ष का प्रतीक मानी जाती है.

भारत के यूजर इसका अधिक इस्तेमाल करते नहीं दिख रहे, लेकिन दूसरे देशों के एक्टिव यूजर की प्रोफाइल पर आपको ये दिख जाएगा. आखिर ये क्या है और क्यों इतने सारे लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं?
ब्लैक पावर फिस्ट
ये एक बंधी हुई मुट्ठी है. सामान्य तौर पर अश्वेत लोगों के अधिकारों के लिए इस प्रतीक का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि इसका इस्तेमाल सिर्फ यही तक सीमित नहीं है, लेकिन पॉपुलर कल्चर में इसका कॉन्टेक्स्ट अधिकतर यही होता है.
कहां से आया?
1960 के दशक में बंधी हुई इस मुट्ठी को नागरिक अधिकारों का प्रतीक बनाया गया. अमेरिका में अश्वेत लोगों के साथ भेदभाव लगातार जारी था. सामाजिक-राजनीतिक तौर पर उन्हें कई मौकों और अधिकारों से वंचित रखा गया था. इसके विरोध में चल रहे आंदोलनों में ये बंधी हुई मुट्ठी एक आइकन के रूप में इस्तेमाल हुई. दीगर बात ये है कि पूरी दुनिया में बंधी हुई मुट्ठी एक आंदोलन और वंचित तबके के विद्रोह का प्रतीक मानी जाती है.
1968 के ओलंपिक में 200 मीटर की रेस हुई. उसमें जीत हासिल करने वाले दो मेडलिस्ट टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस अश्वेत थे. उन्होंने मेडल लेने के बाद पोडियम पर काले दस्ताने पहने और मुट्ठी बांधकर खड़े हो गए. ये प्रतीक था उनके शांत विद्रोह का. उन हालात के खिलाफ, जिसका शिकार अश्वेत लोगों का एक बड़ा तबका हो रहा था.
Black Power Salute The Guardian 1968 ओलंपिक्स की ये ऐतिहासिक तस्वीर. (तस्वीर साभार: द गार्डियन)

इस आइकन का टिकटॉक से क्या लेना-देना?
टिकटॉक ऐप का एक फीचर है. फॉर यू पेज. यानी जैसे हर ऐप का होम पेज होता है, ऐप खुलने पर सबसे पहले दिखने वाला पन्ना, वही. इसकी एक ख़ास बात ये है कि इस पर यूजर की एक्टिविटी के हिसाब से अपने आप वीडियो आता रहता है. फॉर यू पेज पर वीडियो देखने के लिए अकाउंट बनाने की ज़रूरत नहीं. अब हुआ ये कि जो अश्वेत या गहरी चमड़ी वाले क्रिएटर्स हैं, उन्होंने आरोप लगाया कि उनके वीडियो लोगों तक पहुंचने नहीं दिए जा रहे हैं.
CNN में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, 19 मई को #IamBlackMovement शुरू हुआ. ताकि इस बात की ओर ध्यान दिलाया जा सके कि टिकटॉक अश्वेत क्रिएटर्स के साथ भेदभाव कर रहा है. लोगों ने अपील की कि उनकी रेस के अलावा जो दूसरे लोग भी हैं, जिन्हें नॉन ब्लैक एलाई (Non Black Ally) कहा जाता है, वो भी इसमें उनका साथ दें.
@lethallex
##greenscreen
BLACK OUT! ##blackout
##blackout2020
##blacklivesmatter
##racism
##blacktiktok
♬ original sound - lethallex
इस मूवमेंट को शुरू करने वाली लेक्स स्कॉट ने CNN को दिए एक इंटरव्यू में बताया,
‘मैंने ये इसलिए किया, क्योंकि ब्लैक क्रिएटर्स को टिकटॉक और दूसरे सोशल मीडिया चैनल पर चुप कराया जा रहा है. मैं इससे पक गई हूं. हमारे वीडियो हटा दिए जाते हैं. जब हम नस्लभेद के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, तो हमारे अकाउंट बैन कर दिए जाते हैं.

लेक्स ने बताया कि अश्वेत और ब्राउन चमड़ी वाले क्रिएटर्स (जैसे भारतीय, पाकिस्तानी, अरब, श्रीलंकाई) के लिए टिकटॉक को अपनी नीतियों में परिवर्तन करना चाहिए. नस्लभेद के खिलाफ वो लोग अगर बोलें, तो उन्हें चुप नहीं कराया जाना चाहिए. जो लोग असलियत में रेसिस्ट (नस्लभेदी) हैं, उनके अकाउंट बंद किए जाने चाहिए. लेक्स ने जो वीडियो डाला, उसमें उन्होंने अपील की:

    # प्रोफाइल पिक्चर बदलें.

  # सिर्फ ब्लैक क्रिएटर्स के वीडियो देखें, लाइक करें और उनको फॉलो करें.

  # एक वीडियो बनाएं, जिसमें इस तरह के भेदभाव के बारे में बात की जाए.

     इसे उन्होंने ब्लैकआउट का नाम दिया.


 
@estheromeg
My biggest fear is being the mother of a black boy. Remember their names. ##blacklivesmatter
##blackout
##blacktiktok
##blackboy
##justice
##end
##racism
##xyzbca
♬ original sound - carneyval_


ये कोई पहला मामला नहीं है, जब टिकटॉक को इस तरह के विवाद में घसीटा गया है. अभी कुछ महीनों पहले ही टिकटॉक ने स्वीकार किया था कि वो कुछ एकाउंट की रीच जान-बूझकर कम कर रहा है. netzpolitik नाम के जर्मन पोर्टल ने टिकटॉक के कुछ आधिकारिक दस्तावेज एक्सेस किए, जिनमें इससे जुड़ी जानकारी थी. इससे पता चला कि ऐसे यूजर्स का कॉन्टेंट रोका जा रहा है, जिनको बुली या हैरिस किए जाने की संभावना अधिक है. इनमें ये लोग शामिल थे - लेस्बियन, गे, अपनी प्रोफाइल पिक्चर में रेनबो फ्लैग लगाने वाले (ये झंडा लेस्बियन, गे और नॉन बाइनरी लोगों के लिए एक प्रतीक है. नॉन बाइनरी का मतलब वो लोग, जो लड़का-लड़की के दो जेंडर में यकीन नहीं रखते.), शारीरिक रूप से 'नॉर्मल' की परिभाषा में फिट न होने वाले लोग.
टिकटॉक ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि ये कदम टेम्पररी था और इसका मकसद ऐसे लोगों को नफरत या हेट स्पीच से बचाना था.
टिकटॉक ने  कथित रूप से जो कदम उठाए गए वो थे-
# वीडियो की लिमिट कम कर देना
# वीडियो को ‘फॉर यू’ पेज तक न पहुंचने देना
# एक तय संख्या तक वीडियो व्यूज पहुंच जाएं, उसके बाद उसे लोगों को न दिखाना.
इसी तरह की शिकायत ब्लैक क्रिएटर्स कर रहे हैं कि उनके वीडियो के साथ ऐसा किया जा रहा है. शिकायत को लेकर अभी तक टिकटॉक का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. भले ही उनका जवाब न आया हो, लेकिन इस बदलाव का असर देखने को मिल रहा है. कई टिकटॉक यूजर ने वीडियो पोस्ट करके बताया कि उनके 'फॉर यू' पेज पर ब्लैक टिकटॉक क्रिएटर्स के वीडियो दिख रहे हैं. इस तरह का बदलाव देखकर कई लोग इमोशनल हुए. कई कमेंट में ये भी कहा गया कि लोग असल में ब्लैक क्रिएटर्स को सपोर्ट कर रहे हैं और ये बेहद खूबसूरत पल है टिकटॉक का.


वीडियो: टिकटॉक पर चल रहे इस वायरल वीडियो ट्रेंड में जो दिखाया जा रहा है, वो मन घिना देता है

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