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विधानसभा में पॉर्न देखने को लेकर भारत का कानून क्या कहता है

येदियुरप्पा के मंत्रिमंडल विस्तार पर पॉर्न देखने को लेकर बहस शुरू हो गई है.

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सांकेतिक तस्वीर है.
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डेविड
29 अगस्त 2019 (Updated: 28 अगस्त 2019, 03:32 AM IST) कॉमेंट्स
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लक्ष्मण सावदी. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री बने हैं. 2012 में सी.सी. पाटिल और कृष्णा पालेमर के साथ चर्चा में आए थे. विधानसभा की कार्यवाही के बीच पॉर्न देखते पाए गए थे. कैमरे पर पकड़े जाने के बाद तीनों से जवाब-तलब किया गया था. उस समय सफाई में इन नेताओं ने कहा था कि विधानसभा की बहस में जानकारी जुटाने के लिए पॉर्न देख रहे थे. हालांकि बाद में दबाव पड़ा, तो तीनों ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. अब कर्नाटक में फिर से बीजेपी की सरकार बनी है. मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने लक्ष्मण सावदी को उपमुख्यमंत्री बना दिया गया है. यानी, नंबर 2.
अब इस ख़बर को पढ़कर किसी के दिमाग में सवाल आ सकता है. क्या पॉर्न देखना अपराध है? अगर कोई व्यक्ति अपने मोबाइल, लैपटॉप, या कंप्यूटर पर, यानी पर्सनल स्तर पर पॉर्न देख रहा है, तो ये गुनाह नहीं है. हालांकि यह नियम हर तरह के पॉर्न पर लागू नहीं होता. मसलन- चाइल्ड पॉर्नोग्रफी देखना अवैध है. आजकल वॉट्सऐप ग्रुप में पॉर्न वीडियो भी लोग उसी सहजता से शेयर करते हैं, जिस सहजता के साथ कोई और वीडियो शेयर करते हैं. ये गुनाह है. अगर पॉर्न को कहीं पब्लिश कर रहे हैं या सर्कुलेट कर रहे हैं, तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा. क्योंकि दूसरों तक न्यूड या अश्लील विडियो पहुंचाना क़ानूनन ग़लत है. पॉर्न, पॉर्न देखे जाने और ख़ासतौर पर विधानसभा वाले रेफरेंस में विधायक जी से पॉर्न देखने से इसी तरह के कुछ ज़रूरी सवाल पैदा होते हैं. जवाब जानना हो, तो नीचे लिखा सबकुछ पढ़ जाइए. वकील आंजनेय मिश्रा ने बताया कि पॉर्ने के मामले में किस सूरत में कार्रवाई हो सकती है.
कर्नाटक विधानसभा में 2012 में विधानसभा की कार्यवाही के बीच कुछ नेता पॉर्न देखते पाए गए थे.
कर्नाटक विधानसभा में 2012 में विधानसभा की कार्यवाही के बीच कुछ नेता पॉर्न देखते पाए गए थे.

पॉर्न: किस सूरत में होगी कार्रवाई? पॉर्न से जुड़े अपराधों पर IT ऐक्ट लागू होता है. ठीक-ठीक गिनाएं तो IT ऐक्ट 67, 67 ए और 67 बी के तहत. अब इसमें भी अलग-अलग चीजें हैं. मोटा-मोटी समझ लीजिए-
पॉर्न का कंटेंट रेप या शारीरिक शोषण वाला है, तो IT ऐक्ट 67 ए के तहत कार्रवाई होगी.
चाइल्ड पॉर्न सर्कुलेट करने वाले के खिलाफ IT ऐक्ट के 67 बी के तहत कार्रवाई होगी.
अगर कोई किसी के सेक्स करने या सेक्शुअल एक्टिविटी का वीडियो बनाता है तो यह क्राइम है. इसमें IT ऐक्ट के सेक्शन 66-ई के तहत कार्रवाई होगी.
सज़ा का क्या हिसाब है? IT ऐक्ट की धारा 67 (ए) के तहत अपराध की गंभीरता को देखते हुए पहले अपराध पर 5 साल तक जेल की सज़ा या/और दस लाख तक का जुर्माना हो सकता है. दूसरी बार यही अपराध करने पर जेल की सजा की अवधि बढ़कर 7 साल हो जाती है. जुर्माना 10 लाख ही रहता है. चाइल्ड पॉर्नोग्रफ़ी के मामले में 67 (बी) के तहत पहले अपराध पर 5 साल तक जेल की सजा या/और दस लाख तक का जुर्माना हो सकता है. वहीं दूसरी बार यही अपराध करने पर जेल की अवधि 7 साल हो जाती है. जुर्माने की राशि 10 लाख तक ही रहती है. IT ऐक्ट की धारा 67 (ए) और 67 (बी) गैरज़मानती हैं. चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े मामले में POCSO कानून के तहत भी कार्रवाई होती है.
अब बात आती है कि विधानसभा में विधायक क्या कर सकते हैं. देश में कई विधानसभाएं हैं. विधानसभाओं के कुछ नियम-कायदे हैं. न केवल कार्यवाही से जुड़ी, बल्कि विधायकों के आचरण के भी नियम हैं. उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है. इसलिए हमने यहां की विधानसभा की नियमावलियों के बारे में पता किया. कि आखिर MLA विधानसभा में क्या कर सकते हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली के नियम 286 के तहत जब सभा में सदस्य मौजूद रहते हैं, तो उन्हें इन नियमों का पालन करना होगा-
1. ऐसी पुस्तक, समाचार पत्र या पत्र नहीं पढ़ेंगे और न ही उस कार्य के अतिरिक्त ऐसा कोई कार्य करेंगे जिसका सदन की कार्यवाही से संबंध न हो. 2. अगर कोई सदस्य भाषण दे रहा है, तो व्यवधान नहीं डालेंगे. 3. सदन में एंट्री करते समय या बाहर जाते समय या अपनी जगह पर बैठते समय या फिर अपनी सीट से उठते समय अध्यक्ष पीठ के प्रति नमन करेंगे. 4. अध्यक्ष पीठ और ऐसे सदस्य के बीच में से जो भाषण दे रहा है, नहीं गुजरेंगे. मतलब उसको काटकर बीच से नहीं जाएंगे. 5. अगर विधानसभा अध्यक्ष सदन को संबोधित कर रहे हों, तो उस दौरान कोई सदस्य सदन से बाहर नहीं जाएगा.6. जब सदन में नहीं बोल रहे हैं, तो शांत बैठेंगे.7. कार्यवाही में रुकावट नहीं डालेंगे. चिल्लाएगें नहीं. (ये तो सबसे ज्यादा तोड़ने वाले नियमों की कैटगरी में होगा शायद)8. भाषण के दौरान दीर्घा में किसी अजनबी की ओर संकेत नहीं करेंगे.
इसी तरह के कई नियम बने हुए हैं. इन नियमों का पालन नहीं करने पर कई बार विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों को सस्पेंड भी करते हैं.
अब आप कहेंगे कि पॉर्न पर स्पेसिफिकली तो कुछ नहीं लिखा है. तो जवाब है, नियम बनाए जाते समय शायद ऐसी स्थिति की कल्पना भी नहीं की गई है. विधानसभा (या विधान परिषद, लोकसभा, राज्यसभा) के भीतर कोई जन प्रतिनिधि इस तरह की हरकत भी कर सकता है, ये नियम बनाने वालों के दिमाग में नहीं आया होगा शायद. क्योंकि जन प्रतिनिधियों से एक तरह की गंभीरता अपेक्षित होती है.
विधानसभा जैसी इमारतें ईंट-गारे की बनी कोई आम बिल्डिंग नहीं. लोकतंत्र के सबसे अहम प्रतीकों में हैं. यहां देश और इसकी जनता से जुड़े ज़रूरी फैसले होते हैं. पॉलिसी बनाई जाती है. चुने हुए जन प्रतिनिधि जनता से जुड़े मुद्दे उठाते हैं. उनपर सामूहिक बहस होती है. विधानसभा और लोकसभा-राज्यसभा की प्रोसिडिंग्स का रेकॉर्ड मेंटेन किया जाता है. कोई विधायक यहां बैठकर पॉर्न देखे, तो इससे उसकी गंभीरता और जनता के प्रति उसके समर्पण का अंदाजा लगाया जा सकता है. जजमेंटल होना अच्छी बात नहीं, मगर इस हरकत पर तो विधायक जज किए ही जाएंगे. विधानसभा में पॉर्न देखना अपराध है, ऐसा कहीं लिखा नहीं मिला. मगर ये ग़लत है, बिल्कुल ग़लत है, सरासर ग़लत है इसमें कोई शुबहा नहीं. जनता के हाथों चुनकर भेजे गए लोग ऐसी जगह पर क्या करते हैं, इसका हिसाब लेने का अधिकार तो जनता को बिल्कुल है. बाकी वो अपने पर्सनल स्पेस में, अपनी पर्सनल लाइफ़ में पॉर्न देखें (प्रतिबंधित वाले नहीं और बिना किसी को नुकसान पहुंचाए), तो ये उनकी चॉइस है.


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