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नंबर प्लेट पर भौकाल काटने वालों पर एक्शन तेज, लेकिन गडकरी जी क्या इस समस्या से छुटकारा दिला पाएंगे?

लखनऊ में 'सक्सेना जी' का भी चालान कट गया है.

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नंबर प्लेट पर जातिसूचक कुछ भी लिखवाने पर यूपी में चालान कटने शुरू हो चुके हैं. लेकिन गाड़ियों के शीशों पर कहीं भी कुछ भी लिखवाने के चलन के भी खतरे हैं.
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अमित
28 दिसंबर 2020 (Updated: 28 दिसंबर 2020, 04:22 PM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा जैसे तमाम राज्यों की सड़कों पर भागती गाड़ियों की नंबर प्लेट पर जाट बॉय, गुर्जर, परशुराम, ब्राह्मण जैसे न जाने कितनी जातियों के भौकाल का परचम लहराता रहता है. फिलहाल इनका इलाज करने के लिए यूपी ने तगड़े इंतजाम कर लिए हैं. यूपी सरकार ने अब नंबर प्लेट पर जातिसूचक स्टीकर लगाने या लिखने पर गाड़ियों का चालान शुरू कर दिया है. लेकिन असली भौकाल तो गाड़ियों के आगे-पीछे के शीशों पर बड़े अक्षरों में जाति-नाम-पद-प्रतिष्ठा लिखाने वालों का है. क्या है नंबर प्लेट को लेकर सरकारी नियम कायदे, और मोटर वीकल एक्ट का कानून. लेकिन गाड़ियों के शीशों पर कुछ भी लिखाने वालों से क्या माननीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मुक्ति दिला पाएंगे? आइए जानते हैं
यूपी में मामला सख्त, सबसे पहले 'सक्सेना जी' का कटा चालान
यूपी में इस स्टीकरबाजी को लेकर काफी सख्ती शुरू हो गई है. इसके पीछे कारण है केंद्र सरकार की एक चिट्ठी. केंद्र सरकार को नंबर प्लेटों पर जातिसूचक स्टीकर के लगे होने की लगातार शिकायतें मिल रही थीं. इसी आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने यूपी सरकार को नंबर प्लेटों पर स्टीकरबाजी रोकने का निर्देश दिया है. इसके बाद योगी सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों के परिवहन अधिकारियों (RTO) को आदेश जारी कर दिए कि इस तरह की गाड़ियों पर तुरंत एक्शन लिया जाए. यूपी के तमाम जिलों में ये अभियान चालू हो गया है.
राजधानी लखनऊ में नए प्रतिबंध के बाद पहला चालान कानपुर के रहने वाले आशीष सक्सेना का कटा. उन्होंने अपनी गाड़ी के नंबर प्लेट पर 'सक्सेना जी' लिखवा रखा था. पुलिस ने मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 105 के तहत चालान काट दिया .
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यूपी सरकार ने एक बार फिर से नंबर प्लेट पर जातिसूचक नाम लिखवाने पर चालान करने का अभियान सख्त कर दिया है. नंबर प्लेट पर कुछ भी लिखवाने पर 1500 रुपए तक की चोट लग सकती है.

क्या कहता है मोटर वीकल एक्ट 1988?
इस धारा को जानने से पहले जान लें कि मोटर वीइकल एक्ट होता क्या है. देश भर में जितने भी वाहन बनते और सड़क पर उतरते हैं, वह मोटर वीइकल एक्ट 1988 के अनुसार ही बेचे और चलाए जाते हैं. इस एक्ट में वक्त-वक्त पर जरूरत के हिसाब से संशोधन होते रहे हैं. पिछले साल ही संशोधन करके जुर्माने की रकम को कई गुना बढ़ा दिया गया है. मोटर वीइकल एक्ट में वाहनों से जुड़े नियम-कायदों को अलग-अलग कैटेगिरी में रखा गया है. मिसाल के तौर पर कार के रजिस्ट्रेशन को लेकर अलग धाराएं हैं, तो ट्रैफिक के नियम तोड़ने की अलग. मोटर वीइकल एक्ट में नंबर प्लेट पर डिजाइनर नंबर लिखने की भी मनाही है. नंबरों का एक स्टैंडर्ड साइज और फॉन्ट तय है. इसे सख्ती से लागू करवाने के लिए ही परिवहन विभाग हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) पर जोर दे रहा है.
क्या है HSRP नंबर प्लेट?
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट एल्यूमीनियम से बनी होती हैं, इसमें एक क्रोमियम बेस्ड होलोग्राम होता है. इस नंबर प्लेट पर बाएं कोने पर नीले रंग से एक अशोक चक्र बना होता है. प्लेट में 10 अंकों का पिन (पर्सनल आइडेंटिटी नंबर) भी होता है. ये पिन प्लेट के निचले लेफ्ट कोने पर प्रिंट होता है. इस नंबर प्लेट को सिर्फ़ दो नॉन-रियूज़ेबल लॉक से ही लगाया जाता है. इस नंबर प्लेट से छेड़छाड़ नहीं हो सकती, ऐसा दावा किया जाता है.
सरकार के निर्देश के अनुसार, वाहन मालिकों को जल्द से जल्द एचएसआरपी लगवाना होगा. दिल्ली में तो इसे अनिवार्य कर दिया गया है. दिल्ली की जिन कारों में HSRP नहीं हैं, उन पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है. फिलहाल दिल्ली में यह मुहिम तेज है. धीरे-धीरे हर राज्य में इसे लागू किया जाएगा.
फिलहाल मोटर वीकल एक्ट में वाहन की नंबर प्लेट के साथ छेड़छाड़ या विकृत करने को लेकर दो तरह के प्रावधान हैं.
# नंबर प्लेट पर सिर्फ नंबर
नंबर प्लेट पर गाड़ी के नंबर के अलावा कुछ भी लिखवाना गैरकानूनी है. मोटर वीइकल एक्ट की धारा 105 (2)(2) या CMVR 105 (2) में आपत्तिजनक नंबर प्लेट को लेकर चालान की बात कही गई है.
चालान की रकम - 500 रुपए से 1500 रुपए
#नंबर प्लेट पर A/F
लोग जब नई गाड़ी खरीदते हैं, तब उसकी नंबर प्लेट पर लिखवा लेते हैं- A/F. इसका मतलब होता है, एप्लाइड फॉर डिस्प्ले. ये एक हफ्ते तक ही वैलिड रहता है, लेकिन कुछ लोग इसी नंबर प्लेट के साथ महीनों गाड़ी चलाते रहते हैं. मोटर वीइकल एक्ट के सेक्शन 177 में इसी के लिए पेनल्टी का नियम है.
चालान की रकम - 10 हजार रुपए तक का चालान
सीज़ करने का नियम नहीं
उत्तर प्रदेश के ट्रांस्पोर्ट कमिश्नर का कहना है कि नंबर प्लेट पर जातिसूचक शब्द या कुछ और लिखने को लेकर गाड़ी सीज करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारियां दी जा रही हैं.
लखनऊ के रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर रामफेर द्विवेदी ने कहा-
नंबर प्लेट पर कुछ भी अलग से लिखवाने पर पेनाल्टी का प्रावधान नया प्रावधान नहीं है. यूपी में इसके लिए पहली बार 500 रुपए और उसके बाद हर बार 1500 रुपए की पेनाल्टी ली जाती है. ऐसे मामलों में वाहन को सीज़ करने का कोई नियम या प्रावधान मोटर वीइकल एक्ट में नहीं है. मोटर वीइकल एक्ट के अनुसार नंबर प्लेट पर लिखे जाने वाले नंबरों का भी एक फिक्स साइज और स्टाइल होता है.
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त सूचना सचिव नवनीत सहगल के अनुसार-
नंबर प्लेट पर जातिसूचक या नाम लिखवाने पर गाड़ी सीज़ करने का कोई नया आदेश नहीं आया है. नंबर प्लेट पर ऐसा कुछ लिखना पहले से ही कानून के खिलाफ है. ऐसा करने वालों का चालान पुराने प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा.
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लोग नंबर प्लेट पर अपनी जाति का नाम ही नहीं बल्कि वाहन के आगे और पीछे के शीशों पर धर्म, परिवार और हैसियत के बारे में भी लिखवा लेते हैं. (फाईल फोटो)
हमारी तरफ से भी एक गुजारिश मोदी सरकार के प्रधानमंत्री ग्रीवांस सेल पर एक नागरिक हर्ष प्रभु ने नंबर प्लेटों पर जाति लिखवाने को लेकर चिट्ठी लिखी. ग्रीवांस सेल ने यूपी सरकार को इसे लेकर निर्देश जारी किए. यूपी सरकार ने भी नंबर प्लेटों से छेड़छाड़ करने वालों पर सख्ती करनी शुरू कर दी. ये प्रयास सराहनीय हैं. लेकिन हम इस खबर के माध्यम से माननीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का ध्यान बड़ी समस्या की तरफ दिलाना चाहते हैं.
# सिर्फ वाहन के नंबर प्लेट पर ही नहीं बल्कि उसके पीछे और आगे के शीशों पर भी जातिसूचक शब्द लिखवाने का चलन उत्तर भारत में बहुत ज्यादा है. लोग न सिर्फ अपना नाम बल्कि अपना पद और घर-गांव का नाम भी चौपहिया गाड़ियों के आगे-पीछे के शीशों पर लिखवा लेते हैं.
# ऐसा होने से कार चला रहे शख्स को बैक व्यू मिरर में साफ देखने में दिक्कत होती है. कई बार आगे की तरफ लिखे स्टिकर सामने का व्यू रोकते हैं. इससे दुर्घटनाएं होने की आशंका बनी रहती है.
अच्छा हो कि नंबर प्लेट पर ही नहीं बल्कि चौपहिया वाहनों के आगे और पीछे के शीशों पर भी कुछ लिखने पर रोक लगाने को लेकर नियम-कायदे बनाए जाएं.

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