24 अगस्त 2016 (Updated: 23 अगस्त 2016, 04:48 AM IST) कॉमेंट्स
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आज-कल तो हर चिरकुट सेल्फियापे का शिकार है. कभी फोटो खींचना हुनरमंदों के वास्ते था. ऐसा ही एक लड़का था रघु राय. अभी भी है, पर लड़कपना तो बीत गया होगा न. पहली फोटू गधे के बच्चे की खींची थी. लद्दाख में. फिर तो दर्जनों अमर चित्र उतारे. उनकी एक किताब आई है. रूपा पब्लिकेशन वालों का एक और प्रिंट है. अलेफ. उसी से. नाम है पीपल. इसमें रघु राय के खींचे लोगों के पोट्रेट हैं. कवर पर साधना में आंख मूंदें अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खान हैं. भीतर नेता से लेकर हीरोइन तक, कलाकार से लेकर बंजारे तक सब हैं. हर तस्वीर को मिनटों निहार सकें.
और उस किताब की 12 तस्वीरें हम ले आए आपके लिए. देखें. पढ़ें.
अमृता प्रीतम. साहिर लुधियानवी से वहशियों सा प्यार करती थीं. इत्ता कि साहिर की जूठी सिगरेट के ठूंठ जला जिगर जलाती थीं. उनकी एक किताब जरूर पढ़िएगा. रसीदी टिकट. ऑटोबायोग्राफी. ये नाम क्यों. किसी से अमृता बोलीं. अपनी जिंदगी पर किताब लिख रही हूं. उसने कहा, तुम्हारी लाइफ में क्या है, एक रसीदी टिकट के पीछे सब आ जाएगा.
टाइगर पटौदी. शर्मिला टैगोर. परी कथाओं सा प्यार. एक बंगाली भद्र लोक से आई नायिका. जिसे पर्दे पर पहला सुपर स्टार दीवानों की हद तक चाहता था. मगर पर्दे के बाहर असल जिंदगी में उसने मंसूर से मुहब्बत की. इंडियन क्रिकेट में बेखौफ हो खेलने की आदत इसी लड़के ने डाली. पहले टेस्ट से ही. और हां, भोपाल के नवाब परिवार से आते थे जनाब. इसीलिए इन दोनों के साहिबजादे सैफू को नवाब कहते हैं सब.
जनरल जिया उल हक. पाकिस्तान की तरक्की का चक्का उल्टा करने वाला आदमी. इसने इंटरनेशनल प्रेशर को किनारे किया और पॉपुलर लीडर जुल्फिकार को फांसी पर चढ़ा दिया. फिर मुल्क में कट्टरपंथियों को छाती से चिपका लिया. अफगानिस्तान में रूस के विरोध के नाम पर जिहादियों को खुल्ला पइसा बांटा. और उसके लिए अमरीका से पेल के वसूली की. आखिरी में जहाज से जा रहे थे, बम फटा और मर गए.
महान बाप के कद की बराबरी के तो बहुत किस्से कहे सुने गए. सुनील गावस्कर और रोहन. अमिताभ बच्चन और अभिषेक. मगर मां की बराबरी वाले अफसाने कुछ कम रहे. ये तस्वीर देखिए. गजब की प्रतिभाशाली और सपनों सी सुंदर सुचित्रा सेन. देवदास वाली. आंधी वाली. यहां तस्वीर में. और उसके सामने. बेटी मुनमुन. फ्लॉप एक्ट्रेस. इनकी बेटियां भी फ्लॉप रहीं. पर अब मुनमुन माननीय लोकसभा सांसद हैं. थैंक्स टु ममता दी.
रघु राय को उनकी पॉलिटिकल या हिस्टोरिकल पोट्रेट के लिए ज्यादा जाना जाता है. मगर मुझे उनकी वे तस्वीरें ज्यादा लुभाती हैं, जहां सब्जेक्ट मशहूर नहीं है. इसलिए उन्हें देखते हुए कोई बैगेज नहीं रहता. आप जैसे चाहें, वैसे व्याख्या करें. जैसे चाहें वैसे कलई उतारें. यही देखिए. धोबी के बच्चे. ये धोबी भइया रघु राय के घर कपड़े लेते आते थे.
कुछ लोग हैं, जिनकी जिंदगी लालच भरती है. बेहिसाब. जैसे खुशवंत सिंह. और पीछे लौटें तो जैसे राज कपूर. नरगिस से प्यार किया. मगर उनकी मां जद्दन बाई राजी नहीं हुईं. प्यार अधूरा रह गया. उसे फिर फिर पूरा करते रहे. आरके स्टूडियो का लोगो देखिए गौर से. एक कलाकार, जिसने औरत की देह की हर सुंदरता को पर्दे पर पनाह दी. सामाजिक चेतना ऐसी कि विधवा विवाह से लेकर किशोर वय की कामनाओं तक सबको फिल्मों में ले आए. यहां अपने दड़बे में. बेफिकर. एक ठहाके के ठीक पहले सा कुछ. और ऊपर. बीच में बाप. पृथ्वी राज कपूर. अकबर सी शख्सियत. किनारे नरगिस. नाम में ही कैसा सुर है. और एक तरफ वैजयंती माला. सबसे सफल फिल्मों में से एक संगम की हीरोइन. गले मिली सहम-सहम, भरे गले सी बोलती, ये तुम न थीं तो कौन था, तुम्हीं तो थीं.
बांग्लादेश कैसे बना. बना तो पाकिस्तान था. 1947 में. दो हिस्सों में. पूर्वी और पश्चिमी. फिर पश्चिमी के पाजी नेताओं और जनरलों ने बदमाशी शुरू कर दी. बांग्ला भाषियों के साथ सौतेला सुलूक. विरोध तेज हुआ. उनके जनमत को भी मुंह बिरा दिया गया. आंदोलन हुआ तो पहुंच गए फौजी ले बंदूक. मारकाट चालू हुई तो सब बांग्लादेशी हमारे हिंदुस्तान में घुसने लगे. लाखों की संख्या में. जैसे आज-कल सीरिया वाले जगह-जगह भटक रहे हैं. तब की है ये तस्वीर.
बिस्मिल्ला खां. हिंदुस्तान से. बनारस से. गंगा-जमुना के मेल से. तहजीब से. मिट्टी से. उनकी शहनाई खूब सुनी. आजादी पर बजाई. गंगा जी के घाट पर बजाई. बाबा विश्वनाथ के लिए बजाई. हमें लगता रहा. उस्ताद फेफड़ों का खूब ख्याल करते होंगे. यहां इंसान दिख रहा है. हाथ में सिगरेट लिए. सबके अपने चीट डे होते हैं न.
एक पेड़ को बचाने के लिए तुम क्या करोगे. एक काम करो. उसे हग कर लो. पेड़ की देह पर तुम्हारी देह. तब कोई कैसे कुल्हाड़ी मारेगा. कतल हो जाएगा न पूरा का पूरा कानून की नजर में. सुंदर लाल बहुगुणा ने यही किया. चिपको आंदोलन शुरू किया. ताकि जंगल बचाए जा सकें. असभ्य बर्बर शहरियों से.
खजुराहो. सुनो तो दिखता है. मंदिर. काम वाला. इत्ती मुद्राएं कि कोई कर ले तो जिम्नास्ट बन जाए. ये मंदिर जंगल में छिपे थे. एक अंगरेज ने खोजे. अंगरेजों के वक्त रजवाड़े भी खूब बने रहे. उन्हीं में से एक ये परिवार रहा होगा. खजुराहो का राज परिवार. उसी के एक राजा जी. राजा तो क्या रहे. सबको इंदिरा ने खत्म कर दिया. मगर पुराना वैभव भी सात पुश्तों में जाता है. यहां खूब जानवर नजर आ रहे हैं. शिकारी आहां.
इसे देख मिले सुर मेरा तुम्हारा याद आ गया. तस्वीर का कंपोजिशन देखिए. सबसे पुराना क्या. इंसान. उसकी आवाज. उससे भी पुराने पत्थर. चट्टानों वाले पत्थर. उससे भी पुराना आसमान. मगर इन सबको जिंदा करता फिर एक इंसान. एस बालाचंदर. महान कलाकार. वीणा बजाते.
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